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Special: कोरोना काल में नहीं भर पाई निगम की तिजोरी, अब प्रशासन शहरों के संग अभियान से आस

राजधानी (Jaipur) के दोनों निगम के लिए बीता वित्तीय वर्ष (Fiscal Year 2020-21) राजस्व वसूली (Revenue Collection) की दृष्टि से कुछ खास नहीं रहा. हालात वर्तमान वित्तीय वर्ष के भी कुछ खास नहीं है. हेरिटेज नगर निगम (Heritage Nagar Nigam) की साढ़े 6 महीने में महज 37.84 करोड़ रुपए की आय हुई है. वहीं ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) की तिजोरी में 43.27 करोड़ आए है. जिस प्राइवेट फर्म से यूडी टैक्स कलेक्शन और होर्डिंग साइट कलेक्शन का काम सौंपा गया था. वो भी कोरोना काल में कदम नहीं बढ़ा सकी. अब आस प्रशासन शहरों के संग अभियान से है. एक रिपोर्ट.

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अब प्रशासन शहरों के संग अभियान से आस
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Published : Oct 16, 2021, 12:14 PM IST

जयपुर: कोरोना ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बेपटरी कर दिया. प्रदेश ने भी इसके दंश को झेला. कोरोना का असर (Corona Effect) नगर निगम (Nagar Nigam) की वित्तीय स्थिति भी पड़ा. शहर के दोनों हेरिटेज (Heritage Nagar Nigam) और ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) की तमाम कवायद के बावजूद निगम तय लक्ष्य के आस पास भी नहीं पहुंच पाया. हालांकि बीते दो साल के राजस्व के आंकड़ों को आधार बनाकर पीठ जरूर थपथपा रहे हैं.

कोरोना काल में नहीं भर पाई निगम की तिजोरी



हेरिटेज नगर निगम
मद 2019-20 2020-21 2021-22(अब तक)
यूडी टैक्स 29.57 करोड़ 11.06 करोड़ 9 करोड़
होर्डिंग 18.03 करोड 5.17 करोड़ 76.44 लाख
पार्किंग 1.01 करोड़ 63 लाख 23.97 लाख
मोबाइल टावर 1.53 करोड़ 1.59 करोड़ 31.33 लाख
डेयरी बूथ 00 25 लाख 15.08 लाख
विवाह स्थल 1.10 करोड़ 92 लाख 89.82 लाख

ये भी पढ़ें-Special : राजस्थान में लागू हो रहा कामराज फॉर्मूला, नजर विधानसभा के साथ 2024 के लोकसभा चुनावों पर

प्रशासन शहरों के संग अभियान से लाभ

इसके अलावा निगम ने कोरोना प्रोटोकॉल की पालना नहीं करने वालों और अतिक्रमण करने वालों से चालान और कैरिंग चार्ज वसूलते हुए 18.32 करोड़ राजस्व एकत्र किया. वहीं हेरिटेज नगर निगम को प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत 10 हज़ार पट्टे वितरित करने हैं. इससे प्राप्त होने वाला राजस्व भी हेरिटेज निगम के खाते में ही जुड़ेगा. या यूं कहें जिस राजस्व वसूली के टारगेट को लेकर हेरिटेज निगम चल रहा है, उसे पूरा करने में प्रशासन शहरों के संग अभियान की भी अहम भूमिका रहेगी.

इस संबंध में राजस्व उपायुक्त का काम देख रहे रामकिशोर मेहता ने बताया कि कोरोना के दौर में प्राइवेट फर्म ने भी टैक्स वसूलने और होर्डिंग साइट (Hoarding Site) से वसूली का काम रोक दिया था. लेकिन अब दोबारा इस कार्य को गति दी जाएगी. इसके साथ ही निगम ने नई पार्किंग और होर्डिंग साइड भी चिह्नित कर उनका ऑक्शन किया है. वहीं यूडी टैक्स (UD Tax) और लीज में ब्याज और जुर्माने में शत प्रतिशत छूट दी गई है.


ग्रेटर नगर निगम :
मद 2019-20 2020-21 2021-22(अब तक)
यूडी टैक्स 44.36 करोड़ 62.67 करोड़ 17.11 करोड़
होर्डिंग 27.05 करोड 15.84 करोड़ 4.86 करोड़
पार्किंग 1.51 करोड़ 76 लाख 38.51 लाख
मोबाइल टावर 2.30 करोड़ 4.28 करोड़ 1.81 करोड़
डेयरी बूथ 13 लाख 1.35 करोड़ 78.73 लाख
विवाह स्थल 1.65 करोड़ 10.30 करोड़ 4.94 करोड़

राजस्व पर फोकस

इसे कोरोना का साइड इफेक्ट (Corona Side Effect) ही कहेंगे कि बीते साल शहरी सरकार को राजस्व का टोटा पड़ा. नगर निगम के आय का मुख्य स्रोत यूडी टैक्स और होर्डिंग से होने वाली वसूली में भी असर दिखा. हालांकि ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) को 2.72 करोड़ राजस्व जुर्माना वसूलने से मिला है. वहीं अब नई पार्किंग से निगम को आर्थिक लाभ मिलेगा और आम जनता को सुविधा. इसके साथ ही प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Sharon Ke Sang Abhiyan) में भी पट्टे वितरण करने का टारगेट बढ़ाकर राजस्व बढ़ाने पर फोकस है.

