ETV Bharat / city

संविदाकर्मियों को नियमित करने और राजकीय कर्मचारियों को आर्थिक राहत की फिर उठी मांग

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुंक्त महासंघ (एकीकृत) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य कर्मियों के माह मार्च के वेतन स्थगन को बहाल कर आगामी माह से पूर्ण वेतन देने की मांग की है. इसके साथ ही राज्य सरकार किसी भी राज्य कर्मी के वेतन और महंगाई भत्तों पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व, कर्मचारी संगठनों की राय ले.

jaipur news,  rajasthan news,  etvbharat news, संविदाकर्मियों को नियमित, जयपुर में संविदाकर्मी,  राजस्थान कर्मचारी सयुंक्त महासंघ,  संविदाकर्मियों की मांग
संविदाकर्मियों को नियमित करने की मांग
author img

By

Published : Apr 26, 2020, 9:53 AM IST

जयपुर. राज्य के संविदाकर्मियों को नियमित करने और राजकीय कर्मचारियों को आर्थिक राहत की फिर मांग उठने लगी है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुंक्त महासंघ (एकीकृत) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य कर्मियों के माह मार्च के वेतन स्थगन को बहाल कर आगामी माह से पूर्ण वेतन देने की मांग की है. इसके साथ ही राज्य सरकार किसी भी राज्य कर्मी के वेतन और महंगाई भत्तों पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व, कर्मचारी संगठनों की राय ले.

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि, हाल ही में राजस्थान में कोरोना संक्रमण आपदा में आपातकालीन परिस्थितियों में चिकित्सा और पुलिस कर्मियों के अलावा भी राजस्थान के 70 फीसदी अन्य वर्गों के कर्मचारी कलेक्टर और चुनाव अधिकारियों के माध्यम से वास्तविक रूप से धरातल पर राहत कार्यों में लगे हुए हैं.

पढ़ेंः MSME इकाइयों में फैली अफवाह को सरकार ने नकारा, कहा- संक्रमित कार्मिकों पर कोई कार्रवाई नहीं

राजस्थान में लॉकडाउन का निर्णय सरकार का है, जो जनहित में आवश्यक भी है. हाल ही में ऐसी विषम परिस्थितियों में निजी चिकित्सालयों ने भी कोरोना संक्रमण के भय से आमजन से आम मरीजों से अपना रवैया बदल लिया है. यह सभी चिकत्सीय क्षेत्र में व्यवसाय के लिए कार्य कर रहे है. ऐसे हालातों में सरकारी कर्मी ही इस वक्त मैदान में है और आगे तक भी रहेगा. कई सविंदा कर्मी भी अपनी जान जोखिम में डालकर और घर परिवार छोड़ कर मैदान में है.

इस वक्त राष्ट्र को और राज्य को जान जोखिम में डालकर सेवा करने वालों की आवश्यकता है न कि इन निजी चिकित्सा कर्मियों की जो कभी से मैदान छोड़कर घर पर बैठे है और यह सरकार के नियन्त्रण में भी नहीं रहे है. इसके साथ ही सभी राजकीय कर्मचारी इस बार माह अप्रैल से पूर्ण वेतन की उम्मीद रखते हैं, चूंकि सभी ने अपने अपने हाउसिंग और अन्य ऋण की क़िस्त, बिजली का बिल ज्यों का त्यों भरा है. बच्चों की वार्षिक फीस पहले ही दे चुके हैं.

पढ़ेंः घर-घर मनेगी अक्षय तृतीया, ऑनलाइन होगा अक्षय महिमा प्रतियोगिता का आयोजन

सरकार द्वारा घोषित इन राहत पैकेजों पर निजी बैंकों और बिजली कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ता दिखाई दिया है. कृपया राज्य कर्मियों का माह मार्च का वेतन स्थगन बहाल करते हुए पूर्ण राहत दे औऱ अग्रिम माह से समस्त राज्य और संविदा कर्मियों के साथ-साथ प्रोबेशन पीरियड वाले ऐसे कर्मियों को भी नियमित रूप से पूर्ण वेतन दे जिनको फिलहाल 20 हजार से भी कम का मासिक वेतन मिल रहा है.

