जयपुर. नई शिक्षा नीति के विरोध में सेवा दल की ओर से सोमवार को दो दिवसीय कार्यक्रम संपन्न हुआ. जिसमें पहले सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई और आमंत्रित शिक्षाविदों ने शिक्षा नीति को लेकर विचार विमर्श किया. साथ ही केंद्रीय समिति की भूमिका पर भी चर्चा हुई.
जिसके बाद नई शिक्षा नीति के विरोध में सेवा दल की ओर से शहीद स्मारक पर प्रदर्शन किया गया. हालांकि, इस प्रदर्शन में किसी तरह की कोई नारेबाजी या आक्रामकता नहीं हुई. सेवादल की ओर से शहीद स्मारक पर बैठकर रामधुनी की गई. इस दौरान सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा की नई शिक्षा नीति हमारे देश की राइट टू एजुकेशन का कानून कमजोर करने की पॉलिसी है.
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उन्होंने कहा कि जहां नई शिक्षा नीति में बजट को 6% से बढ़ाकर 10% करना चाहिए था, वह इसमें नहीं किया गया है. वहीं, फेडरल स्ट्रक्चर को भी कमजोर करने का एक तरीका नई शिक्षा नीति है. क्योंकि इस शिक्षा नीति के जरिए केंद्र सरकार शिक्षा का केंद्रीकरण करना चाहती है. जब भी कोई बिल या पॉलिसी आती है तो उस पर पूरा संवाद होता है. उसके बाद ही वह कानून बनता है, लेकिन शिक्षा नीति में ऐसा नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि केवल केंद्रीकरण की बात की जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र पर शिक्षा का बाजारीकरण करने की साजिश करने का भी आरोप लगाया. देसाई ने कहा कि बाजारीकरण के जरिए केंद्र सरकार एजुकेशन फॉर क्लास और लिटरेसी फॉर मास देना चाहती है. जिसके माता-पिता के पास अच्छा पैसा है उसकी पढ़ाई अच्छी होगी और जिसके पास पैसे नहीं है उनके पास केवल शिक्षा के नाम पर अक्षर ज्ञान ही होगा. ऐसे में नई शिक्षा नीति के विरोध में सेवादल जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक लड़ाई लड़ेगा.