जयपुर. शहरों में साइकिल की सवारी सेहत बनाने से लेकर रोजमर्रा के कामों में इस्तेमाल (Cycle Culture Returning) होती है. बढ़ते वाहनों के दबाव और प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए कई देशों में साइकिल का चलन तेजी से बढ़ा है. राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई बड़े शहरों में कोरोना काल में साइकिल कल्चर ओर ज्यादा विकसित हुआ है. लेकिन साइकिल ट्रैक नहीं होने की वजह से सेहत की ये सवारी सुरक्षित नहीं है. लेकिन हाल ही में हुई बजट घोषणाओं में इसका जिक्र तक नहीं किया गया. ऐसे में अब साइकिल चालक साइकिल ट्रैक की मांग (Demand To Build Cycle Track From The Government) करने लगे हैं.
हालांकि समय के साथ जीवन शैली बदली और साइकिल की जगह मोटरसाइकिल ने ले ली. तेज रफ्तार वाले वाहनों ने लोगों को जल्दी अपनी मंजिल तक पहुंचाना शुरू किया तो लोग साइकिल को भूलते चले गए. हालांकि इस कोरोना काल ने लोगों को कम से कम अपने हेल्थ के प्रति जागरूक किया. यही वजह है कि लोगों ने साइकिल को फिर से थाम लिया. अब शहर की सड़कों पर अलसुबह से स्वच्छ वातावरण में शहरवासी अपनों के साथ साइकिलिंग करने निकल पड़ते हैं. ये साइकिल किसी के लिए एंटरटेनमेंट तो किसी के लिए व्यायाम का आधार बन गई है.
वहीं मजदूर और गरीब तबका इसी साइकिल पर पूरी तरह आश्रित है. घर के लिए सामान लाने से लेकर अपने काम पर जाने के लिए यही साइकिल उसका सबसे बड़ा साधन है. हालांकि इस सेहत की सवारी के चालक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते, कारण साफ है प्रदेश के किसी भी शहर में साइकिल ट्रैक मौजूद नहीं है. 1990 में जयपुर के विद्याधर नगर में पहला साइकिल ट्रैक बनाया गया था. लेकिन देखरेख के अभाव में ये ट्रैक खत्म हो गया. वहीं जगतपुरा, आरओबी से एनआरआई चौराहे तक साइकिल ट्रैक प्रस्तावित है. लेकिन अब तक ये भी मूर्त रूप नहीं ले पाया है.
आलम ये है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) के तहत किशनपोल और चांदपोल बाजार में नॉन मोटराइज्ड व्हीकल लेन तैयार की गई, लेकिन यहां गाड़ियां पार्क रहती है. हालांकि अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जोरावर सिंह गेट से जल महल तक साइकिल ट्रैक बनाने की घोषणा जरूर की गई है. राजधानी में स्मार्ट सिटी परियोजना में साइकिल स्टैंड बनाए गए हैं लेकिन कुछ स्टैंड पर साइकिल ही नहीं है और जहां साइकिल है वहां कुछ के पैडल तो कुछ में ब्रेक नहीं है. ऐसे में जहां शहर में साइकिल कल्चर विकसित हो रहा है वहां प्रशासन और सरकार की ओर से इसे बढ़ावा देने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए जा रहे.