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दारा एनकाउंटर केस: राजेन्द्र राठौड़ को बड़ी राहत, FIR दर्ज करने का आदेश रद्द

दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ को बड़ी राहत मिली है. जयपुर के सेशन न्यायालय ने इस मामले में महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 के आदेश को रद्द कर दिया है. पढे़ं विस्तृत खबर...

दारा एनकाउंटर केस, सेशन न्यायालय, Dara Singh encounter case
Dara encounter case
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Published : Jan 27, 2020, 8:09 PM IST

जयपुर. शहर के सेशन न्यायालय ने दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में ट्रायल के दौरान गवाह को डरा धमका कर बयान बदलवाने को लेकर एफआईआर दर्ज करने के महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 के आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने यह आदेश रोशनसिंह की ओर से दायर रिवीजन याचिका पर दिए.

अजय जैन, याचिकाकर्ता के वकील

अदालत ने कहा कि परिवादी अमित बेनीवाल ने अपने परिवाद में न्यायिक अधिकारियों पर षंडयंत्र कर आरोपियों को दोषमुक्त करने और गवाह के बयान बदलवाने का आरोप लगाया है. वहीं न्यायिक अधिकारियों के नाम शीर्षक में नहीं लिखे हैं. ऐसे में एफआईआर दर्ज करने का आदेश अवैध है.

गौरतलब है कि दारासिंह के पुत्र अमित बेनीवाल ने महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 अदालत में पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ सहित कुल 23 लोगों के खिलाफ परिवाद पेश कर आरोप लगाया गया था. परिवाद में कहा गया था कि उसकी मां सुशीला देवी के याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनकाउंटर की जांच सीबीआई को सौंपी थी.

पढ़ेंः दारा एनकाउंटर में बरी हुए आरोपी पर फिर से केस दर्ज करने के आदेश, जाने दारा एनकाउंटर की पूरी कहानी...

वहीं समाज के लोगों और रिश्तेदारों की मदद से ही उसकी मां मुकदमा लड़ रही थी. मामले में षडयंत्र के तहत आरोपियों को बरी कराया गया. वहीं आरोपियों ने मिलीभगत कर उसकी मां को डरा धमका कर अदालत में गलत बयान दिलाए और आरोपियों को बरी कराया. परिवाद पर सुनवाई करते हुए गत 8 जनवरी को अदालत ने बनीपार्क थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे.

मामले के अनुसार 23 अक्टूबर 2006 की सुबह छह बजे अजमेर रोड पर एसओजी ने दारासिंह का एनकाउंटर किया था. दारा की विधवा सुशीला देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2010 में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़ सहित 17 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था.

पढ़ेंः EXCLUSIVE- 14 मई 2018 को ही सर्वोच्च न्यायालय ने मुझे आरोप मुक्त कर दिया थाः राजेन्द्र राठौड़

वहीं 31 मई 2012 को डीजे कोर्ट ने राजेन्द्र राठौड़ को डिस्चार्ज कर दिया था. इसके अलावा हाईकोर्ट ने पूर्व एडीजी एके जैन को 13 फरवरी 2015 को डिस्चार्ज किया था. इसके अलावा ट्रायल कोर्ट ने 13 मार्च 2018 को अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.

जयपुर. शहर के सेशन न्यायालय ने दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में ट्रायल के दौरान गवाह को डरा धमका कर बयान बदलवाने को लेकर एफआईआर दर्ज करने के महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 के आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने यह आदेश रोशनसिंह की ओर से दायर रिवीजन याचिका पर दिए.

अजय जैन, याचिकाकर्ता के वकील

अदालत ने कहा कि परिवादी अमित बेनीवाल ने अपने परिवाद में न्यायिक अधिकारियों पर षंडयंत्र कर आरोपियों को दोषमुक्त करने और गवाह के बयान बदलवाने का आरोप लगाया है. वहीं न्यायिक अधिकारियों के नाम शीर्षक में नहीं लिखे हैं. ऐसे में एफआईआर दर्ज करने का आदेश अवैध है.

