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राजस्थान : कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथ अब भी खाली, लेकिन ब्यूरोक्रेसी को मिली अहम जिम्मेदारी

राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां नहीं हुई हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेसी को पिछले ढाई साल में नियुक्तियां दी गई हैं. जिस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नाराजगी भी जताई, लेकिन माकन का कहना है कि ये पद अधिकारियों को उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए ही दिए जाते हैं.

जयपुर न्यूज, Congress government in Rajasthan
ढाई साल से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति लटकी
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Published : May 9, 2021, 9:32 AM IST

Updated : May 9, 2021, 10:07 AM IST

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस सरकार के अब ढाई साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन ढाई साल में भी अभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथ खाली हैं. पहले लोकसभा चुनाव के बुरे नतीजे, फिर राजस्थान में राजनीतिक उठापटक और अब कोरोना के फैलते संक्रमण के चलते राजनीतिक नियुक्तियों के काम बंद हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद भले ही कांग्रेस कार्यकर्ता के हाथ खाली हों, लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे लगातार राजनीतिक पदों से नवाजा गया है और वह तबका है ब्यूरोक्रेसी का.

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भले ही राजनीतिक कार्यकर्ता को किसी ना किसी कारण से अब भी राजनीतिक नियुक्तियों के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन ब्यूरोक्रेसी को नियुक्तियां दी जा रही हैं. राजस्थान में ढाई साल में देखा जाए तो कुल 10 पूर्व आईएएस और 3 आईपीएस को राजनीतिक नियुक्तियां राजस्थान सरकार की ओर से दी गई है. इनमें से कई अधिकारी तो सेवानिवृत्ति के साथ ही राजनीतिक नियुक्ति के पद से उपकृत किए गए हैं.

ढाई साल से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति लटकी

इनको मिली नियुक्तियां...

बात की जाए सेवानिवृत्त आईएएस की जिन्हें राजनीतिक नियुक्तियां मिली है तो उनमें डीबी गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया है, एनसी गोयल रेरा के चेयरमैन है, गोविंद शर्मा को मुख्यमंत्री के सलाहकार का पद शुरुआत में ही दे दिया गया था. साथ ही पूर्व आईएएस राम लुभाया जवाबदेही कानून के चेयरमैन पद पर हैं. इसी तरीके से अरविंद मायाराम मुख्यमंत्री के सलाहकार, जगरूप सिंह और मातादीन शर्मा सिविल सेवा अपील के सदस्य बनाए गए हैं और प्रेम सिंह मेहरा को राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाया गया है.

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इसी तरीके से आईपीएस की बात की जाए तो पूर्व डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव को आरपीएससी का चेयरमैन बनाया गया है, तो पूर्व आईपीएस हरिप्रसाद शर्मा को राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है. इसी तरीके से आलोक त्रिपाठी को वाइस चांसलर सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय के पद पर लगाया गया है.

ऐसा नहीं है कि ब्यूरोक्रेसी को राजनीतिक नियुक्तियां दिए जाने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आपत्ति नहीं जताई, लेकिन उन्हें यह कह दिया गया कि यह पद तो हमेशा ही ब्यूरोक्रेसी से भरे जाते हैं. खुद प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने यह बात कही थी कि जो पद ब्यूरोक्रेसी से भरे गए हैं, उन पर हमेशा ब्यूरोक्रेसी से जुड़े अधिकारी ही बैठते हैं. सरकार भले ही कोई भी हो यह पद अधिकारियों को उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए ही दिए जाते हैं. हालांकि, बाद यह भी उठती है कि जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं को किसी ना किसी कारण से इंतजार करवाया जाता है तो फिर क्या कारण है की ब्यूरोक्रेसी के पद तुरंत भर दिए जाते हैं.

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस सरकार के अब ढाई साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन ढाई साल में भी अभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथ खाली हैं. पहले लोकसभा चुनाव के बुरे नतीजे, फिर राजस्थान में राजनीतिक उठापटक और अब कोरोना के फैलते संक्रमण के चलते राजनीतिक नियुक्तियों के काम बंद हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद भले ही कांग्रेस कार्यकर्ता के हाथ खाली हों, लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे लगातार राजनीतिक पदों से नवाजा गया है और वह तबका है ब्यूरोक्रेसी का.

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भले ही राजनीतिक कार्यकर्ता को किसी ना किसी कारण से अब भी राजनीतिक नियुक्तियों के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन ब्यूरोक्रेसी को नियुक्तियां दी जा रही हैं. राजस्थान में ढाई साल में देखा जाए तो कुल 10 पूर्व आईएएस और 3 आईपीएस को राजनीतिक नियुक्तियां राजस्थान सरकार की ओर से दी गई है. इनमें से कई अधिकारी तो सेवानिवृत्ति के साथ ही राजनीतिक नियुक्ति के पद से उपकृत किए गए हैं.

ढाई साल से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति लटकी

इनको मिली नियुक्तियां...

बात की जाए सेवानिवृत्त आईएएस की जिन्हें राजनीतिक नियुक्तियां मिली है तो उनमें डीबी गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया है, एनसी गोयल रेरा के चेयरमैन है, गोविंद शर्मा को मुख्यमंत्री के सलाहकार का पद शुरुआत में ही दे दिया गया था. साथ ही पूर्व आईएएस राम लुभाया जवाबदेही कानून के चेयरमैन पद पर हैं. इसी तरीके से अरविंद मायाराम मुख्यमंत्री के सलाहकार, जगरूप सिंह और मातादीन शर्मा सिविल सेवा अपील के सदस्य बनाए गए हैं और प्रेम सिंह मेहरा को राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाया गया है.

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इसी तरीके से आईपीएस की बात की जाए तो पूर्व डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव को आरपीएससी का चेयरमैन बनाया गया है, तो पूर्व आईपीएस हरिप्रसाद शर्मा को राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है. इसी तरीके से आलोक त्रिपाठी को वाइस चांसलर सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय के पद पर लगाया गया है.

ऐसा नहीं है कि ब्यूरोक्रेसी को राजनीतिक नियुक्तियां दिए जाने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आपत्ति नहीं जताई, लेकिन उन्हें यह कह दिया गया कि यह पद तो हमेशा ही ब्यूरोक्रेसी से भरे जाते हैं. खुद प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने यह बात कही थी कि जो पद ब्यूरोक्रेसी से भरे गए हैं, उन पर हमेशा ब्यूरोक्रेसी से जुड़े अधिकारी ही बैठते हैं. सरकार भले ही कोई भी हो यह पद अधिकारियों को उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए ही दिए जाते हैं. हालांकि, बाद यह भी उठती है कि जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं को किसी ना किसी कारण से इंतजार करवाया जाता है तो फिर क्या कारण है की ब्यूरोक्रेसी के पद तुरंत भर दिए जाते हैं.

Last Updated : May 9, 2021, 10:07 AM IST
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