जयपुर. सर्व शिक्षा अभियान के तहत जो निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, वो किसी सिविल इंजीनियर की देखरेख में नहीं, बल्कि कृषि अभियंता की निगरानी में हो रहे हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट मुनीश शर्मा ने शिक्षा विभाग में डेपुटेशन पर लगे 14 कृषि इंजीनियर की जानकारी देते हुए, प्रतिनियुक्ति के नियम, कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाने का राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद पर आरोप लगाया है.
राजस्थान के शिक्षा विभाग में निर्माण कार्य में चल रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए, हाई कोर्ट एडवोकेट मुनीश कुमार शर्मा ने याचिका लगाई है. उन्होंने राजस्थान में शिक्षा विभाग सहित अन्य निर्माण कार्यों के निरीक्षण कार्य में सिविल इंजीनियर की बजाए कृषि इंजीनियर से ये कार्य करवाए जाने का आरोप लगाया है.
एडवोकेट ने इस संबंध में कुछ दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि एक ओर कृषि विभाग अपने अभियंताओं को वापस मूल विभाग में मांग रहा है, लेकिन उन्हें शिक्षा विभाग से कृषि विभाग में नहीं भेजा जा रहा, जबकि कृषि विभाग में भी अभियंताओं की कमी चल रही है. वहीं सिविल इंजीनियर को ही स्कूल भवन, शौचालय और शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों में निर्माण कार्यों के निरीक्षण का अधिकार होता है.
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मुनीश शर्मा ने केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि भवनों में टेक्निकल खामी रह जाने के कारण कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है, और ये बच्चों और शिक्षकों के जीवन के साथ खिलवाड़ की तरह है. इसके खिलाफ न्यायालय में भी याचिका लगाई गई है. उन्होंने सरकार से मांग की कि सिविल अभियंताओं से ही नियमानुसार निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग करवाई जाए.
बता दें कि प्रतिनियुक्ति पर लगे अभियंता करीब एक दशक से राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद में ही जमे हुए हैं. इस संबंध में कृषि विभाग शिक्षा विभाग के साथ पत्र व्यवहार भी कर चुका है. बावजूद इसके अभी तक यहां से कृषि अभियंताओं को कार्यमुक्त नहीं किया गया.