जयपुर. किसानों के जरिए सत्ता में आने वाली प्रदेश की गहलोत सरकार इस बार सहकारिता विभाग के जरिए किसानों को दिए जाने वाले फसली ऋण वितरण में पिछड़ गई है. विभाग इस साल 16 हजार करोड़ का फसली ऋण रबी और खरीफ की फसल के लिए किसानों को देने का दम भर रहा था, लेकिन इसकी एवज में 7 हजार 950 करोड़ रुपए का ही फसली ऋण वितरण हो पाया. अब विपक्ष के रूप में भाजपा इसे ही मुद्दा बना रही है.
भाजपा के प्रदेश मंत्री मुकेश दाधीच के अनुसार गहलोत सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. यही कारण है कि किसानों से कर्ज माफी का जो वादा किया, वह भी पूरा नहीं हुआ और फसली ऋण वितरण का जो लक्ष्य विभाग ने तय किया, उसको हासिल करने में भी सहकारिता विभाग नाकाम रहा.
दरअसल, खरीफ की फसल के लिए जून तक सहकारिता विभाग को 10 हजार करोड़ रुपए का ब्याज मुक्त फसली ऋण वितरण करना था, लेकिन इस दौरान 19 लाख 2 हजार किसानों को महज 4 हजार 580 करोड़ का ही फसली ऋण वितरण किया गया. वहीं, सितंबर महीने तक किए जाने वाले रबी की फसल के फसली ऋण के वितरण के लिए भी इस साल 6 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन तय अवधि में सहकारिता विभाग 11 लाख 70 हजार किसानों को महज 3 हजार 370 करोड़ रुपए का ही फसली ऋण वितरण कर पाई.
इसी तरह इस साल सरकार ने किसानों के ऋण की सीलिंग 1 लाख तय की थी, लेकिन खरीफ और रबी के फसली ऋण में किसानों का अधिकतम 44 हजार तक का ही ऋण मिल पाया. बताया जा रहा है कि प्रदेश के किसानों की कर्ज माफी योजना के तहत एक बड़ी राशि किसानों को दे दी गई, जिसके कारण इस साल किसानों के फसली ऋण का जो लक्ष्य तय किया गया विभाग उसे आधा प्राप्त नहीं कर पाया.