आपको बता दें कि राजस्व के लिए जूझ रहे हेरिटेज नगर निगम (Heritage Nagar Nigam) में फिलहाल राजस्व उपायुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे रामकिशोर मेहता के पास सिविल लाइन जोन का भी काम है. वहीं ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) में तो राजस्व उपायुक्त ही नहीं है. ऐसे में उपायुक्तों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. राजस्व एकत्रित करने में बाधा की एक अहम वजह ये भी है.

जयपुर: कोरोना ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बेपटरी कर दिया. प्रदेश ने भी इसके दंश को झेला. कोरोना का असर (Corona Effect) नगर निगम (Nagar Nigam) की वित्तीय स्थिति भी पड़ा. शहर के दोनों हेरिटेज (Heritage Nagar Nigam) और ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) की तमाम कवायद के बावजूद निगम तय लक्ष्य के आस पास भी नहीं पहुंच पाया. हालांकि बीते दो साल के राजस्व के आंकड़ों को आधार बनाकर पीठ जरूर थपथपा रहे हैं.

कोरोना काल में नहीं भर पाई निगम की तिजोरी



हेरिटेज नगर निगम
मद 2019-20 2020-21 2021-22(अब तक)
यूडी टैक्स 29.57 करोड़ 11.06 करोड़ 9 करोड़
होर्डिंग 18.03 करोड 5.17 करोड़ 76.44 लाख
पार्किंग 1.01 करोड़ 63 लाख 23.97 लाख
मोबाइल टावर 1.53 करोड़ 1.59 करोड़ 31.33 लाख
डेयरी बूथ 00 25 लाख 15.08 लाख
विवाह स्थल 1.10 करोड़ 92 लाख 89.82 लाख

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प्रशासन शहरों के संग अभियान से लाभ

इसके अलावा निगम ने कोरोना प्रोटोकॉल की पालना नहीं करने वालों और अतिक्रमण करने वालों से चालान और कैरिंग चार्ज वसूलते हुए 18.32 करोड़ राजस्व एकत्र किया. वहीं हेरिटेज नगर निगम को प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत 10 हज़ार पट्टे वितरित करने हैं. इससे प्राप्त होने वाला राजस्व भी हेरिटेज निगम के खाते में ही जुड़ेगा. या यूं कहें जिस राजस्व वसूली के टारगेट को लेकर हेरिटेज निगम चल रहा है, उसे पूरा करने में प्रशासन शहरों के संग अभियान की भी अहम भूमिका रहेगी.

इस संबंध में राजस्व उपायुक्त का काम देख रहे रामकिशोर मेहता ने बताया कि कोरोना के दौर में प्राइवेट फर्म ने भी टैक्स वसूलने और होर्डिंग साइट (Hoarding Site) से वसूली का काम रोक दिया था. लेकिन अब दोबारा इस कार्य को गति दी जाएगी. इसके साथ ही निगम ने नई पार्किंग और होर्डिंग साइड भी चिह्नित कर उनका ऑक्शन किया है. वहीं यूडी टैक्स (UD Tax) और लीज में ब्याज और जुर्माने में शत प्रतिशत छूट दी गई है.


ग्रेटर नगर निगम :
मद 2019-20 2020-21 2021-22(अब तक)
यूडी टैक्स 44.36 करोड़ 62.67 करोड़ 17.11 करोड़
होर्डिंग 27.05 करोड 15.84 करोड़ 4.86 करोड़
पार्किंग 1.51 करोड़ 76 लाख 38.51 लाख
मोबाइल टावर 2.30 करोड़ 4.28 करोड़ 1.81 करोड़
डेयरी बूथ 13 लाख 1.35 करोड़ 78.73 लाख
विवाह स्थल 1.65 करोड़ 10.30 करोड़ 4.94 करोड़

राजस्व पर फोकस

इसे कोरोना का साइड इफेक्ट (Corona Side Effect) ही कहेंगे कि बीते साल शहरी सरकार को राजस्व का टोटा पड़ा. नगर निगम के आय का मुख्य स्रोत यूडी टैक्स और होर्डिंग से होने वाली वसूली में भी असर दिखा. हालांकि ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) को 2.72 करोड़ राजस्व जुर्माना वसूलने से मिला है. वहीं अब नई पार्किंग से निगम को आर्थिक लाभ मिलेगा और आम जनता को सुविधा. इसके साथ ही प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Sharon Ke Sang Abhiyan) में भी पट्टे वितरण करने का टारगेट बढ़ाकर राजस्व बढ़ाने पर फोकस है.

आपको बता दें कि राजस्व के लिए जूझ रहे हेरिटेज नगर निगम (Heritage Nagar Nigam) में फिलहाल राजस्व उपायुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे रामकिशोर मेहता के पास सिविल लाइन जोन का भी काम है. वहीं ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam) में तो राजस्व उपायुक्त ही नहीं है. ऐसे में उपायुक्तों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. राजस्व एकत्रित करने में बाधा की एक अहम वजह ये भी है.

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