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JLF 2022 : महाराणा प्रताप और चेतक पर होने वाली चर्चा महज घोड़ों की नस्ल और खूबियों तक सिमट कर रह गई...

चेतक वो घोड़ा था जिसने अपने मालिक की रक्षा में बलिदान दिया. यही वजह है कि आज भी राजपूत समाज में घोड़ों को लेकर अलग सोच और भावना रहती है, फिर चाहे महिलाएं ही क्यों न हों. ये कहना है लेखिका यशस्विनी चंद्रा का. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन (Jaipur Literature Festival 2022) दरबार हॉल में महाराणा प्रताप और चेतक को लेकर चर्चा होनी थी, जो महज चंद्रा की लिखी 'द टेल ऑफ द हॉर्सेस' बुक तक सिमट कर रह गई.

Discussion of Maharana Pratap in JLF
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में महाराणा प्रताप की चर्चा
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Published : Mar 14, 2022, 7:15 PM IST

Updated : Mar 14, 2022, 8:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन महाराणा प्रताप और चेतक पर होने वाली चर्चा (History of Maharana Pratap in Hindi) महज घोड़ों की नस्ल और खूबियों तक सिमट कर रह गई. सत्र में लेखिका यशस्विनी चंद्रा ने चेतक के बलिदान का जिक्र किया और पूरी चर्चा घोड़ों की नस्ल और उनकी खूबियों पर ही की. चंद्रा से इतिहासकार और पुरातत्वविद रीमा हूजा ने बात की.

यशस्विनी की पुस्तक में भारत के इतिहास को घोड़ों के महत्व से जोड़ते हुए (Feeling in Rajput Society Regarding Horses) शक्ति के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है. उनकी किताब में भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार घोड़ों की दैवीय उत्पत्ति और उनके भारतीय सभ्यता-संस्कृति का हिस्सा बन जाने की कहानी को दर्शाया गया है. सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में अरब और मध्य एशिया से घोड़े हिंदुस्तान में आए और यहां उनकी कई नई नस्लों का जन्म हुआ.

लेखिका यशस्विनी चंद्रा ने क्या कहा...

हिंदुस्तान में मारवाड़ी, काठियावाड़ी, कच्छी, सिंधी, भीमा और दक्खिनी नस्लें बहुत अच्छी मानी जाती थी. उन्होंने अपनी पुस्तक में घोड़ों के व्यापार, प्रजनन, सिक्कों पर घोड़े के चित्र, घोड़ों पर पेंटिंग, राजपूत और मुगल काल के साहित्य में घोड़ों के वर्णन के साथ ही घोड़ों की स्वामी भक्ति और घुड़सवार का घोड़े के प्रति लगाव को दिखाया है. राजस्थान में तो घोड़े राजपूतों की पहचान के साथ जुड़े होते थे. उन्होंने अपनी किताब में बताया कि कैसे प्राचीन काल में मध्य और पश्चिमी एशिया से जमीनी और समुद्र के रास्ते लाखों-हजारों घोड़ों को भारत में लाया जाता था. इसके चलते घोड़ों के व्यापार के कई नए व्यापारिक मार्ग बन गए थे.

पढ़ें : Jaipur Literature Festival 2022 : मनीष मल्होत्रा से लेकर शशि थरूर रहे आकर्षण का केंद्र, पुस्तकों के विमोचन के साथ की खुलकर चर्चा

इससे पहले एक सत्र में आईपीएस अजय लांबा ने आसाराम पर लिखी किताब पर चर्चा की. जिसमें उन्होंने समाज में बदलाव जाने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि आसाराम केस को सॉल्व करने में बड़ी मेहनत करनी पड़ी. कई चुनौतियां आईं, लेकिन सामना किया. उन्हें और उनकी टीम को जांच के दौरान (IPS Ajay Lamba on Asaram) कई बार धमकियां भी दी गईं, लेकिन हार नहीं मानी.

इस दौरान उन्होंने निर्भया केस पर चर्चा करते हुए कहा कि इस मामले के बाद महिलाओं के संरक्षण की बात शुरू हुई. अब महिलाओं के हितों के लिए तेजी से काम हो रहा है. लांबा ने कोर्ट कार्रवाई को लेकर कहा कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से सुनवाई जल्द हो सकती है और दोषियों को जल्द सजा मिल सकती है.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की ये खबर भी पढ़ें :

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जयपुर. राजस्थान में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन महाराणा प्रताप और चेतक पर होने वाली चर्चा (History of Maharana Pratap in Hindi) महज घोड़ों की नस्ल और खूबियों तक सिमट कर रह गई. सत्र में लेखिका यशस्विनी चंद्रा ने चेतक के बलिदान का जिक्र किया और पूरी चर्चा घोड़ों की नस्ल और उनकी खूबियों पर ही की. चंद्रा से इतिहासकार और पुरातत्वविद रीमा हूजा ने बात की.

यशस्विनी की पुस्तक में भारत के इतिहास को घोड़ों के महत्व से जोड़ते हुए (Feeling in Rajput Society Regarding Horses) शक्ति के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है. उनकी किताब में भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार घोड़ों की दैवीय उत्पत्ति और उनके भारतीय सभ्यता-संस्कृति का हिस्सा बन जाने की कहानी को दर्शाया गया है. सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में अरब और मध्य एशिया से घोड़े हिंदुस्तान में आए और यहां उनकी कई नई नस्लों का जन्म हुआ.

लेखिका यशस्विनी चंद्रा ने क्या कहा...

हिंदुस्तान में मारवाड़ी, काठियावाड़ी, कच्छी, सिंधी, भीमा और दक्खिनी नस्लें बहुत अच्छी मानी जाती थी. उन्होंने अपनी पुस्तक में घोड़ों के व्यापार, प्रजनन, सिक्कों पर घोड़े के चित्र, घोड़ों पर पेंटिंग, राजपूत और मुगल काल के साहित्य में घोड़ों के वर्णन के साथ ही घोड़ों की स्वामी भक्ति और घुड़सवार का घोड़े के प्रति लगाव को दिखाया है. राजस्थान में तो घोड़े राजपूतों की पहचान के साथ जुड़े होते थे. उन्होंने अपनी किताब में बताया कि कैसे प्राचीन काल में मध्य और पश्चिमी एशिया से जमीनी और समुद्र के रास्ते लाखों-हजारों घोड़ों को भारत में लाया जाता था. इसके चलते घोड़ों के व्यापार के कई नए व्यापारिक मार्ग बन गए थे.

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इससे पहले एक सत्र में आईपीएस अजय लांबा ने आसाराम पर लिखी किताब पर चर्चा की. जिसमें उन्होंने समाज में बदलाव जाने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि आसाराम केस को सॉल्व करने में बड़ी मेहनत करनी पड़ी. कई चुनौतियां आईं, लेकिन सामना किया. उन्हें और उनकी टीम को जांच के दौरान (IPS Ajay Lamba on Asaram) कई बार धमकियां भी दी गईं, लेकिन हार नहीं मानी.

इस दौरान उन्होंने निर्भया केस पर चर्चा करते हुए कहा कि इस मामले के बाद महिलाओं के संरक्षण की बात शुरू हुई. अब महिलाओं के हितों के लिए तेजी से काम हो रहा है. लांबा ने कोर्ट कार्रवाई को लेकर कहा कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से सुनवाई जल्द हो सकती है और दोषियों को जल्द सजा मिल सकती है.

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Last Updated : Mar 14, 2022, 8:36 PM IST
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