जयपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या बीते एक माह में 10,000 से अधिक पहुंच चुकी है. बीते कुछ समय में सबसे अधिक मामले राजधानी जयपुर से ही सामने आए हैं. जयपुर में एकमात्र डेडीकेटेड कोविड-19 आरयूएचएस अस्पताल एक बार फिर अलर्ट मोड पर आ गया है और अस्पताल में मरीजों की संख्या में इजाफा शुरू हो गया है.
आरयूएचएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि करीब 1 महीने पहले अस्पताल में सिर्फ 11 मरीज कोविड-19 के भर्ती थे लेकिन बीते 1 माह से एक बार फिर संक्रमण के मामले लगातार बढ़े हैं तो अस्पताल में मरीजों की संख्या में एक बार फिर इजाफा हुआ है. ऐसे में एक बार फिर से अस्पताल अलर्ट मोड पर आ गया है ताकि आपातकालीन परिस्थिति में भर्ती मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया करवाया जा सके. डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि हमने अस्पताल में आपातकालीन यूनिट को फिर से एक्टिव कर दिया है और आपातकालीन स्थिति में अस्पताल आने वाले मरीजों के लिए ऑक्सीजन बेड और ऑक्सीजन व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई है.
अस्तपताल में तैयारी
- आपातकालीन स्थिति के लिए अस्पताल में होल्डिंग एरिया किया गया तैयार
- अस्पताल में 20 व्हीलचेयर और 20 बेड विद ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है
- आपातकालीन वार्ड में राउंड दी क्लॉक हेल्थ वर्कर्स की लगाई गई है ड्यूटी
- सस्पेक्टेड मरीज के लिए अलग आईसीयू और पॉजिटिव मरीज के लिए अलग आईसीयू की व्यवस्था
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मौजूदा स्थिति
आरयूएचएस अस्पताल जयपुर का एकमात्र कोविड-19 डेडीकेटेड अस्पताल है. ऐसे में एक बार फिर से अस्पताल से रिलीव किए गए हेल्थ वर्कर्स को वापस बुलाया जा रहा है. क्योंकि संक्रमण के मामले लगातार राजधानी में बढ़ रहे हैं. यही नहीं कोविड-19 संक्रमण के बाद गंभीर केस भी अब अस्पताल में आने लगे हैं. इसके साथ ही दवाइयों की उपलब्धता को लेकर भी निर्देश जारी किए गए हैं ताकि समय पर मरीजों को समस्या न हो.
24 घंटे में 33 गंभीर मामले
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि संक्रमण के मामले के बाद बीते 24 घंटों में 33 गंभीर मामले अस्पताल में लाए गए थे जिनमें से तीन मरीजों की हालत काफी गंभीर है. करीब 1 महीने पहले अस्पताल में जहां सिर्फ 11 मरीज भर्ती थे, अब उनकी संख्या 100 पार हो चुकी है. वहीं बढ़ते संक्रमण के बाद अस्पताल में अतिरिक्त व्यवस्थाओं के निर्देश जारी किए गए हैं. इसके अलावा अस्पताल प्रशासन की ओर से अतिरिक्त मेडिकल स्टाफ की मांग भी की गई है.