जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-4 में एकल पट्टा प्रकरण (single strap case in ACB Court) से जुड़े मामले में परिवादी की ओर से यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और तत्कालीन उप सचिव आईएएस एनएल मीणा के खिलाफ दायर प्रोटेस्ट पिटिशन बहस पूरी हो गई है. अदालत प्रोटेस्ट पिटिशन पर 15 फरवरी को फैसला सुनाएगी.
प्रोटेस्ट पिटीशन में अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल ने बताया कि परिवादी सहित अन्य के बयानों से यह साबित है कि पूरा मामला तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के निर्देशन में ही हुआ था. मामले में शांति धारीवाल के साथ ही यूडीएच के तत्कालीन उप सचिव एनएल मीणा भी आरोपी हैं. दोनों ने अपने उच्च पदों का दुरुपयोग कर प्रकरण में 12 जून 2019 और 13 जून 2019 को अपने पक्ष में क्लोजर रिपोर्ट पेश करवा दी.
प्रोटेस्ट पिटिशन में कहा गया कि अदालत पुलिस की ओर से पेश रिपोर्ट को मानने के लिए बाध्य नहीं है. ऐसे में क्लोजर रिपोर्ट को निरस्त कर दोनों आरोपियों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया जाए. इसका विरोध करते हुए एसीबी की ओर से कहा गया कि मामले में एसीबी ने निष्पक्ष जांच कर नतीजा रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. ऐसे में प्रोटेस्ट पिटिशन को खारिज किया जाए.
मामले के अनुसार एसीबी ने वर्ष 2016 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में धांधली की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. इसमें कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकार मल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों को आरोपी बनाया गया था. एसीबी ने संधू, ओंकारमल और निष्काम दिवाकर को लेकर मुकदमा वापस लेने के लिए गत दिनों एसीबी कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया था जिसे अदालत खारिज कर चुकी है. मामले को राज्य सरकार और आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है.