जयपुर. जयपुर पुलिस लाइन में रहने वाले पुलिस कर्मियों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है और उन्हें किसी भी तरह की अव्यवस्था का सामना ना करना पड़े इसे ध्यान में रखते हुए उनके लिए आदर्श बैरक का निर्माण करवाया जा रहा है. जयपुर पुलिस की ओर से नवाचार करते हुए पुलिस कर्मियों के लिए तमाम सुविधाओं से युक्त आदर्श बैरक का निर्माण करवाया जा रहा है. आदर्श बैरक के रखरखाव और सार संभाल का पूरा जिम्मा उस बैरक में रहने वाले पुलिसकर्मियों का रहेगा. डीजीपी एमएल लाठर की ओर से पुलिस लाइन में रहने वाले पुलिस कर्मियों को तमाम भौतिक सुविधाएं दिए जाने की दिशा में पहल करने के लिए कहा गया था जिस पर जयपुर पुलिस ने पुलिस लाइन में आदर्श बैरक का निर्माण करवाया जा रहा है.
जयपुर पुलिस लाइन में बन रहे आदर्श बैरक में पुलिस कर्मियों के लिए क्या खास होगा इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने डीसीपी हेडक्वार्टर डॉ.अमृता दुहन से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि आदर्श बैरक का काम फरवरी माह के अंतिम सप्ताह तक पूरा कर लिया जाएगा. डीजीपी एमएल लाठर की ओर से यह निर्देश दिए गए कि बैरक का रख रखाव और साफ-सफाई उच्चतम कोटि की हो. जिस पर पहल करते हुए जयपुर पुलिस की ओर से आदर्श बैरक का नवाचार किया जा रहा है.
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शर्तों के साथ दी जाएगी पुलिसकर्मियों को आदर्श बैरक
डीसीपी हेडक्वार्टर डॉ. अमृता दुहन ने बताया कि आदर्श बैरक का निर्माण पूरा होने के बाद पुलिस लाइन में रहने वाले पुलिस कर्मियों को कुछ शर्तों के साथ आदर्श बैरक दी जाएगी. आदर्श बैरक में रहने वाले पुलिसकर्मियों को कुछ शर्तों का पालन करना होगा जैसे पुलिसकर्मी अनुशासन भंग नहीं करेंगे, बैरक में शराब का सेवन नहीं करेंगे, बैरक की दीवारों को खराब नहीं करेंगे और साफ-सफाई को बनाकर रखेंगे. इन तमाम शर्तों के साथ ही पुलिसकर्मियों को आदर्श बैरक आवंटित की जाएगी.
पुलिसकर्मियों से लिया जाएगा आदर्श बैरक के लिए मेंटेनेंस चार्ज
डॉ.अमृता दुहन ने बताया कि आदर्श बैरक में रहने वाले पुलिस कर्मियों से प्रतिमाह मेंटेनेंस चार्ज लिया जाएगा जो कि 100 रुपए प्रति पुलिसकर्मी रहेगा. इससे बैरक की साफ-सफाई, रखरखाव और पुलिसकर्मियों को अतिरिक्त सुविधाएं दी जाएंगी. इसके लिए बकायदा एक बैंक खाता खोला जाएगा और प्रतिमाह जितना भी फंड इकट्ठा होगा उसे उस बैंक खाते में जमा करवाया जाएगा. एडिशनल डीसीपी लाइन की स्वीकृति पर ही उस बैंक खाते से बैरक के मेंटेनेंस के लिए फंड का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
इसके साथ ही हर आदर्श बैरक में एक हेड कांस्टेबल को वार्डन नियुक्त किया जाएगा जो बैरक की साफ-सफाई, रखरखाव और बैरक में रहने वाले लोगों का पूरा ब्यौरा मेंटेन कर रखेगा. इसके साथ ही आदर्श बैरक में यदि एक से अधिक हॉल होंगे तो उसके लिए एक हॉल मॉनिटर भी नियुक्त किया जाएगा. पुलिस कर्मियों को अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में यह तमाम पहल की जा रही है. इसके साथ ही हर महीने आदर्श बैरक का निरीक्षण भी अधिकारियों की ओर से किया जाएगा और उन्हें पांच अलग-अलग श्रेणियों खराब, औसत, अच्छा, बहुत अच्छा या उत्कृष्ट के आधार पर परखा जएगा.
सुझाव/शिकायत पेटिका के जरिए हल की जा रही पुलिस कर्मियों की समस्या
डीसीपी हेड क्वार्टर डॉ.अमृता दुहन ने बताया कि पुलिस लाइन में पुलिस कर्मियों के लिए एक सुझाव/शिकायत पेटिका लगाई गई है. जिसमें पुलिसकर्मी अपने कार्यालय से संबंधित किसी भी तरह की शिकायत या फिर कोई सुझाव डाल सकता है. इसके लिए डीसीपी हेडक्वार्टर ऑफिस से बकायदा एक पुलिसकर्मी को नियुक्त किया गया है जिसके पास उस पेटिका की चाबी रहती है. जो रोजाना पेटी में आने वाले सुझाव या प्रार्थना पत्र को लेकर डीसीपी हेडक्वार्टर ऑफिस पहुंचता है जहां पर रिकॉर्ड में बकायदा उनकी एंट्री की जाती है. उसके बाद संबंधित पुलिसकर्मी डीसीपी हेडक्वार्टर के सामने पेश होता है और उसकी जो भी समस्या होती है उस समस्या से संबंधित शाखा को डीसीपी हेडक्वार्टर की ओर से निर्देशित किया जाता है. इसके साथ ही पुलिसकर्मी की शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई है इसका भी रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है.
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शनिवार और रविवार को पुलिसकर्मी करते हैं श्रमदान
डीसीपी हेडक्वार्टर डॉ.अमृता दुहन ने बताया कि प्रत्येक सप्ताह शनिवार और रविवार को पुलिस लाइन में सभी पुलिसकर्मियों की ओर से श्रमदान किया जाता है. लाइन में साफ-सफाई को बनाए रखने और इसके साथ ही रिकॉर्ड को मेंटेन करने के लिए यह पहल की जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एक और नवाचार करने की योजना बनाई जा रही है जिसके तहत पुलिस लाइन में आयोजित होने वाली संपर्क सभा में प्रतिमाह एक ऐसी संपर्क सभा आयोजित की जाए जिसमें पुलिसकर्मी अपने बच्चों के साथ भाग लें.
पुलिस कर्मियों के पास अपने बच्चों को गाइड करने का समय नहीं होता है. ऐसे में बच्चों की करियर संबंधित किसी भी तरह की क्वेरी को संपर्क सभा में मौजूद अधिकारियों द्वारा सुना जा सकता है और उन्हें गाइड किया जा सकता है. वहीं यदि बच्चों को मेंटॉर की जरूरत हो तो किसी एक अधिकारी को उनका मेंटॉर नियुक्त किया जा सकता है जो उन्हें उनके करियर को लेकर गाइड कर सके.