जयपुर. लॉकडाउन के दौरान पुलिस की ओर से जब्त किए गए वाहनों को रिलीज करने के लिए 3 मोबाइल कोर्ट्स के संचालन का वकीलों ने विरोध किया है.
इस संबंध में दी बार एसोसिएशन की ओर से मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर गाड़ियों को छोड़ने को अति आवश्यक श्रेणी में नहीं मानने की गुहार की है.
एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने बताया कि हाईकोर्ट ने लॉकडाउन में अति आवश्यक मुकदमों की सुनवाई के संबंध में आदेश जारी कर रखे हैं. जिसमें सुपुर्दगी को भी अति आवश्यक मुकदमों की श्रेणी में माना गया है.
पुलिस की ओर से लॉकडाउन के दौरान जब्त वाहनों को रिलीज कराने के प्रार्थना पत्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला न्यायालय ने तीन मोबाइल कोर्ट्स के संचालन का आदेश दिया है. जिसके चलते अदालत में पक्षकार और वकीलों की भीड़ एकत्रित हो गई.
पत्र में कहा गया कि लॉकडाउन में वैसे भी वाहनों का उपयोग वर्जित है. ऐसे में वाहनों को रिलीज करने को अति आवश्यक श्रेणी में नहीं माना जाए. ऐसा नहीं करने पर अदालतों में भीड़ बढ़ेगी और 1 माह से चल रहा लॉकडाउन विफल हो जाएगा.
पढ़ें: कोरोना की जंग में समाजसेवी निभा रहे भूमिका, जयपुर सेंट्रल जेल को किया सैनिटाइज
वहीं डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन के महासचिव गजराज सिंह का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान शहर में करीब 15,000 वाहन जब्त किए गए हैं. जब्त वाहनों में बड़ी संख्या रामगंज इलाके से पकड़े गए वाहनों की है. ऐसे में लॉकडाउन पूरा होने के बाद ही इन्हें रिलीज करने पर निर्णय होना चाहिए. यदि इन्हें पहले छोड़ा गया तो लोग लॉकडाउन में वाहन चलाने को लेकर हतोत्साहित नहीं होंगे और सड़कों पर भी वाहनों की संख्या बढ़ेगी.