जयपुर. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़ा एक बड़ा गड़बड़झाला सामने आया (Scam in National Health Mission) है. जहां तकरीबन एक करोड़ से अधिक की खरीद से जुड़े उपकरणों की फाइल को गायब कर दिया गया है. इस पूरे मामले को लेकर चिकित्सा सचिव डॉक्टर पृथ्वी की ओर से एक जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन इस मामले में खास बात यह है कि जिस व्यक्ति पर आरोप लगाए जा रहे हैं उस व्यक्ति को ही राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का नोडल अधिकारी बना कर जांच कमेटी में शामिल कर लिया गया है.
दरअसल वर्ष 2019 में एनएचएम की ओर से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी और इस कार्यक्रम के तहत ईसीटी मशीन और साइकोलॉजिकल टूल उपकरणों की खरीद की गई थी. जिन की बाजार में कीमत तकरीबन एक करोड़ से अधिक है. लेकिन जिस फर्म से यह उपकरण खरीदे गए थे उसको भुगतान करने की बारी आई तो डायरेक्टरेट से फाइल ही गायब कर दी गई. ऐसे में उपकरणों की खरीद से जुड़ी फाइल को लेकर ट्रांसपोर्ट नगर थाने में परिवाद भी दिया गया. ऐसे में जब मामला लगातार बढ़ने लगा तो स्वास्थ्य सचिव डॉ पृथ्वी ने इस पूरे मामले को लेकर एक जांच कमेटी गठित करने का निर्णय लिया. ऐसे में मामले में घोर लापरवाही देखने को मिली है और इस पूरे मामले में तत्कालीन मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर डॉ महेंद्र शर्मा पर भी आरोप लगाए गए हैं.
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लेकिन इस पूरे मामले में चिकित्सा विभाग ने एक बार फिर डॉक्टर महेंद्र शर्मा को ही राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का नोडल ऑफिसर बना दिया है और उपकरणों से जुड़ी खरीद-फरोख्त में हुई धांधली और इससे जुड़ी फाइल को लेकर जो जांच कमेटी बनाई गई है उस कमेटी में भी शामिल कर लिया है. ऐसे में अब चिकित्सा विभाग की इस लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं. जब की इस पूरे मामले पर तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉ महेंद्र शर्मा पर एनएचएम के विशेष अधिकारी सुरेश यादव ने सवाल उठाए थे.
भर्ती में भी हुई धांधली: राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जहां करोड़ों रुपए के उपकरणों की खरीद हुई थी तो वही इस कार्यक्रम के तहत साइकेट्रिक नर्स और साइकेट्रिक सोशल वर्कर्स की भी भर्ती होनी थी. लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस भर्ती से जुड़ी प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है और बताया जा रहा है कि भर्ती से जुड़े मामले में भी गड़बड़झाला सामने आ सकता है.