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राज. मा. शिक्षा बोर्ड की किताब में महाराणा प्रताप के बाद अब रानी पद्मिनी को लेकर लिखे तथ्यों को लेकर विवाद

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की किताब राजस्थान की संस्कृति और इतिहास में उदय सिंह, हल्दीघाटी के साथ-साथ चित्तौड़गढ़ की महारानी पद्मिनी को लेकर भी विवाद खड़े हो रहे हैं. किताब में मलिक मोहम्मद जायसी की पद्मावत में लिखी बातों का जिक्र किया गया है. किताब में वहीं विवाद है जो कुछ समय पहले फिल्म पद्मावत को लेकर हुआ था.

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Published : Jun 29, 2020, 5:50 PM IST

Updated : Jun 29, 2020, 8:05 PM IST

राजस्थान की महारानी पद्मिनी, Queen Padmini of rajasthan
महारानी पद्मिनी को लेकर लिखी बातों पर विवाद

जयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की किताब में मेवाड़ राजवंश और हल्दी घाटी से जुड़े पाठ्यक्रम को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. इस विवाद में इस बार महाराणा प्रताप, उदय सिंह और हल्दीघाटी के बाद अब महारानी पद्मिनी को लेकर लिखे गए अंश पर विवाद खड़ा हुआ है. दरअसल, दसवीं बोर्ड की किताब राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति में राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय दिया गया है. इसी में पेज 9 के एक भाग में रावल रतन सिंह के इतिहास को जोड़ा गया है.

महारानी पद्मिनी को लेकर लिखी बातों पर विवाद

किताब में 1540 ईस्वी में मलिक मोहम्मद जायसी की ओर से लिखित पद्मावत का भी जिक्र किया गया है. जिसके अनुसार अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण का कारण रावल रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करना बतलाया गया है. वहीं इस पर डॉ. दशरथ शर्मा का मत भी प्रेषित किया गया है. रानी पद्मिनी से जुड़े इस विवादित तथ्य को लेकर इतिहासकारों ने फिर आवाज बुलंद की है. इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि डॉ. बनारसी प्रसाद, डॉ. गोपीनाथ शर्मा, पं. गौरीशंकर ओझा जैसे इतिहासकारों ने भी मलिक मोहम्मद जायसी की किताब पद्मावत में किए गए वर्णन को अतिश्योक्ति पूर्ण बताया है.

पढ़ेंः जांच रिपोर्ट आने के बाद NIMS यूनिवर्सिटी पर होगी कार्रवाई: चिकित्सा मंत्री

उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण करना खिलजी की साम्राज्यवादी नीति का हिस्सा था, ना कि रानी पद्मिनी को प्राप्त करने का. मलिक मोहम्मद जायसी इस घटना के करीब 200 साल बाद का एक चरित्र है. जिसने अवधी भाषा में पद्मावत किताब लिखी. उन्होंने काफी बातें इस किताब में शामिल की जो आधुनिक इतिहास की दृष्टि से सही नहीं थी. फिर डॉक्टर दशरथ शर्मा जैसे कुछ इतिहासकारों ने इसकी पुष्टि भी कर दी. लेकिन उन्होंने भी कहीं ये बात नहीं कही कि रानी पद्मावती आक्रमण की मुख्य वजह थी.

चूंकि गुजरात का इलाका घोड़ों के व्यापार और समुद्री व्यापार का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था. यहां से एक ट्रेड रूट बना हुआ था. चित्तौड़गढ़ का इलाका उस ट्रेड रूट का बीच का इलाका था. आमतौर पर चित्तौड़गढ़ से जुड़े जितने भी युद्ध हुए उस ट्रेड रूट को सुरक्षित करने की दृष्टि से हुए. ताकि दिल्ली सल्तनत अपने माल को व्यापार की दृष्टि से सुरक्षित कर सकें. ऐसे में एक लाख की फौज के साथ खिलजी ने जो आक्रमण किया, केवल एक रानी के प्रति आसक्ति उसका कारण नहीं हो सकता.