गौरतलब है कि दारासिंह के पुत्र अमित बेनीवाल ने महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 अदालत में पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ सहित कुल 23 लोगों के खिलाफ परिवाद पेश कर आरोप लगाया गया था. परिवाद में कहा गया था कि उसकी मां सुशीला देवी के याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनकाउंटर की जांच सीबीआई को सौंपी थी.

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वहीं समाज के लोगों और रिश्तेदारों की मदद से ही उसकी मां मुकदमा लड़ रही थी. मामले में षडयंत्र के तहत आरोपियों को बरी कराया गया. वहीं आरोपियों ने मिलीभगत कर उसकी मां को डरा धमका कर अदालत में गलत बयान दिलाए और आरोपियों को बरी कराया. परिवाद पर सुनवाई करते हुए गत 8 जनवरी को अदालत ने बनीपार्क थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे.

मामले के अनुसार 23 अक्टूबर 2006 की सुबह छह बजे अजमेर रोड पर एसओजी ने दारासिंह का एनकाउंटर किया था. दारा की विधवा सुशीला देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2010 में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़ सहित 17 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था.

पढ़ेंः EXCLUSIVE- 14 मई 2018 को ही सर्वोच्च न्यायालय ने मुझे आरोप मुक्त कर दिया थाः राजेन्द्र राठौड़

वहीं 31 मई 2012 को डीजे कोर्ट ने राजेन्द्र राठौड़ को डिस्चार्ज कर दिया था. इसके अलावा हाईकोर्ट ने पूर्व एडीजी एके जैन को 13 फरवरी 2015 को डिस्चार्ज किया था. इसके अलावा ट्रायल कोर्ट ने 13 मार्च 2018 को अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.

Intro:बाईट - याचिकाकर्ता के वकील अजय जैन

जयपुर। शहर के सेशन न्यायालय ने दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में ट्रायल के दौरान गवाह को डरा धमका कर बयान बदलवाने को लेकर एफआईआर दर्ज करने के महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने यह आदेश रोशनसिंह की ओर से दायर रिवीजन याचिका पर दिए। अदालत ने कहा कि परिवादी अमित बेनीवाल ने अपने परिवाद में न्यायिक अधिकारियों पर षंडयंत्र कर आरोपियों को दोषमुक्त करने और गवाह के बयान बदलवाने का आरोप लगाया है। वहीं न्यायिक अधिकारियों के नाम शीर्षक में नहीं लिखे हैं। ऐसे में एफआईआर दर्ज करने का आदेश अवैध है।Body:गौरतलब है कि दारासिंह के पुत्र अमित बेनीवाल ने महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-17 अदालत में पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड सहित कुल 23 लोगों के खिलाफ परिवाद पेश कर आरोप लगाया गया था। परिवाद में कहा गया था कि उसकी मां सुशीला देवी के याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनकाउंटर की जांच सीबीआई को सौंपी थी। वहीं समाज के लोगों और रिश्तेदारों की मदद से ही उसकी मां मुकदमा लड़ रही थी। मामले में षडयंत्र के तहत आरोपियों को बरी कराया गया। वहीं आरोपियों ने मिलीभगत कर उसकी मां को डरा धमका कर अदालत में गलत बयान दिलाए और आरोपियों को बरी कराया। परिवाद पर सुनवाई करते हुए गत 8 जनवरी को अदालत ने बनीपार्क थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। मामले के अनुसार 23 अक्टूबर 2006 की सुबह छह बजे अजमेर रोड पर एसओजी ने दारासिंह का एनकाउंटर किया था। दारा की विधवा सुशीला देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2010 में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड सहित 17 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। वहीं 31 मई 2012 को डीजे कोर्ट ने राजेन्द्र राठौड को डिस्चार्ज कर दिया था। इसके अलावा हाईकोर्ट ने पूर्व एडीजी एके जैन को 13 फरवरी 2015 को डिस्चार्ज किया था। इसके अलावा ट्रायल कोर्ट ने 13 मार्च 2018 को अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।  
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