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कोविड-19 संक्रमित मरीजों को कैशलेस इलाज के लिए रखा जा रहा प्राथमिकता पर

प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और इसी बीच अस्पताल में इलाज करने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. इसी बीच हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कैशलेस इलाज को लेकर भी कुछ अस्पतालों में परेशानियां आ रही है.

Cashless treatment related to health insurance,  Corona case in Jaipur
कोविड-19 संक्रमित मरीजों को कैशलेस इलाज के लिए रखा जा रहा प्राथमिकता पर
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Published : Apr 20, 2021, 10:58 PM IST

जयपुर. प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और इसी बीच अस्पताल में इलाज करने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. ऐसे में सरकारी हो या प्राइवेट अस्पताल सभी जगह मरीजों की लाइन लगी हुई है और काफी मुश्किल से ऑक्सीजन बेड और आईसीयू मरीजों को मिल पा रहे हैं. लेकिन इसी बीच हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कैशलेस इलाज को लेकर भी कुछ अस्पतालों में परेशानियां आ रही है.

कोविड-19 संक्रमित मरीजों को कैशलेस इलाज के लिए रखा जा रहा प्राथमिकता पर

पढ़ें- स्वास्थ्य मंत्री का बड़ा आरोप- भारत सरकार गुजरात को दे रही राजस्थान से ज्यादा ऑक्सीजन, कहा- सुविधा मिले तो हम हो जाए देश में नंबर 1

हालांकि, प्राइवेट अस्पतालों और इंश्योरेंस कंपनियों से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि उनकी तरफ से मरीजों को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. लेकिन जिन अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है वहां से मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है.

मामले को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम सोसाइटी के सेक्रेटरी डॉ. विजय कपूर का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों की ओर से कैशलेस से जुड़ा इलाज कोविड-19 संक्रमित मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है और जिन मरीजों ने कैशलेस की सुविधा दे रखी है उन्हें किसी तरह की दिक्कत प्राइवेट अस्पताल में नहीं आने दी जा रही है.

हालांकि, जिन अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं वहां मरीजों को इलाज मिलने में थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी के रीजनल मैनेजर आशीष शर्मा का कहना है कि आमतौर पर कैशलेस इलाज के दायरे में आने वाले कोविड-19 संक्रमित मरीजों को भी सामान्य मरीज की तरह ही ट्रीट किया जा रहा है. यहां तक कि कोविड-19 मरीजों को प्राथमिकता पर रखकर अस्पताल ट्रीट कर रहे हैं.

वहीं, इंश्योरेंस कंपनियों ने कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए अलग से एक नियम निकाला है और अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि संक्रमित मरीजों को सबसे पहले इलाज अस्पताल में उपलब्ध हो. इसके अलावा इस तरह के मरीजों को ठीक होने पर सबसे पहले डिस्चार्ज किया जाता है ताकि अन्य मरीजों के लिए बेड उपलब्ध हो सके. हालांकि कुछ मामलों में यह जरूर देखने को मिला है कि अस्पताल में बेड या आईसीयू उपलब्ध नहीं होता तो मरीज को इलाज मिलने में थोड़ी बहुत समस्या आती है.

जयपुर. प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और इसी बीच अस्पताल में इलाज करने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. ऐसे में सरकारी हो या प्राइवेट अस्पताल सभी जगह मरीजों की लाइन लगी हुई है और काफी मुश्किल से ऑक्सीजन बेड और आईसीयू मरीजों को मिल पा रहे हैं. लेकिन इसी बीच हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कैशलेस इलाज को लेकर भी कुछ अस्पतालों में परेशानियां आ रही है.

कोविड-19 संक्रमित मरीजों को कैशलेस इलाज के लिए रखा जा रहा प्राथमिकता पर

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हालांकि, प्राइवेट अस्पतालों और इंश्योरेंस कंपनियों से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि उनकी तरफ से मरीजों को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. लेकिन जिन अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है वहां से मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है.

मामले को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम सोसाइटी के सेक्रेटरी डॉ. विजय कपूर का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों की ओर से कैशलेस से जुड़ा इलाज कोविड-19 संक्रमित मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है और जिन मरीजों ने कैशलेस की सुविधा दे रखी है उन्हें किसी तरह की दिक्कत प्राइवेट अस्पताल में नहीं आने दी जा रही है.

हालांकि, जिन अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं वहां मरीजों को इलाज मिलने में थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी के रीजनल मैनेजर आशीष शर्मा का कहना है कि आमतौर पर कैशलेस इलाज के दायरे में आने वाले कोविड-19 संक्रमित मरीजों को भी सामान्य मरीज की तरह ही ट्रीट किया जा रहा है. यहां तक कि कोविड-19 मरीजों को प्राथमिकता पर रखकर अस्पताल ट्रीट कर रहे हैं.

वहीं, इंश्योरेंस कंपनियों ने कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए अलग से एक नियम निकाला है और अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि संक्रमित मरीजों को सबसे पहले इलाज अस्पताल में उपलब्ध हो. इसके अलावा इस तरह के मरीजों को ठीक होने पर सबसे पहले डिस्चार्ज किया जाता है ताकि अन्य मरीजों के लिए बेड उपलब्ध हो सके. हालांकि कुछ मामलों में यह जरूर देखने को मिला है कि अस्पताल में बेड या आईसीयू उपलब्ध नहीं होता तो मरीज को इलाज मिलने में थोड़ी बहुत समस्या आती है.

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