जयपुर. संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि आर्थिक विकास के मापदंडों में सड़क एक आधारभूत संरचना है. यह अन्य आधारभूत संरचनाओं के विकास का भी आधार है. किसी भी क्षेत्र की विकास प्रक्रिया एवं आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण में सड़क तंत्र को मजबूत बनाना राज्य सरकार का प्राथमिक कार्य है. उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र का आधारभूत विकास सड़कों के बिना संभव नहीं है.
राज्य का सार्वजनिक निर्माण विभाग सड़क तंत्र को सुदृढ़ करने व विस्तारित करने एवं इनके उचित रख-रखाव के लिए उत्तरदायी है. धारीवाल विधानसभा में मांग संख्या 21 (सड़कें एवं पुल) की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे. चर्चा के बाद सदन ने सड़कें एवं पुल की 77 अरब 83 करोड़ 47 लाख 69 हजार रुपए की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दी.
2 साल में 26,530 किमी सड़कों का विकास कार्य
धारीवाल ने बताया कि पिछले 2 वर्ष 2 महीने में 26,530 किमी लंबाई में सड़कों के विकास कार्य पूर्ण किए गए हैं. इनमें से 4480 किमी लंबाई की नई ग्रामीण सड़कों का निर्माण कर 243 गांवों को लाभान्वित किया है. साथ ही 3286 किमी लंबाई में राज्य राजमार्गों, जिला सड़कों और 1828 किलोमीटर लंबाई में ग्रामीण सड़कों के विकास कार्य करवाए गए हैं. इन पर 11,864 करोड़ रुपए का कुल व्यय किया गया है.
शांति धारीवाल ने बताया कि वर्तमान सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार की ओर से स्वीकृत कार्यों को करवाने के साथ 6096 करोड़ रुपए लागत के 4248 नवीन कार्य स्वीकृत कर शुरू किए गए हैं. इनसे 17,786 किमी लंबाई में सड़कों का निर्माण होगा. इनमें 15 नवीन पुलों और आरओबी का निर्माण कार्य भी शामिल है.
5900 से अधिक सड़क कार्य प्रगति पर
धारीवाल ने बताया कि वर्तमान में 10 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक लागत के 5900 से अधिक सड़क कार्य प्रगति पर हैं. उन्होंने बताया कि इस वर्ष कोविड-19 से वित्तीय संसाधनों में कमी आई है. इसके बावजूद लंबित बिलों का भुगतान करने के लिए उचित बजट का प्रावधान कर संवेदकों को भुगतान का प्रयास किया जा रहा है.
प्रति विधानसभा 5 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य होंगे शुरू
उन्होंने बताया कि 2011 की जनसंख्या को आधार पर प्रथम चरण में 500 और अधिक आबादी के 330 गांवों तक सड़क सुविधा पहुंचाने के लिए 1314 किमी लंबाई में डामर की सड़कों का निर्माण और 183 ग्राम पंचायतों पर विकास पथों का कार्य प्रगति पर है. उन्होंने बताया कि नोन-पेचेबल सड़कों का सुदृढ़ीकरण और नवीनीकरण या मिंसिंग लिंक सड़कों के प्रति विधानसभा 5 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य स्वीकृत कर शुरू कराए जाएंगे.
मरम्मत योग्य सड़कों की मरम्मत लगभग पूर्ण
धारीवाल ने बताया कि गत वर्ष अधिक वर्षा से सड़कें अधिक क्षतिग्रस्त होने के बाद इस वित्तीय वर्ष में वर्षा के बाद सड़कों की मरम्मत अभियान के रूप में की गई. अभियान से पूर्व 48,656 किमी लंबाई में सड़कें मरम्मत योग्य थी, जिनका कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है. राज्य के 15 जिलों में विभाग की 3374 सड़कों की मरम्मत के लिए आपदा राहत कोष के जरिए 83 करोड़ 67 लाख रुपए लागत के कार्य प्रगति पर हैं.
आगामी बजट में 8 आरओबी का निर्माण होगा शुरू
धारीवाल ने बताया कि राज्य के 6 रेलवे फाटकों पर आरओबी निर्माण का कार्य इस वित्तीय वर्ष में पूरा किया गया और 34 आरओबी का कार्य प्रगति पर है. अगले बजट में कुल 8 आरओबी का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा. इसके अलावा 8 नए स्थानों पर आरओबी निर्माण कार्य की डीपीआर तैयार कराई जाएगी. राज्य में 19 रेलवे क्रॉसिंग स्थानों पर आरयूबी का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है. अभी 13 स्थानों पर आरयूबी का निर्माण प्रगति पर है. साथ ही 24 नवीन आरयूबी निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है. फतेहपुर में एलसी 32 पर आरयूबी का निर्माण कार्य भी शुरू करवाया जाएगा.
बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों को जोड़ने वाली नदी पर बनेगा पुल
उन्होंने बताया कि बेणेष्वर धाम में बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों को जोड़ने वाली नदी पर, खातोली-सवाई माधोपुर सड़क पर जरेल के पास चंबल नदी पर और बांसवाड़ा जिले में गलियाकोट-बड़िया सड़क पर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण कार्य आगामी वर्ष में शुरू होगा. राज्य के 9 स्थानों पर उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण, चंबल नदी पर सोने का गुर्जा सहित कार्य शुरू होगा. राज्य राजमार्ग संख्या 120 पर स्थित गोठड़ा कलां, जिला कोटा में चंबल नदी पर उच्च स्तरीय पुल के निर्माण के लिए डीपीआर तैयार कराई जाएगी.
PMGSY में 8663 किमी सड़कों का अपग्रेडेशन होगा
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के फेज तृतीय में मार्च 2025 तक प्रदेश की 8663 किमी लंबाई की कृषि विपणन केंद्रों, माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों को जोड़ने वाली ग्रामीण सड़कों का अपग्रेडेशन लगभग 4245 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा. इसके प्रथम चरण में 5821 किमी लंबाई की 611 ग्रामीण सड़कों के अपग्रेडेशन कार्य 3122 करोड़ रुपए की लागत से शुरू किए गए हैं. इनमें 6 पुलों का कार्य भी शामिल है. इनको आगामी वर्ष तक पूरा कर लिया जाएगा.
अच्छे कार्य के लिए मिले 307 करोड़ रुपए
धारीवाल ने बताया कि PMGSY में राज्य को अच्छा कार्य करने के लिए 307 करोड़ का वित्तीय प्रोत्साहन भी मिला है. जिसकी स्वीकृति सड़कों के मरम्मत एवं सुधार आदि के लिए जारी कर दी गई है.
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में अग्रणी बन रहा राजस्थान
संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने बताया कि राज्य सरकार के सतत प्रयासों के चलते राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के क्षेत्र में राजस्थान राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बन गया है. वर्तमान में राज्य में 10,618 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग हैं. इनमें 2314 करोड़ रुपए की लागत से 444 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों को विकसित किया गया है. साथ ही 250 किलोमीटर लंबाई में नवीनीकरण करवाया गया है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 817 किलोमीटर के 37 कार्य सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से प्रगतिरत हैं. इनकी लागत 4 हजार 218 करोड़ रुपए हैं.
धारीवाल ने बताया कि भारतमाला योजना अंतर्गत दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे के लिए 4,174 हेक्टेयर और अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे के लिए 5,032 हेक्टेयर भूमि अवाप्त कर हस्तांतरित कर दी गई है. केंद्रीय सड़क आधारभूत निधि योजना के अंतर्गत 290 करोड़ रुपए का व्यय कर 1 आरओबी, 1 पुल और 297 किलोमीटर लंबी राज्य सड़कों को विकसित किया गया है. वर्तमान में 361 करोड़ रुपए लागत के 78 किलोमीटर लंबे 8 कार्य प्रगतिरत हैं. उन्होंने बताया कि भारत सरकार से वर्ष 2020-21 में 723 करोड रुपए लागत के 32 कार्यों की स्वीकृति प्राप्त हुई है.
33 जिलों में स्टेट हाईवे का काम जोरों पर
संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि आगामी वर्ष में 1,565 करोड़ रुपए की लागत से 619 किलोमीटर लंबाई के 10 राज्य राजमार्गों का काम शुरू किया जाएगा. इन स्टेट हाईवे से 10 जिले लाभान्वित होंगे. इसके अलावा आगामी वर्षों में 2,315 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 972 किलोमीटर लंबाई के 17 राज्य राजमार्गों और मुख्य जिला सडकों को भी विकसित किया जाएगा. इन सड़कों से 16 जिले लाभान्वित होंगे.
नवाचार से पर्यावरण को कर रहे संरक्षित
धारीवाल ने बताया कि राज्य में डामर सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग किया जा रहा है. इससे ना केवल पर्यावरण का संरक्षण होगा बल्कि सड़कें भी ज्यादा टिकाऊ बनेंगी. वर्तमान में पीएमजीएसवाई, आरआईडीएफ और एनएच के तहत 2,091 किलोमीटर के डामरीकरण कार्य में 1,176 टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग किया गया है.
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2020 से संवेदकों का ई-पंजीयन शुरू कर दिया गया है. वर्तमान में जीडब्ल्यूएमएस के माध्यम से ऑनलाईन स्वीकृतियां भी जारी की जा रही है. सड़कों के सुधार और रखरखाव के लिए 'नेटवर्क सर्वे व्हीकल' से सड़क नेटवर्क की जानकारी एकत्रित की जा रही है. उन्होंने बताया कि 2 हजार किलोमीटर का पायलट डेटा इकट्ठा कर लिया गया है और जून 2021 के आखिर तक इसे तैयार कर लिया जाएगा.