जयपुर. राजस्थान में 32 दिन चले सियासी संकट की कहानी में विधायकों की अनदेखी सामने आई. आलाकमान से मिलने के बाद गिले शिकवे खत्म हो गए. लेकिन इस सियासी घटना क्रम के बीच जो बल्ले-बल्ले हुई वो उन विधायकों की हुई. जिनकी पहले सुनवाई नहीं हो रही थी और वो नाराजगी भी नहीं जता पा रहे थे. विधायक पहले अपने क्षेत्र की समस्याओं और लोगों की समस्या को लेकर अफसरों के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे. मंत्री के पास जाओ तो वो नहीं सुनते थे. मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए महीनों का इंतजार करना पड़ता था.
खैर हालात यह थे कि विधायकों को अपने क्षेत्र के लोगों के काम नहीं होने की वजह से क्षेत्र में नाराजगी का सामना भी करना पड़ता था. लेकिन अब विधायकों को पास बैठाकर उनका काम किया जा रहा है. एक-एक मंत्री ने विधायकों के उनके कामों और समस्याओं के बारे में सुना ही नहीं बल्कि उन्हें हाथों-हाथ पूरा भी किया. बाड़ेबंदी में विधायक और मंत्री एक साथ सीएम गहलोत भी ज्यादातर समय अपने विधायकों के बीच रहे. ऐसे में सीएम गहलोत ने उनके साथ निष्ठा दिखाने और उनमें सरकार के प्रति कोई नाराजगी नहीं रहे इसलिए विधायकों के काम तत्काल पूरे करने के निर्देश दिए.
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बता दें कि सरकार के मंत्री खुद सामने बैठकर विधायकों की समस्याओं को सुन रहे थे और तत्काल उनकी पसंद के हिसाब से काम भी हो रहे थे. इसके साथ ही मनपसंद अफसरों के तबादले की करवाई हो या फिर क्षेत्र का विकास कार्य सभी को तत्काल पूरा किया गया. अपने क्षेत्र में पानी की पाइपलाइन बिछाने का काम हो या सड़क की मरम्मत का काम सभी कामों को हाथों-हाथ किया गया. सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विधायकों की सिफारिश होने वाले काम को अफसर तत्परता के साथ पूरा करेंगे. साथ विधायकों के पेंडिंग कामों को भी जल्द निपटाया जाएगा.
बड़ी संख्या में आरएएस तबादले...
प्रदेश की गहलोत सरकार ने पिछले 15 दिन में बड़े स्तर पर आरएएस अफसरों के तबादले किए हैं. जानकार सूत्रों की माने तो इनमें ज्यादातर एसडीएम और तहसीलदार से प्रमोट होने वाले आरएएस की संख्या है जो विधायकों की पसंद के हिसाब से लगाए गए हैं. पिछले 15 दिन में करीब 250 से अधिक आरएएस अफसर बदले गए हैं. इसी तरहं से तहसीलदार, बिजली विभाग में 200 से ज्यादा तबादले, जलदाय विभाग में 150 से ज्यादा इंजीनियरों के तबादले, कुछ जिलों में विधायकों की नापंसद वाले जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को बदला गया.
पहले सुनवाई होती तो बगावत क्यों होती...
प्रदेश में 32 दिन का सियासी घटनाक्रम चला. इसके पीछे सबसे ज्यादा नाराजगी विधायकों के अपने क्षेत्र में काम नहीं होने से थी. एक ओर सरकार बाड़ेबंदी में होने के साथ ही एक-एक विधायक से उसको अनुसार पसंद के अफसर लगा रही है. क्षेत्र की समस्या और जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए गए. लेकिन जानकारों की माने तो अगर सरकार पहले इस तरह से विधायकों की समस्यों को सुन लेती तो शायद यह 32 दिन ड्रामा नहीं चलता.