जयपुर. खेल मंत्री अशोक चांदना की ओर से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सेक्रेट्री कुलदीप रांका को लेकर किए गए ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. इस ट्वीट में खेल मंत्री अशोक चांदना ने मुख्यमंत्री से जलालत भरा मंत्री पद वापस लेने की बात कही थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बयान जारी किया है. आखिर खेल मंत्री अशोक चांदना की ओर से पदमुक्त करने को लेकर (ashok chandna resignation offers) किए गए इस ट्वीट के पीछे आखिर क्या कारण है इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है. माना जा रहा है कि खेल कोटे से जुड़ी भर्तियां और खेल मंत्री की ओर से दिए गए प्रस्तावों को न माना जाना ही इस ट्वीट का प्रमुख कारण रहा है.
करीब 3 दिन पहले खेल मंत्री अशोक चांदना ने खेल विभाग की बैठक ली थी जिसमें खेलों से जुड़े कुछ प्रस्ताव तैयार किए थे. इनमें से 2% खेल कोटे से भर्ती का मामला प्रमुख था. इसके अलावा अन्य खेलों को इस खेल कोटे में जोड़ने की बात भी कही जा रही थी और काफी समय से खेल मंत्री प्रयास भी कर रहे थे कि उनकी ओर से दिए गए इन प्रस्तावों के अलावा कुछ अन्य प्रस्ताव भी जोड़े जाएं. खेल मंत्री अशोक चांदना की ओर से किए गए ट्वीट से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से भी एक ट्वीट खेलों से जुड़ा किया गया था जिसमें खेल कोटे में रिक्त पड़े पदों को भरने की बात कही गई थी और नए प्रावधानों को मंजूरी दी गई.
ऐसे में माना जा रहा है कि खेल मंत्री अशोक चांदना की ओर से जिन प्रस्तावों को अमल में नहीं लाया गया उससे आहत होकर कुछ समय बाद ही चांदना ने ट्वीट के जरिए इस्तीफे की पेशकश कर दी. मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेट्री पर आरोप लगाए. माना यह भी जा रहा है कि प्रदेश में होने वाले ग्रामीण ओलंपिक खेलों के टेंडर पर भी पिछले कुछ समय से घमासान चल रहा है. बताया जा रहा है कि खेल परिषद में पावर को लेकर भी अध्यक्ष और मंत्री के बीच कुछ अनबन है जब भी अध्यक्ष की ओर से कोई बैठक खेल विभाग की ली जाती तो मंत्री मौजूद नहीं होते थे और जब मंत्री की ओर से कोई बैठक खेल विभाग में ली जाती थी तो चेयरमैन उस बैठक से नदारद रहती थीं.
29 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्टेडियम में विभिन्न योजनाओं और लोकार्पण समारोह में भाग लेंगे जिसे लेकर खेल मंत्री और अध्यक्ष की ओर से अलग-अलग बैठक आयोजित की गई. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि ग्रामीण ओलंपिक खेलों को लेकर जो करोड़ों रुपए के टेंडर जारी हुए हैं. उनमें से कुछ टेंडर निरस्त भी कर दिए गए थे जिसके बाद खेल परिषद की चेयरमैन और खेल मंत्री के बीच लंबे समय से अनबन चल रही है. वहीं मामले के बाद खेल परिषद के सचिव राजूलाल गुर्जर भी अवकाश पर चले गए हैं.