जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जयपुर नगर निगम को दो हिस्सों में बांटना जनहित में लिया गया फैसला है. इसके लिए नियमों का पालन करते हुए किसी भी तरह की कमी नहीं रखी गई है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहंति और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह फैसला लिया है. उन्होंने राज्य की बहस को सुनने के बाद सतीश कुमार शर्मा की याचिका पर बुधवार को सुनवाई तय की है.
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राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उन्हें दो नगर निगम बनाने का अधिकार है. बताया जा रहा है कि जयपुर नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने के कारण ही चुनाव प्रक्रिया को आगे खिसकाया गया है. वहीं राज्य चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि निकाय चुनाव कराने को लेकर आयोग की तैयारियां पूरी थीं, लेकिन सरकार ने दो नगर निगम बना दिए. सरकार की ओर से वार्ड सीमांकन सहित अन्य जानकारी देने पर आयोग चुनाव करवा देगा. इसमें करीब तीन माह का समय लग सकता है.
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वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग जयपुर में नगर निगम के चुनाव समय पर करवाने को लेकर पूरी तरह फेल रहा है. नगर निगम के चुनाव की अवधि 25 नवबंर को पूरी हो गई है, लेकिन अब तक चुनाव नहीं करवाए गए हैं. जबकि किसी भी हाल में नगर निगम का कार्यकाल पांच साल से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता.