जयपुर. जिले के तीनों उप पंजीयन कार्यालय ने विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं. वर्तमान में चल रहे श्राद्ध पक्ष के कारण उप पंजीयन कार्यालय सूने पड़े हैं. इससे विभाग की चिंताएं बढ़ गईं हैं. आंकड़ो के अनुसार विभाग की आय तो बढ़ रही है, लेकिन वह अपना लक्ष्य पाने में पिछड़ रहा है.
उप पंजीयन कार्यलयों के पिछले 3 साल के आंकड़े देखें तो रजिस्ट्री से आय तो बढ़ रही है लेकिन विभाग अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रहा. वर्ष 2017-18 में उप पंजीयन प्रथम, द्वितीय, तृतीय की आय 988 करोड़ रुपए की हुई. वहीं, वर्ष 2018-19 में यह आय बढ़कर 1037 करोड़ की हो गई. लेकिन इन आंकड़ो में परेशान करने वाली बात यह है कि जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था वह घट चुका है.
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वर्ष 2017- 18 में उप पंजीयन प्रथम ने 78% लक्ष्य हासिल किया. वहीं, 2019 में लक्ष्य घटकर 64% ही रह गया. यही हाल दो अन्य उप पंजीयन कार्यलयों का भी हुआ है. ऐसे में अब वर्ष 2019-20 में विभाग की ओर से लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी की जा रही है. लेकिन हाल ही में बढ़ी डीएलसी रेट और फिर श्राद्ध पक्ष के कारण उप पंजीयन कार्यालय सूने पड़ गए हैं. जहां औसतन 50 रजिस्ट्री रोज हो रही थी उनकी संख्या श्राद्ध पक्ष में घटकर अब पांच ही रह गई है.
पिछले 3 साल में रजिस्ट्री से हुई आय का विवरण
वर्ष 2017-18 में उप पंजीयन कार्यालय प्रथम में रजिस्ट्री से करीब 535 करोड़, उप पंजीयन कार्यालय द्वितीय से 283 करोड़ और उप पंजीयन कार्यालय तृतीय से 171 करोड़ रुपये की आय हुई.
वर्ष 2018-19 में उप पंजीयन कार्यालय प्रथम में रजिस्ट्री से करीब 551 करोड़, उप पंजीयन कार्यालय द्वितीय से 301 करोड़ और उप पंजीयन कार्यालय तृतीय से 185 करोड़ रुपये की आय हुई.
वर्ष 2019-20 में अब तक की बात की जाए तो उप पंजीयन कार्यालय प्रथम में रजिस्ट्री से 211 करोड़, उप पंजीयन कार्यालय द्वितीय से 111 करोड़ और उप पंजीयन कार्यालय तृतीय से 559 करोड़ रुपये की आय हो चुकी है.
लक्ष्य प्राप्ति का प्रतिशत
वर्ष 2017-18 में उप पंजीयन कार्यालय प्रथम ने जहां 78. 68 फीसदी लक्ष्य प्राप्त किया तो वहीं, लक्ष्य वर्ष 2018-19 में घटकर 64 40 फीसदी ही रह गया. इसी तरह वर्ष 2017-18 में उप पंजीयन कार्यालय द्वितीय ने 80. 77 फीसदी का लक्ष्य प्राप्त किया. वहीं, वर्ष 2018-19 में घटकर 69. 54 प्रतिशत रह गया. इसी तरह से उप पंजीयन तृतीय का लक्ष्य वर्ष 2017-18 में 68.30 फीसदी था जो वर्ष 2018- 19 में घटकर 59.40 फीसदी हो गया.