जयपुर. राष्ट्रीय सुरक्षा और डाटा लीक के प्रकरणों को देखते हुए भारत सरकार जून 2020 से अब तक 224 से ज्यादा चाइनीज एप्स को बैन कर चुकी है. इसके बावजूद कई भारतीयों का पर्सनल डाटा अभी भी लीक होकर चाइना तक पहुंच रहा है. जो ना केवल यूजर के लिए घातक है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी बड़ी चूक है.
दरअसल भारतीय बाजार में विभिन्न चाइनीज कंपनी के मोबाइल फोन मौजूद हैं, जो ना केवल सस्ते होने के चलते बड़ी संख्या में लोगों के पास हैं, बल्कि सुरक्षा के लिए भी बेहद घातक हैं. भारत सरकार की ओर से चाइनीज एप्स को तो बैन कर दिया गया, लेकिन जो चाइनीज मोबाइल भारतीय बाजारों में मौजूद हैं. उनमें भारत सरकार की ओर से बैन किए गए कई एप इनबिल्ट (Mobile inbuilt Chinese app) मौजूद है.
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जिनके माध्यम से चाइना लगातार भारत से डाटा की सेंधमारी कर रहा है. एप्स के अलावा चाइनीज मोबाइल कंपनी ने बैकअप के लिए यूजर को अपनी-अपनी कंपनी की क्लाउड सर्विस प्रोवाइड कर रखी है. जिसके माध्यम से यूजर का तमाम डाटा, पर्सनल जानकारी, बैंकिंग इंफॉर्मेशन, लोकेशन आदि चाइनीज सर्वर पर पहुंच रही है. तमाम चाइनीज मोबाइल कंपनी के सर्वर शंघाई में मौजूद हैं, जहां पर भारतीय लोगों का डाटा सिंक्रोनाइज कर सेव किया जा रहा है.
एप अपडेशन और सर्विस बेहतर करने के नाम पर चुराया जा रहा डाटाः साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि विभिन्न चाइनीज मोबाइल कंपनियां यूज़र को उनके मोबाइल में मौजूद एप्स को अपडेट करने या सर्विस को बेहतर बनाने के नाम पर ठग रही हैं. इसके जरिए ही मोबाइल में मौजूद व्यक्ति का तमाम डाटा शंघाई सरवर पर लोड किया जाता है. भारत सरकार केवल भारत में मौजूद डाटा सर्वर पर ही कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखती है. वही ऐसे में यदि चाइना के शंघाई स्थित डाटा सर्वर के जरिए किसी तरह का कोई अपराध कारित किया जाता है तो उसके खिलाफ किसी भी तरह कि कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं की जा सकती.
क्लाउड सर्वर के जरिए चुराया जा रहा डाटाः साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि विभिन्न चाइनीज मोबाइल कंपनियां यूजर को इजी डाटा सिंक्रोनाइज के लिए अपनी-अपनी कंपनी का क्लाउड सर्वर प्रदान करती हैं. जिसके जरिए यूजर की तमाम कांटेक्ट लिस्ट, उसका गैलरी एक्सेस, उसकी इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस समेत तमाम गतिविधियों की जानकारी चाइनीज सर्वर पर सेव कर ली जाती है.
यूज़र जैसे ही डाटा सिंक्रोनाइज करने के लिए कंपनी की क्लाउड सर्विस पर खुद को रजिस्टर करता है वैसे ही उसके मोबाइल फोन की तमाम एप्लीकेशन का एक्सेस मांग लिया जाता है. इसके बाद उसका तमाम डाटा शंघाई सर्वर पर सेव करने के बाद वहां से बड़ी आसानी से लीक किया जा सकता है है. यूजर इससे बिल्कुल अनभिज्ञ रहता है और उसका तमाम डाटा भी चुरा लिया जाता है.
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चाइनीज क्लाउड सर्विस का इस्तेमाल करने से बचेंः साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि अपने डाटा को बचाने के लिए यूजर सबसे पहले चाइनीज मोबाइल में मौजूद ऐसे इनबिल्ट एप जिन्हें भारत सरकार की ओर से बैन किया जा चुका है. उसका इस्तेमाल करने से बचें. साथ ही मोबाइल के बैकअप के लिए चाइनीज क्लाउड सर्विस पर खुद को भूल कर भी रजिस्टर्ड ना करें.
गूगल काफी अच्छी बैकअप सर्विस देता है, जिसका इस्तेमाल किसी भी कंपनी के मोबाइल फोन में डाटा सिंक्रनाइजेशन के लिए किया जा सकता है. साथ ही यूजर अपने लैपटॉप या कंप्यूटर में भी डाटा बैकअप को रख सकता है. साथ ही यूजर क्लीन एंड्राइड फोन का इस्तेमाल करें, जिसमें प्रीइंस्टॉल एप्लीकेशन का झंझट नहीं होता है. साथ ही यूजर अपने मोबाइल में एंटीवायरस और फायर वॉल सर्विस को एक्टिवेट रखें, ताकि किसी भी तरह के साइबर अटैक से बचा जा सके.
वाईफाई से कनेक्ट होने पर करें फोन की मॉनिटरिंगः साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि यूजर जब भी अपने मोबाइल को वाईफाई से कनेक्ट करें तो वह अपने फोन की मॉनिटरिंग आवश्यक रूप से करें. चाइनीज क्लाउड सर्वर यूजर के मोबाइल से डाटा तभी कॉपी करता है जब वह वाईफाई से कनेक्ट होता है. ऐसे में यूजर का सतर्क होना बेहद आवश्यक है.
साथ ही घर में मौजूद राउटर जिसके माध्यम से यूजर इंटरनेट का इस्तेमाल करता है उसके लॉक को भी समय-समय पर यूजर चेक करते रहें. साथ ही यूजर भूलकर भी अपने मोबाइल में अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड की फोटो को सेव करके ना रखें, क्योंकि डाटा सिंक्रनाइजेशन के जरिए उसकी जानकारी हासिल पर कभी भी यूजर के खाते से ट्रांजैक्शन किया जा सकता है.