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राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला : गहलोत पायलट दोनों कर चुके मुलाकात..अब जल्द होगा कैबिनेट विस्तार

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दोनों की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हो चुकी है. माना जा रहा है कि अब राजस्थान में कैबिनेट विस्तार जल्द होगा. राजस्थान में सोनिया गांधी का फॉर्मूला लागू होगा.

राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
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Published : Nov 12, 2021, 6:52 PM IST

Updated : Nov 12, 2021, 8:13 PM IST

जयपुर. राजस्थान में भले ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक्सरसाइज पिछले 5 महीने से चल रही है. लेकिन अब तक राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अंतिम फैसला नहीं हो सका है. हालांकि अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गुरुवार और राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट की आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद लग रहा है कि अब कभी भी राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह कह चुके हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला उन्होंने आलाकमान पर छोड़ दिया है. जब आलाकमान निर्देश देगा वे मंत्रिमंडल विस्तार कर देंगे. लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार करना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए इतना आसान भी नहीं होगा. मंत्रिमंडल विस्तार के लिए ज्यादा से ज्यादा 12 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं. अभी राजस्थान में मुख्यमंत्री समेत कुल 21 मंत्री हैं. विस्तार में सीधे तौर पर 9 नए मंत्री बन सकते हैं, जबकि कांग्रेस के एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत के तहत गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा. पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को मंत्री पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त किया जाएगा.

राजस्थान में कैबिनेट विस्तार में किसे क्या मिलेगा ?

ऐसे में इन 12 नए चेहरों में कांग्रेस पार्टी को क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधना अपने आप में एक चुनौती होगा. इसके साथ ही अगर विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को और जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 13 तक पहुंचती है. हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सचिन पायलट लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि सरकार में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाना जरूरी है.

अभी इन जिलों से ही मंत्री

फिलहाल गहलोत कैबिनेट में अजमेर से रघु शर्मा, अलवर से टीकाराम जूली, बारां से प्रमोद जैन भाया, बाड़मेर से हरीश चौधरी, भरतपुरसे सुभाष गर्ग और भजन लाल जाटव, बीकानेर से बीडी कल्ला और भंवर सिंह भाटी, बूंदी से अशोक चांदना, चित्तौड़गढ़ से उदयलाल आंजना, दौसा से परसादी लाल और ममता भूपेश, जयपुर से प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया और महेश जोशी(मुख्य सचेतक-कैबिनेट मंत्री का दर्जा), जैसलमेर से सालेह मोहम्मद, जालौर से सुखराम विश्नोई, जोधपुर से खुद सीएम अशोक गहलोत, कोटा से शांति धारीवाल, राजसमंद से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं.

पढ़ें- सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद बोले पायलट- पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करने वालों को प्रतिष्ठित पद के साथ सम्मान मिलना चाहिए

संभागवार किस जिले में कितने मंत्री

बीकानेर संभाग- बीकानेर संभाग में चार जिले आते हैं. बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ़, गंगानगर. लेकिन बीडी कल्ला और भंवर सिंह भाटी के रूप में दो मंत्री केवल बीकानेर जिले से ही है. चूरू, हनुमानगढ़ और गंगानगर जिले के विधायकों के हाथ खाली हैं. जबकि इन तीनों जिलों में एक निर्दलीय और 8 कांग्रेस विधायक हैं. हालांकि मास्टर भंवर लाल मेघवाल चूरू के सुजानगढ़ से आते थे लेकिन उनके निधन के बाद चूरू का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया.

भरतपुर संभाग- भरतपुर संभाग में भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर जिले आते हैं. इनमें भरतपुर से सुभाष गर्ग और भजनलाल जाटव मंत्री हैं. लेकिन धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर से कोई मंत्री नहीं है. जबकि इन तीन जिलों में कांग्रेस के 10 और एक निर्दलीय विधायक हैं.

जयपुर संभाग- जयपुर सम्भाग में जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर, झुंझुनू जिले हैं. सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री यहीं से हैं. जयपुर से लालचंद कटारिया, प्रताप सिंह खाचरियावास कैबिनेट मंत्री, दौसा से परसादी लाल मीणा, ममता भूपेश, सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा, अलवर से टीकाराम जूली मंत्री हैं.

अजमेर संभाग- अजमेर संभाग में अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, नागौर आते हैं. इनमें सिर्फ अजमेर से रघु शर्मा मंत्री हैं. भीलवाड़ा, टोंक, नागौर में कांग्रेस के 11 विधायक हैं लेकिन मंत्री केवल एक.

जोधपुर संभाग- जोधपुर से खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जैसलमेर से सालेह मोहम्मद, जालौर से सुखराम विश्नोई, बाड़मेर से हरीश चौधरी मंत्री हैं.

