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Rajasthan: धौलपुर में घर-घर हुई गोवर्धन पूजा, गोबर के गोवर्धन और श्रीकृष्ण के बनाए विग्रह, अन्नकूट का लगाया भोग

धौलपुर में शनिवार को गोवर्धन पूजा की गई. इस दौरान श्रीकृष्ण और गोवर्धन के विग्रह बनाकर अन्नकूट का भोग दिया गया.

Govardhan Puja 2024
गोवर्धन पूजा, (ETV Bharat Dholpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 2, 2024, 3:34 PM IST

धौलपुर: दीपावली के त्योहार के बाद सनातन संस्कृति में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. जिले में शनिवार को गोवर्धन पूजा आस्था पूर्वक की गई. महिलाओं और युवतियों ने घर के आंगन में श्रीकृष्ण एवं गोवर्धन के गोबर के विग्रह बनाकर अन्नकूट की प्रसादी का भोग लगाकर पूजा अर्चना की.

आचार्य राजेश शास्त्री ने बताया कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले पर्व गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है. यह त्योहार दीवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवंबर की गई. आचार्य ने बताया गोवर्धन पूजा को इंद्र देव पर श्रीकृष्ण के विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. गोवर्धन पर लोग अपने घर में गाय का गोबर लेकर साबुत अनाज से श्रीकृष्‍ण और गोवर्धन पर्वत का विग्रह बनाकर पूजा करते हैं. इस दिन श्रीकृष्ण को 56 व 108 तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है.

पढ़ें: Rajasthan: गोवर्धन पूजा पर पूंछरी का लौठा पहुंचे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, श्रीनाथ जी मंदिर में की विशेष पूजा

अन्नकूट का विशेष महत्व: गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को लगाए जाने वाले भोग अन्नकूट में तरह तरह की सब्जियां, कढ़ी-चावल, खीर, मिठाइयां, रबड़ी, पेड़े, पुआ, मक्खन, मिश्री, पूरी जैसी चीजें शामिल होती हैं. अन्नकूट का पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्ण एवं गोवर्धन को भोग लगाया जाता है.

पढ़ें: उदयपुर में 30 फीट के गोवर्धन भगवान की पूजा, निभाई गई सालों पुरानी परंपरा

इंद्र का अहंकार किया था चूर: पौराणिक कथाओं के अनुसार गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा की याद में मनाया जाता है. इस दिन प्रभु ने देवराज इंद्र के अभिमान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था और गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे ब्रजबासियों को शरण देकर उनकी भारी बारिश से रक्षा की थी. पौराणिक मान्यता के मुताबिक गोवर्धन की पूजा तभी से शुरू हुई.

धौलपुर: दीपावली के त्योहार के बाद सनातन संस्कृति में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. जिले में शनिवार को गोवर्धन पूजा आस्था पूर्वक की गई. महिलाओं और युवतियों ने घर के आंगन में श्रीकृष्ण एवं गोवर्धन के गोबर के विग्रह बनाकर अन्नकूट की प्रसादी का भोग लगाकर पूजा अर्चना की.

आचार्य राजेश शास्त्री ने बताया कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले पर्व गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है. यह त्योहार दीवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवंबर की गई. आचार्य ने बताया गोवर्धन पूजा को इंद्र देव पर श्रीकृष्ण के विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. गोवर्धन पर लोग अपने घर में गाय का गोबर लेकर साबुत अनाज से श्रीकृष्‍ण और गोवर्धन पर्वत का विग्रह बनाकर पूजा करते हैं. इस दिन श्रीकृष्ण को 56 व 108 तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है.

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अन्नकूट का विशेष महत्व: गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को लगाए जाने वाले भोग अन्नकूट में तरह तरह की सब्जियां, कढ़ी-चावल, खीर, मिठाइयां, रबड़ी, पेड़े, पुआ, मक्खन, मिश्री, पूरी जैसी चीजें शामिल होती हैं. अन्नकूट का पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्ण एवं गोवर्धन को भोग लगाया जाता है.

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इंद्र का अहंकार किया था चूर: पौराणिक कथाओं के अनुसार गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा की याद में मनाया जाता है. इस दिन प्रभु ने देवराज इंद्र के अभिमान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था और गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे ब्रजबासियों को शरण देकर उनकी भारी बारिश से रक्षा की थी. पौराणिक मान्यता के मुताबिक गोवर्धन की पूजा तभी से शुरू हुई.

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