जयपुर. देश की आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राजस्थान राजभवन में भक्ति उत्सव से जुड़े कार्यक्रम हो रहे हैं (Raj Bhavan under azadi ka amrit mahotsav). इसी कड़ी में बुधवार को राज्यपाल कलराज मिश्र की उपस्थिति में राजभवन में भजन गायकों ने सगुण और निर्गुण भजनों, कीर्तन के साथ ही महाराष्ट्र की भक्ति परंपरा की रंजक प्रस्तुतियां दी गईं. राज्यपाल मिश्र ने भारतीय भक्ति परम्परा की सराहना करते हुए कलाकारों का अभिनन्दन किया.
कार्यक्रम में गुरुवार देर शाम पंढरपुर की चंदा ताई और साथियों ने विट्ठल की आराधना से जुड़े तुकाराम, कबीर, नामदेव, एकनाथ आदि सन्तों के भाव प्रसंगों की सांगीतिक-नृत्यमय कथा प्रस्तुति दी. उन्होंने अपनी विशिष्ट लोक नाट्य शैली भारुड में भगवद कथा और संत महिमा गाकर उपस्थित जन को आनंदित किया. उन्होंने भजन 'म्हारा सतगुरु पकड़यो हाथ नहीं तो बह जाती' सुना कर सद्गुरु वंदना से भजनों की शुरुआत की. उन्होंने संत एकनाथ का भजन गाकर साईं महिमा को बहुत सुंदर रूप में वर्णित किया. इसके बाद उन्होंने 'मैं तो हरि गुण गावत नाचूंगी', 'विराजे गौवर्धन गिरधारी.' और जैसे संत तुकाराम, मीराबाई के एक के बाद एक कई सुंदर भजन सुना कर भक्ति रस की गंगा बहाई.
प्रख्यात भजन गायक ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने गणपति वंदना के सूरदास जी का भजन 'प्रभु मेरे अवगुण चित न धरो', मीरा के 'भज मन चरण कमल अविनाशी' सहित गोस्वामी तुलसीदास और संत कबीर के भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां दीं. राज्यपाल कलराज मिश्र और उनके परिजन सहित राज्य का आला अधिकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे.