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HC ने आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह पर रोक को लेकर राज्य सरकार से मांगा जवाब

जयपुर में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह पर रोक को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है, जिसपर याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने बताया कि 2011 के बाद ऐसी शादियां नहीं हो रही है, जिनमें माता-पिता की सहमति नहीं होती. वहीं मैरिज वेलीडेशन एक्ट, 1937 के तहत इंटरकास्ट मैरिज की जा सकती है.

जयपुर न्यूज, jaipur news
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Published : Nov 7, 2019, 10:31 PM IST

Updated : Nov 7, 2019, 10:58 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह पर रोक को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश ताराचंद अग्रवाल की जनहित याचिका पर दिए.

आर्य समाज में प्रेम विवाह पर रोक को लेकर मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि आर्य मैरिज वेलीडेशन एक्ट, 1937 के तहत इंटरकास्ट मैरिज की जा सकती है. इसके बावजूद हाईकोर्ट की खंडपीठ की ओर से वर्ष 2011 में एक बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आदेश देने के चलते पिछले आठ सालों से राज्य में ऐसा शादियां नहीं हो रही हैं, जिसमें उनके परिजन सहमत नहीं होते. जिसके चलते युगलों को दूसरे राज्यों में जाकर विवाह करना पड़ रहा है.

पढ़ें- जयपुर: 9 और 10 नवंबर को 4 जिलों के चुनावी दौरे पर रहेंगे सतीश पूनिया

ये युगल वहां शादी कर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की गुहार करते हैं, जिसके चलते एक ओर युगलों का कहीं भी विवाह करने का अधिकार का हनन हो रहा है.दूसरी ओर उन पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है. जबकि, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक प्रकरण विशेष में आदेश जारी किए थे. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह पर रोक को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश ताराचंद अग्रवाल की जनहित याचिका पर दिए.

आर्य समाज में प्रेम विवाह पर रोक को लेकर मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि आर्य मैरिज वेलीडेशन एक्ट, 1937 के तहत इंटरकास्ट मैरिज की जा सकती है. इसके बावजूद हाईकोर्ट की खंडपीठ की ओर से वर्ष 2011 में एक बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आदेश देने के चलते पिछले आठ सालों से राज्य में ऐसा शादियां नहीं हो रही हैं, जिसमें उनके परिजन सहमत नहीं होते. जिसके चलते युगलों को दूसरे राज्यों में जाकर विवाह करना पड़ रहा है.

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ये युगल वहां शादी कर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की गुहार करते हैं, जिसके चलते एक ओर युगलों का कहीं भी विवाह करने का अधिकार का हनन हो रहा है.दूसरी ओर उन पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है. जबकि, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक प्रकरण विशेष में आदेश जारी किए थे. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है.

Intro:अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल की बाइट
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह पर रोक को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश ताराचंद अग्रवाल की जनहित याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि आर्य मैरिज वेलीडेशन एक्ट, 1937 के तहत इंटरकास्ट मैरिज की जा सकती है। इसके बावजूद हाईकोर्ट की खंडपीठ की ओर से वर्ष 2011 में एक बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आदेश देने के चलते पिछले आठ सालों से राज्य में ऐसा शादियां नहीं हो रही हैं, जिसमें उनके परिजन सहमत नहीं होते। जिसके चलते युगलों को दूसरे राज्यों में जाकर विवाद करना पड रहा है। ये युगल वहां शादी का हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की गुहार करते हैं। जिसके चलते एक ओर युगलों का कहीं भी विवाह करने का अधिकार का हनन हो रहा है। दूसरी ओर उन पर आर्थिक बोझ भी पड रहा है। जबकि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक प्रकरण विशेष में आदेश जारी किए थे। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है।
Body:याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि आर्य मैरिज वेलीडेशन एक्ट, 1937 के तहत इंटरकास्ट मैरिज की जा सकती है। इसके बावजूद हाईकोर्ट की खंडपीठ की ओर से वर्ष 2011 में एक बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आदेश देने के चलते पिछले आठ सालों से राज्य में ऐसा शादियां नहीं हो रही हैं, जिसमें उनके परिजन सहमत नहीं होते। जिसके चलते युगलों को दूसरे राज्यों में जाकर विवाह करना पड रहा है। ये युगल वहां शादी का हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की गुहार करते हैं। जिसके चलते एक ओर युगलों का कहीं भी विवाह करने का अधिकार का हनन हो रहा है। दूसरी ओर उन पर आर्थिक बोझ भी पड रहा है। जबकि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक प्रकरण विशेष में आदेश जारी किए थे। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है।
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Last Updated : Nov 7, 2019, 10:58 PM IST
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