जयपुर. बाड़मेर के ग्रामीण पुलिस थाने में दलित युवक जितेंद्र को बिना किसी अपराध और बिना मुकदमे के 24 घंटे पुलिस हिरासत में रखना और कस्टडी में उसकी मौत हो जाने के मामले में शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा में चर्चा रखी गई है. जिसमें सरकार अपना जवाब देते हुए घटना की जानकारी सदन में देगी.
इस चर्चा में यह तय था कि विपक्ष हंगामा करता और इस मामले में एसपी को हटाने की मांग करता. लेकिन राज्य सरकार ने इस पर एक रात पहले ही निर्णय लेते हुए ना केवल बाड़मेर ग्रामीण के थानाधिकारी दीप सिंह और पूरे थाने को लाइन हाजिर किया है, बल्कि बाड़मेर एसपी शरद चौधरी को भी एपीओ कर दिया है.
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ऐसे में शुक्रवार को सदन में विपक्ष के पास केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करने के अलावा कोई अन्य मांग करना मुश्किल ही दिखाई दे रहा है. बाड़मेर मामले में सरकार ने राजनीतिक सूझबूझ दिखाई है और इसी के चलते इस मामले में सदन में नागौर में दलित युवक की पिटाई के मामले की तरह सरकार नहीं घिरेगी.
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जिसमें पूरे विपक्ष ने पुलिस पर कार्रवाई करने की मांग की थी. सदन में हुए हंगामे और थाना अधिकारी पर कार्रवाई के बाद भी विपक्ष की मांग थी कि नागौर एसपी पर भी कार्रवाई की जाए. लेकिन बाड़मेर मामले में सरकार अब विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं देना चाहती थी. ऐसे में सदन में सवाल उठने से पहले ही इस कार्रवाई से सरकार ने अपना बचाव कर लिया है. हालांकि प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सदन में सरकार को विपक्ष के आरोप झेलने पड़ेंगे.