जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को किसानों की ऋण माफी को लेकर चर्चा हुई. चर्चा में बड़ी संख्या में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने भाग लिया. इस चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 10 दिन में ऋण माफी की जो बात लिखी थी, वह संभव नहीं थी. क्योंकि 10 दिन में तो यह भी पता नहीं लग सकता कि किसके नाम पर लोन है और कितना लोन है.
कटारिया ने कटाक्ष करते हुए कहा कि घोषणापत्र में केवल शब्दों का जाल बनाकर राजनीति को रसातल पर ले जाने का काम हुआ है. वहीं, उन्होंने गंगानगर के किसान की आत्महत्या को लेकर कहा कि सुसाइड नोट ही एक तरीके से इतना पुख्ता एविडेंस है, जिसे कानून भी मानता है. अन्य राज्यों से तुलना करते हुए किसान सम्मान निधि में राजस्थान के इसलिए पीछे होने की बात कही, क्योंकि राजस्थान सरकार किसानों का डाटा नहीं दे रही है. कटारिया ने कहा कि प्रदेश में 2800000 किसान हैं, उनमें से 1493000 किसानों को ही किसान सम्मान निधि की राशि मिली है. शेष की राशि बाकी है. वहीं दूसरी किस्त तो केवल 49000 किसानों को ही मिली है. यह सरकार की लापरवाही से हुआ.
इसके बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी कटारिया के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जो 10 दिन में कर्ज माफी की घोषणा थी, वह राहुल गांधी ने पूरे देश के किसानों की हालत देखकर की थी, ऐसी घोषणा कर्नाटक में भी सरकार बनने के बाद पूरी हुई, उसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी सरकार बनने के बाद में की गई. वहीं, मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि गंगानगर से आने वाले किसान के बारे में जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार सिंडीकेट बैंक से उनका लोन था. वहीं उन्होंने सुसाइड नोट पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी जांच हो रही है कि यह सुसाइड नोट बाद में क्यों मिला.