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अब सरकार की अनुमति के बिना भूमि आवंटन नहीं कर सकेंगे विकास प्राधिकरण, निकाय और आवासन मंडल

अब राजस्थान में भूमि आवंटन से पहले विकास प्राधिकरण, निकाय और आवासन मंडल को भी सरकार से अनुमति लेनी होगी. प्रदेश के यूडीएच विभाग ने यह आदेश जारी किया है. पढे़ं विस्तृत खबर

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Published : Nov 28, 2020, 10:57 AM IST

UDH minister Shanti dhariwal
UDH minister Shanti dhariwal

जयपुर. राज्य सरकार ने शहरी निकायों से भूमि आवंटन के अधिकार छीन लिए हैं. एक शहरी निकाय में सरकार की मंशा के विपरीत आवंटन होने के बाद अब यूडीएच विभाग ने आदेश जारी करते हुए, भूमि आवंटन के लिए राज्य सरकार से अनुमति को अनिवार्य बताया है.

UDH minister Shanti dhariwal
सरकार द्वारा जारी किए आदेश की कॉपी

पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने 5 अक्टूबर 2015 को भूमि आवंटन नीति जारी की थी. इस नीति में सरकारी, अर्द्ध सरकारी संस्था और चैरिटेबल ट्रस्ट को भूमि देने के अधिकार निकायों को दिए गए थे. इस आदेश पर रोक लगाते हुए अब राज्य सरकार ने सभी विकास प्राधिकरण, न्यास, निकायों और आवासन मंडल से भूमि आवंटन का अधिकार छीन लिया है. भूमि आवंटन चाहे रियायती हो या पूरी कीमत पर इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.

पढ़ेंः श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में भीषण सड़क हादसा, ट्रक की टक्कर से बोलेरो के उड़े परखच्चे...4 की मौत, एक घायल

नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए सावंत ने इस संबंध में आदेश जारी किये. साथ ही आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि यदि सरकार की अनुमति के बिना आवंटन किया जाता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के मुताबिक बीते दिनों एक शहरी निकाय ने सरकार की मंशा के विपरीत जमीन आवंटन का फैसला कर लिया था. इसकी जानकारी मिलने पर पहले स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी किए. और अब नगरीय विकास विभाग ने सख्ती दिखा दी है. यूडीएच मंत्री ने उच्चाधिकारियों को ऐसे मामलों में पूरी मॉनिटरिंग करने के निर्देश भी दिए हैं.

आपको बता दें कि इसी साल 29 अप्रैल को विभाग ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें विकास प्राधिकरण, आवासन मंडल, नगर सुधार न्यास, नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका मंडल को स्वयं स्तर पर भूमि आवंटन निर्णय के बाद अनुमोदन के लिए फाइल सरकार के पास भेजनी होती थी. लेकिन अब जमीन आवंटन का अधिकार पूरी तरह खत्म कर दिया गया है.

जयपुर. राज्य सरकार ने शहरी निकायों से भूमि आवंटन के अधिकार छीन लिए हैं. एक शहरी निकाय में सरकार की मंशा के विपरीत आवंटन होने के बाद अब यूडीएच विभाग ने आदेश जारी करते हुए, भूमि आवंटन के लिए राज्य सरकार से अनुमति को अनिवार्य बताया है.

UDH minister Shanti dhariwal
सरकार द्वारा जारी किए आदेश की कॉपी

पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने 5 अक्टूबर 2015 को भूमि आवंटन नीति जारी की थी. इस नीति में सरकारी, अर्द्ध सरकारी संस्था और चैरिटेबल ट्रस्ट को भूमि देने के अधिकार निकायों को दिए गए थे. इस आदेश पर रोक लगाते हुए अब राज्य सरकार ने सभी विकास प्राधिकरण, न्यास, निकायों और आवासन मंडल से भूमि आवंटन का अधिकार छीन लिया है. भूमि आवंटन चाहे रियायती हो या पूरी कीमत पर इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.

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नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर प्रमुख शासन सचिव भास्कर ए सावंत ने इस संबंध में आदेश जारी किये. साथ ही आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि यदि सरकार की अनुमति के बिना आवंटन किया जाता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के मुताबिक बीते दिनों एक शहरी निकाय ने सरकार की मंशा के विपरीत जमीन आवंटन का फैसला कर लिया था. इसकी जानकारी मिलने पर पहले स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी किए. और अब नगरीय विकास विभाग ने सख्ती दिखा दी है. यूडीएच मंत्री ने उच्चाधिकारियों को ऐसे मामलों में पूरी मॉनिटरिंग करने के निर्देश भी दिए हैं.

आपको बता दें कि इसी साल 29 अप्रैल को विभाग ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें विकास प्राधिकरण, आवासन मंडल, नगर सुधार न्यास, नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका मंडल को स्वयं स्तर पर भूमि आवंटन निर्णय के बाद अनुमोदन के लिए फाइल सरकार के पास भेजनी होती थी. लेकिन अब जमीन आवंटन का अधिकार पूरी तरह खत्म कर दिया गया है.

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