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दुष्कर्मी 'जीवाणु' को फांसी से इनकार...अब बाकी जिंदगी रहेगा जेल में

दुष्कर्म का आरोपी सिकंदर उर्फ जीवाणु की फांसी की सजा को कोर्ट ने इंकार कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामला विरलतम से विरल नहीं होने के कारण उसे फांसी की सजा नहीं दी जा रही है, लेकिन ऐसे अपराधियों को समाज से दूर करना जरूरी है. ऐसे में अभियुक्त को मृत्यु तक जेल में ही रखा जाए.

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अब बाकी जिंदगी रहेगा जेल में
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Published : Nov 27, 2020, 5:53 PM IST

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-3 ने सात साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त सिकंदर उर्फ जीवाणु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 2 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा है कि अभियुक्त को शेष जीवन जेल में रखा जाए. पीठासीन अधिकारी एलडी किराडू ने कहा कि कानून में अधिकतम सजा का प्रावधान रहता है, लेकिन हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही सजा दी जाती है.

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक महावीर किशनावत ने कहा कि अभियुक्त यौन अपराधों का आदतन है. वर्ष 2004 में एक बच्चे के साथ कुकर्म कर हत्या के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है. वहीं प्रकरण में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म से आठ दिन पहले ही उसने 4 साल की एक अन्य बच्ची के साथ भी दुष्कर्म किया था. ऐसे में उसे फांसी की सजा दी जाए. इसका विरोध करते हुए बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि दूसरे मामले में अभी उसे सजा नहीं हुई है. ऐसे में उसे इस प्रकरण के साथ नहीं जोडा जा सकता.

पढ़ेंः जीवाणु उर्फ सिकंदर को न्यायालय ने भेजा 3 दिन की पुलिस अभिरक्षा में

गौरतलब है कि गत वर्ष एक जुलाई को अभियुक्त शास्त्रीनगर थाना इलाके में रहने वाली सात साल की पीड़िता को डरा-धमकाकर मोटर साइकिल पर बैठाकर अमानीशाह नाले में ले गया था. जहां अभियुक्त ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया और उसे वापस घर के पास छोड़कर फरार हो गया. घटना के बाद पुलिस ने अभियुक्त को सात जुलाई को कोटा से गिरफ्तार किया था.

जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-3 ने सात साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त सिकंदर उर्फ जीवाणु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 2 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा है कि अभियुक्त को शेष जीवन जेल में रखा जाए. पीठासीन अधिकारी एलडी किराडू ने कहा कि कानून में अधिकतम सजा का प्रावधान रहता है, लेकिन हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही सजा दी जाती है.

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक महावीर किशनावत ने कहा कि अभियुक्त यौन अपराधों का आदतन है. वर्ष 2004 में एक बच्चे के साथ कुकर्म कर हत्या के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है. वहीं प्रकरण में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म से आठ दिन पहले ही उसने 4 साल की एक अन्य बच्ची के साथ भी दुष्कर्म किया था. ऐसे में उसे फांसी की सजा दी जाए. इसका विरोध करते हुए बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि दूसरे मामले में अभी उसे सजा नहीं हुई है. ऐसे में उसे इस प्रकरण के साथ नहीं जोडा जा सकता.

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गौरतलब है कि गत वर्ष एक जुलाई को अभियुक्त शास्त्रीनगर थाना इलाके में रहने वाली सात साल की पीड़िता को डरा-धमकाकर मोटर साइकिल पर बैठाकर अमानीशाह नाले में ले गया था. जहां अभियुक्त ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया और उसे वापस घर के पास छोड़कर फरार हो गया. घटना के बाद पुलिस ने अभियुक्त को सात जुलाई को कोटा से गिरफ्तार किया था.

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