जयपुर. प्रदेश के जलदाय विभाग ने दो भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है. इन दोनों ही अधीक्षण अभियंताओं को प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव की ओर से नोटिस भेजे गए हैं और उनसे 15 दिन में जवाब मांगा गया है. जवाब नहीं देने की स्थिति में दोनों ही अधीक्षण अभियंता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए अधीक्षण अभियंता सतीश जैन और रमेश मीणा को नोटिस जारी किए हैं. नोटिस में कहा गया है कि उनके विरुद्ध राजस्थान सिविल सेवा नियम 1958 के नियम 17 के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने का निर्णय लिया गया है. नोटिस के साथ दोनों ही अधिकारियों को आरोप पत्र भी भेजे गए हैं.
15 दिन में प्रस्तुत करें लिखित में जवाब
अधिकारियों को कहा गया है कि वे 15 दिन में अपना लिखित में जवाब प्रस्तुत करें. नोटिस में चेतावनी दी कि दी गई है कि यदि 15 दिन में उनका लिखित में जवाब नहीं मिलता है, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. आरोप पत्र में कहा गया है कि जब सतीश जैन अधीक्षण अभियंता पीएचईडी विभाग नगर वृत्त दक्षिण जयपुर के पद पर कार्यरत थे. तब डॉक्टर कॉलोनी डीसीएम अजमेर रोड जयपुर में स्थित पानी की टंकी के निम्न स्तरीय निर्माण और इसके रिसाव की शिकायत की जांच विभाग की सतर्कता टीम ने की थी.
उच्च जलाशय से जल रिसाव
जांच में पाया गया कि उच्च जलाशय से जल रिसाव हो रहा था और पाइप लाइन भी कम गहराई पर डाली गई थी. पाइप की गुणवत्ता भी विभागीय मापदंड के अनुसार नहीं थी. संवेदक के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही करने और जिम्मेदार कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के लिए कई बार मुख्य अभियंता प्रशासन की ओर से पत्र भेजकर निर्देशित किया गया था. लेकिन जनवरी 2017 से निर्देशों की पालना निरंतर स्मरण कराए जाने के बावजूद भी नहीं की गई. जो अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है.
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इसी मामले में तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रमेश चंद मीणा को भी नोटिस जारी किया गया है. साथ ही आरोप पत्र भी भेजा गया है. उन्हें भी आरोपपत्र में कहा गया है कि आप के 30 महीने के कार्यकाल में कई बार आपको दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया, लेकिन आपने कोई कार्रवाई नहीं की.
अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं
अधीक्षण अभियंता सतीश जैन और रमेश चंद्र मीणा को दिए गए नोटिस में कहा गया है कि निर्देशों की पालना नहीं किए जाने के कारण दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रकरण पर फैसला नहीं हो पाया. इस मामले संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होने से नियम विरुद्ध कार्य संपादित करने वाले संवेदक और अधिकारियों के संबल प्राप्त होता है और भविष्य में प्रोत्साहन भी मिलता है. दोनों ही अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है कि कार्रवाई नहीं कर अप्रत्यक्ष रूप से दोषी अधिकारियों को अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग प्रदान किया है. जिसके कारण आज तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.