ऐसे में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुंक्त महासंघ (एकीकृत) ने राज्य सरकार मांगों पर विचार करते हुए राज्य कर्मचारियों के प्रति निर्णय लेने से पूर्व कर्मचारियों की भावनाओ और आवश्यकताओं का ध्यान रखे. इसके साथ ही राज्य सरकार किसी भी राज्य कर्मी के वेतन और महंगाई भत्तों पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व, कर्मचारी संगठनों की राय जरूर ले, सरकार के पूर्व वेतन स्थगन और कटौती निर्णयों पर आम कर्मचारियों से राय नहीं लेने पर रोष व्याप्त है.

जयपुर. राज्य के संविदाकर्मियों को नियमित करने और राजकीय कर्मचारियों को आर्थिक राहत की फिर मांग उठने लगी है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुंक्त महासंघ (एकीकृत) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य कर्मियों के माह मार्च के वेतन स्थगन को बहाल कर आगामी माह से पूर्ण वेतन देने की मांग की है. इसके साथ ही राज्य सरकार किसी भी राज्य कर्मी के वेतन और महंगाई भत्तों पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व, कर्मचारी संगठनों की राय ले.

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि, हाल ही में राजस्थान में कोरोना संक्रमण आपदा में आपातकालीन परिस्थितियों में चिकित्सा और पुलिस कर्मियों के अलावा भी राजस्थान के 70 फीसदी अन्य वर्गों के कर्मचारी कलेक्टर और चुनाव अधिकारियों के माध्यम से वास्तविक रूप से धरातल पर राहत कार्यों में लगे हुए हैं.

पढ़ेंः MSME इकाइयों में फैली अफवाह को सरकार ने नकारा, कहा- संक्रमित कार्मिकों पर कोई कार्रवाई नहीं

राजस्थान में लॉकडाउन का निर्णय सरकार का है, जो जनहित में आवश्यक भी है. हाल ही में ऐसी विषम परिस्थितियों में निजी चिकित्सालयों ने भी कोरोना संक्रमण के भय से आमजन से आम मरीजों से अपना रवैया बदल लिया है. यह सभी चिकत्सीय क्षेत्र में व्यवसाय के लिए कार्य कर रहे है. ऐसे हालातों में सरकारी कर्मी ही इस वक्त मैदान में है और आगे तक भी रहेगा. कई सविंदा कर्मी भी अपनी जान जोखिम में डालकर और घर परिवार छोड़ कर मैदान में है.

इस वक्त राष्ट्र को और राज्य को जान जोखिम में डालकर सेवा करने वालों की आवश्यकता है न कि इन निजी चिकित्सा कर्मियों की जो कभी से मैदान छोड़कर घर पर बैठे है और यह सरकार के नियन्त्रण में भी नहीं रहे है. इसके साथ ही सभी राजकीय कर्मचारी इस बार माह अप्रैल से पूर्ण वेतन की उम्मीद रखते हैं, चूंकि सभी ने अपने अपने हाउसिंग और अन्य ऋण की क़िस्त, बिजली का बिल ज्यों का त्यों भरा है. बच्चों की वार्षिक फीस पहले ही दे चुके हैं.

पढ़ेंः घर-घर मनेगी अक्षय तृतीया, ऑनलाइन होगा अक्षय महिमा प्रतियोगिता का आयोजन

सरकार द्वारा घोषित इन राहत पैकेजों पर निजी बैंकों और बिजली कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ता दिखाई दिया है. कृपया राज्य कर्मियों का माह मार्च का वेतन स्थगन बहाल करते हुए पूर्ण राहत दे औऱ अग्रिम माह से समस्त राज्य और संविदा कर्मियों के साथ-साथ प्रोबेशन पीरियड वाले ऐसे कर्मियों को भी नियमित रूप से पूर्ण वेतन दे जिनको फिलहाल 20 हजार से भी कम का मासिक वेतन मिल रहा है.

ऐसे में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुंक्त महासंघ (एकीकृत) ने राज्य सरकार मांगों पर विचार करते हुए राज्य कर्मचारियों के प्रति निर्णय लेने से पूर्व कर्मचारियों की भावनाओ और आवश्यकताओं का ध्यान रखे. इसके साथ ही राज्य सरकार किसी भी राज्य कर्मी के वेतन और महंगाई भत्तों पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व, कर्मचारी संगठनों की राय जरूर ले, सरकार के पूर्व वेतन स्थगन और कटौती निर्णयों पर आम कर्मचारियों से राय नहीं लेने पर रोष व्याप्त है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.