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हाईकोर्ट फैसला : बिना अधिकारिता वेतन वृद्धि रोकने के आदेश पर कोर्ट ने लगाई रोक - jaipur news

याचिकाकर्ता हिंडौन नगर परिषद में सेनेटरी इंस्पेक्टर है. परिषद के आयुक्त का काम देख रहे ट्रेजरी के सहायक लेखाधिकारी ने याचिकाकर्ता को पहले निलंबित कर दिया और बाद में आरोप पत्र जारी कर दिए.

वेतन वृद्धि रोकने के आदेश पर कोर्ट ने लगाई रोक
वेतन वृद्धि रोकने के आदेश पर कोर्ट ने लगाई रोक
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Published : Sep 18, 2021, 7:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना अधिकार सेनेटरी इंस्पेक्टर की वेतन वृद्धि रोकने को लेकर दिए आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है.

न्यायाधीश अरुण भंसाली ने यह आदेश खलिक अहमद की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता हिंडौन नगर परिषद में सेनेटरी इंस्पेक्टर है. परिषद के आयुक्त का काम देख रहे ट्रेजरी के सहायक लेखाधिकारी ने याचिकाकर्ता को पहले निलंबित कर दिया और बाद में आरोप पत्र जारी कर दिए.

पढ़ें- राजस्थान पर 'पंजाब इफेक्ट' : कैप्टन के इस्तीफे के बाद राजस्थान में बढ़ी सियासी बेचैनी, सवाल ये कि पायलट को क्या मिलेगा ?

जांच के बाद एक आरोप का आंशिक दोषी मानकर एक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश दे दिए. याचिका में कहा गया कि सहायक लेखाधिकारी को यह आदेश देना का अधिकार नहीं था, क्योंकि सहायक लेखाधिकारी के पास आयुक्त पद का सिर्फ चार्ज ही था.

इसके अलावा याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया और न ही जांच रिपोर्ट से अवगत कराया गया. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने वेतन वृद्धि रोकने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना अधिकार सेनेटरी इंस्पेक्टर की वेतन वृद्धि रोकने को लेकर दिए आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव सहित अन्य से जवाब तलब किया है.

न्यायाधीश अरुण भंसाली ने यह आदेश खलिक अहमद की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता हिंडौन नगर परिषद में सेनेटरी इंस्पेक्टर है. परिषद के आयुक्त का काम देख रहे ट्रेजरी के सहायक लेखाधिकारी ने याचिकाकर्ता को पहले निलंबित कर दिया और बाद में आरोप पत्र जारी कर दिए.

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जांच के बाद एक आरोप का आंशिक दोषी मानकर एक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश दे दिए. याचिका में कहा गया कि सहायक लेखाधिकारी को यह आदेश देना का अधिकार नहीं था, क्योंकि सहायक लेखाधिकारी के पास आयुक्त पद का सिर्फ चार्ज ही था.

इसके अलावा याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया और न ही जांच रिपोर्ट से अवगत कराया गया. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने वेतन वृद्धि रोकने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया है.

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