पढ़ेंः प्रतापगढ़: अरनोद थाने में उप सरपंच ने सरपंच के खिलाफ दर्ज कराया मारपीट का मामला

प्रताप, चेतक और हल्दीघाटी युद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को पाठ्यक्रम से हटाने के कारण गहलोत सरकार पहले से ही इतिहासकारों और मेवाड़ के राजपूतों के निशाने पर हैं. अब रानी पद्मिनी से जुड़ा विवादित तथ्य पाठ्यक्रम में शामिल कर एक बार फिर सरकार कठघरे में आ गई है. बता दें कि इससे पहले मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत के आधार पर ही संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म पर भी विवाद खड़ा हो चुका है.

जयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की किताब में मेवाड़ राजवंश और हल्दी घाटी से जुड़े पाठ्यक्रम को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. इस विवाद में इस बार महाराणा प्रताप, उदय सिंह और हल्दीघाटी के बाद अब महारानी पद्मिनी को लेकर लिखे गए अंश पर विवाद खड़ा हुआ है. दरअसल, दसवीं बोर्ड की किताब राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति में राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय दिया गया है. इसी में पेज 9 के एक भाग में रावल रतन सिंह के इतिहास को जोड़ा गया है.

महारानी पद्मिनी को लेकर लिखी बातों पर विवाद

किताब में 1540 ईस्वी में मलिक मोहम्मद जायसी की ओर से लिखित पद्मावत का भी जिक्र किया गया है. जिसके अनुसार अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण का कारण रावल रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करना बतलाया गया है. वहीं इस पर डॉ. दशरथ शर्मा का मत भी प्रेषित किया गया है. रानी पद्मिनी से जुड़े इस विवादित तथ्य को लेकर इतिहासकारों ने फिर आवाज बुलंद की है. इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि डॉ. बनारसी प्रसाद, डॉ. गोपीनाथ शर्मा, पं. गौरीशंकर ओझा जैसे इतिहासकारों ने भी मलिक मोहम्मद जायसी की किताब पद्मावत में किए गए वर्णन को अतिश्योक्ति पूर्ण बताया है.

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उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण करना खिलजी की साम्राज्यवादी नीति का हिस्सा था, ना कि रानी पद्मिनी को प्राप्त करने का. मलिक मोहम्मद जायसी इस घटना के करीब 200 साल बाद का एक चरित्र है. जिसने अवधी भाषा में पद्मावत किताब लिखी. उन्होंने काफी बातें इस किताब में शामिल की जो आधुनिक इतिहास की दृष्टि से सही नहीं थी. फिर डॉक्टर दशरथ शर्मा जैसे कुछ इतिहासकारों ने इसकी पुष्टि भी कर दी. लेकिन उन्होंने भी कहीं ये बात नहीं कही कि रानी पद्मावती आक्रमण की मुख्य वजह थी.

चूंकि गुजरात का इलाका घोड़ों के व्यापार और समुद्री व्यापार का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था. यहां से एक ट्रेड रूट बना हुआ था. चित्तौड़गढ़ का इलाका उस ट्रेड रूट का बीच का इलाका था. आमतौर पर चित्तौड़गढ़ से जुड़े जितने भी युद्ध हुए उस ट्रेड रूट को सुरक्षित करने की दृष्टि से हुए. ताकि दिल्ली सल्तनत अपने माल को व्यापार की दृष्टि से सुरक्षित कर सकें. ऐसे में एक लाख की फौज के साथ खिलजी ने जो आक्रमण किया, केवल एक रानी के प्रति आसक्ति उसका कारण नहीं हो सकता.

पढ़ेंः प्रतापगढ़: अरनोद थाने में उप सरपंच ने सरपंच के खिलाफ दर्ज कराया मारपीट का मामला

प्रताप, चेतक और हल्दीघाटी युद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को पाठ्यक्रम से हटाने के कारण गहलोत सरकार पहले से ही इतिहासकारों और मेवाड़ के राजपूतों के निशाने पर हैं. अब रानी पद्मिनी से जुड़ा विवादित तथ्य पाठ्यक्रम में शामिल कर एक बार फिर सरकार कठघरे में आ गई है. बता दें कि इससे पहले मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत के आधार पर ही संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म पर भी विवाद खड़ा हो चुका है.

Last Updated : Jun 29, 2020, 8:05 PM IST
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