कोटा संभाग- कोटा सम्भाग में कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ आते हैं. इनमें कोटा से शांति धारीवाल, बूंदी से अशोक चांदना और बारां से प्रमोद जैन भाया मंत्री हैं.

पढ़ें- उपचुनाव की हार के बाद भी BJP से जुड़े कांग्रेस-बसपा के ये नेता...इनकी हुई घर वापसी

इन 15 जिलों में 39 MLA, एक भी मंत्री नहीं

राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
यहां से कोई मंत्री नहीं

पायलट कैंप से किसे लें, इस पर भी माथापच्ची

राजनीतिक उठापटक के समय सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह ने अपने मंत्री पद गवाएं थे. अब देखना होगा कि पायलट कैंप के रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को दोबारा मंत्री पद मिलता है या मंत्रिमंडल विस्तार में पायलट अपने दूसरे साथी विधायकों को मौका देंगे. हालांकि अब तक कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री बनाने को तैयार हैं. लेकिन अब सचिन पायलट चाहते हैं कि हेमाराम चौधरी, विजेंद्र ओला, मुरारी मीना, दीपेंद्र सिंह शेखावत को मौका मिले. अगर इन चारों के साथ रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को भी मंत्री बनाया जाता है तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह मुख्यमंत्री पर तय करेंगे कि वे पायलट के कोटे से छह मंत्री बना सकते हैं या नहीं, जबकि उनके पास कैबिनेट विस्तार की स्थिति में अधिकतम 13 पद ही हैं.

कैबिनेट की संख्या के आधार पर दलित और महिला भी कम

क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ जातिगत और लैंगिक संतुलन भी गहलोत कैबिनेट में खासा ऊपर नीचे है. जहां उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी 40% टिकट महिलाओं को देने की बात कर रही हैं, तो वहीं राजस्थान में अगर गहलोत मंत्रिमंडल की ओर देखा जाए तो मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्रियों में केवल एक महिला मंत्री ममता भूपेश हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कैबिनेट में अब महिलाओं को पर्याप्त जगह देनी होगी.

ये महिलाएं बन सकती हैं मंत्री

राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
महिला दावेदार

ये दलित नेता कैबिनेट के दावेदार

राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
प्रमुख दलित चेहरे

वहीं गहलोत कैबिनेट में दलितों की संख्या कम तो है ही, इसके साथ ही एकमात्र दलित कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद अब गहलोत कैबिनेट में एक भी दलित मंत्री ऐसा नहीं है जो कैबिनेट दर्जे का हो. ऐसे में अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दलित और महिलाओं को अपने कैबिनेट विस्तार के समय समाहित करना जरूरी भी होगा और एक चुनौती भी.

जयपुर. राजस्थान में भले ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक्सरसाइज पिछले 5 महीने से चल रही है. लेकिन अब तक राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अंतिम फैसला नहीं हो सका है. हालांकि अब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गुरुवार और राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट की आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद लग रहा है कि अब कभी भी राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह कह चुके हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला उन्होंने आलाकमान पर छोड़ दिया है. जब आलाकमान निर्देश देगा वे मंत्रिमंडल विस्तार कर देंगे. लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार करना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए इतना आसान भी नहीं होगा. मंत्रिमंडल विस्तार के लिए ज्यादा से ज्यादा 12 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं. अभी राजस्थान में मुख्यमंत्री समेत कुल 21 मंत्री हैं. विस्तार में सीधे तौर पर 9 नए मंत्री बन सकते हैं, जबकि कांग्रेस के एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत के तहत गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा. पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को मंत्री पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त किया जाएगा.

राजस्थान में कैबिनेट विस्तार में किसे क्या मिलेगा ?

ऐसे में इन 12 नए चेहरों में कांग्रेस पार्टी को क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधना अपने आप में एक चुनौती होगा. इसके साथ ही अगर विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को और जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 13 तक पहुंचती है. हर क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सचिन पायलट लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि सरकार में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाना जरूरी है.

अभी इन जिलों से ही मंत्री

फिलहाल गहलोत कैबिनेट में अजमेर से रघु शर्मा, अलवर से टीकाराम जूली, बारां से प्रमोद जैन भाया, बाड़मेर से हरीश चौधरी, भरतपुरसे सुभाष गर्ग और भजन लाल जाटव, बीकानेर से बीडी कल्ला और भंवर सिंह भाटी, बूंदी से अशोक चांदना, चित्तौड़गढ़ से उदयलाल आंजना, दौसा से परसादी लाल और ममता भूपेश, जयपुर से प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया और महेश जोशी(मुख्य सचेतक-कैबिनेट मंत्री का दर्जा), जैसलमेर से सालेह मोहम्मद, जालौर से सुखराम विश्नोई, जोधपुर से खुद सीएम अशोक गहलोत, कोटा से शांति धारीवाल, राजसमंद से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं.

पढ़ें- सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद बोले पायलट- पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करने वालों को प्रतिष्ठित पद के साथ सम्मान मिलना चाहिए

संभागवार किस जिले में कितने मंत्री

बीकानेर संभाग- बीकानेर संभाग में चार जिले आते हैं. बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ़, गंगानगर. लेकिन बीडी कल्ला और भंवर सिंह भाटी के रूप में दो मंत्री केवल बीकानेर जिले से ही है. चूरू, हनुमानगढ़ और गंगानगर जिले के विधायकों के हाथ खाली हैं. जबकि इन तीनों जिलों में एक निर्दलीय और 8 कांग्रेस विधायक हैं. हालांकि मास्टर भंवर लाल मेघवाल चूरू के सुजानगढ़ से आते थे लेकिन उनके निधन के बाद चूरू का प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया.

भरतपुर संभाग- भरतपुर संभाग में भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर जिले आते हैं. इनमें भरतपुर से सुभाष गर्ग और भजनलाल जाटव मंत्री हैं. लेकिन धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर से कोई मंत्री नहीं है. जबकि इन तीन जिलों में कांग्रेस के 10 और एक निर्दलीय विधायक हैं.

जयपुर संभाग- जयपुर सम्भाग में जयपुर, दौसा, सीकर, अलवर, झुंझुनू जिले हैं. सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री यहीं से हैं. जयपुर से लालचंद कटारिया, प्रताप सिंह खाचरियावास कैबिनेट मंत्री, दौसा से परसादी लाल मीणा, ममता भूपेश, सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा, अलवर से टीकाराम जूली मंत्री हैं.

अजमेर संभाग- अजमेर संभाग में अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, नागौर आते हैं. इनमें सिर्फ अजमेर से रघु शर्मा मंत्री हैं. भीलवाड़ा, टोंक, नागौर में कांग्रेस के 11 विधायक हैं लेकिन मंत्री केवल एक.

जोधपुर संभाग- जोधपुर से खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जैसलमेर से सालेह मोहम्मद, जालौर से सुखराम विश्नोई, बाड़मेर से हरीश चौधरी मंत्री हैं.

कोटा संभाग- कोटा सम्भाग में कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ आते हैं. इनमें कोटा से शांति धारीवाल, बूंदी से अशोक चांदना और बारां से प्रमोद जैन भाया मंत्री हैं.

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इन 15 जिलों में 39 MLA, एक भी मंत्री नहीं

राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
यहां से कोई मंत्री नहीं

पायलट कैंप से किसे लें, इस पर भी माथापच्ची

राजनीतिक उठापटक के समय सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह ने अपने मंत्री पद गवाएं थे. अब देखना होगा कि पायलट कैंप के रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को दोबारा मंत्री पद मिलता है या मंत्रिमंडल विस्तार में पायलट अपने दूसरे साथी विधायकों को मौका देंगे. हालांकि अब तक कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री बनाने को तैयार हैं. लेकिन अब सचिन पायलट चाहते हैं कि हेमाराम चौधरी, विजेंद्र ओला, मुरारी मीना, दीपेंद्र सिंह शेखावत को मौका मिले. अगर इन चारों के साथ रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को भी मंत्री बनाया जाता है तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह मुख्यमंत्री पर तय करेंगे कि वे पायलट के कोटे से छह मंत्री बना सकते हैं या नहीं, जबकि उनके पास कैबिनेट विस्तार की स्थिति में अधिकतम 13 पद ही हैं.

कैबिनेट की संख्या के आधार पर दलित और महिला भी कम

क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ जातिगत और लैंगिक संतुलन भी गहलोत कैबिनेट में खासा ऊपर नीचे है. जहां उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी 40% टिकट महिलाओं को देने की बात कर रही हैं, तो वहीं राजस्थान में अगर गहलोत मंत्रिमंडल की ओर देखा जाए तो मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्रियों में केवल एक महिला मंत्री ममता भूपेश हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कैबिनेट में अब महिलाओं को पर्याप्त जगह देनी होगी.

ये महिलाएं बन सकती हैं मंत्री

राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
महिला दावेदार

ये दलित नेता कैबिनेट के दावेदार

राजस्थान में सोनिया का सियासी फॉर्मूला
प्रमुख दलित चेहरे

वहीं गहलोत कैबिनेट में दलितों की संख्या कम तो है ही, इसके साथ ही एकमात्र दलित कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद अब गहलोत कैबिनेट में एक भी दलित मंत्री ऐसा नहीं है जो कैबिनेट दर्जे का हो. ऐसे में अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दलित और महिलाओं को अपने कैबिनेट विस्तार के समय समाहित करना जरूरी भी होगा और एक चुनौती भी.

Last Updated : Nov 12, 2021, 8:13 PM IST
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