जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में चाहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हों, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा हों या फिर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, ये नेता एक ही बात कहते नजर आ रहे हैं कि राजस्थान में 2023 में सरकार कैसे रिपीट हो. बहरहाल, सरकार रिपीट होने में सबसे बड़ी दिक्कत (Congress Mission 2023) अगर किसी भी पार्टी के सामने आती है तो वह होती है, सिटिंग मंत्री और विधायक के खिलाफ उस विधानसभा में पैदा हुई एंटी इनकंबेंसी.
यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी में इस बार कई विधायकों की टिकट काटने की बात चल रही है. किस मंत्री या विधायक की टिकट कटेगी, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन सचिन पायलट, लालचंद कटारिया, महेश जोशी और रघु शर्मा जैसे करीब डेढ़ दर्जन मंत्री और विधायक कांग्रेस पार्टी के ऐसे हैं जो इस बार अपनी विधानसभा सीट बदल सकते हैं. चाहे इसे पार्टी के बड़े नेताओं से दूसरी सीटों पर जाकर असर डालने की सोच हो या खुद नेता का अपनी सीट के अलावा दूसरी सीटों पर प्रभाव माना जाए या फिर वर्तमान सीट पर एंटी इनकंबेंसी के चलते हार की संभावना का असर. लेकिन मंत्री-विधायक अपने लिए मुफीद सीट तलाश करने के साथ ही लगातार जीत का फार्मूला ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं.
हालांकि, इन डेढ़ दर्जन मंत्रियों-विधायकों में से कई मंत्री-विधायक तो बड़े नेताओं के उनकी सीट पर आने के चलते एक्सचेंज का फार्मूला (Anti Incumbency in Rajasthan) अपना सकते हैं. ऐसा नहीं है कि राजस्थान में नेताओं ने पहले कभी अपनी विधानसभा सीटों में बदलाव नहीं किया है, बल्कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके भैरोंसिंह शेखावत हर बार नई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते थे.
ये नेता बदल सकते हैं सीट :
सचिन पायलट - राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट वैसे भी लगातार अपनी सीट में बदलाव करते रहे हैं. पहला लोकसभा चुनाव वह दौसा से लड़े, जिसके रिजर्व होने के बाद उन्होंने अजमेर लोकसभा से चुनाव लड़ा. वहीं, पहली बार विधानसभा का चुनाव उन्होंने टोंक विधानसभा से लड़ा. अब इस बार माना जा रहा है कि पार्टी सचिन पायलट का इस्तेमाल किसी अन्य जिले को मजबूत करने के लिए अन्य सीट पर भी कर सकती है, तो पायलट भी यह बताना चाहते हैं कि वह राजस्थान में कहीं से भी चुनाव जीत सकते हैं. ऐसे में सचिन पायलट अगला चुनाव नसीराबाद, बांदीकुई, आमेर या विराटनगर सीट से लड़ सकते हैं.
लाल चंद कटारिया - राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया को लेकर भी कहा जा रहा है कि वह झोटवाड़ा के स्थान पर अपनी पुरानी सीट आमेर का रूख कर सकते हैं.
महेश जोशी - राजस्थान के जलदाय मंत्री महेश जोशी भी अपनी पुरानी विधानसभा सीट किशनपोल से चुनाव लड़ने का मानस बना रहे हैं.
रघु शर्मा - रघु शर्मा को लेकर कहा जा रहा है कि वह केकड़ी की जगह इस बार जयपुर की सिविल लाइंस विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं. रघु शर्मा पहले जयपुर से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं और सिविल लाइंस में ब्राह्मण मतदाता हमेशा हार-जीत डिसाइड भी करता है. हालांकि, रघु शर्मा को इसके लिए अपने मित्र प्रताप सिंह खाचरियावास को सीट बदलने के लिए तैयार करना होगा.
प्रताप सिंह खाचरियावास - वैसे तो मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास अपनी परमानेंट सिविल लाइंस विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अगर रघु शर्मा उन्हें मनाने में कामयाब हुए तो. ऐसे में प्रताप सिंह खाचरियावास जयपुर की लगातार हारी जा रही विद्याधर नगर सीट पर भी चुनाव लड़ सकते हैं.
अमीन कागजी - अमीन कागजी भी अपनी विधानसभा सीट किशनपोल से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन अगर महेश जोशी ने हवा महल की जगह किशनपोल विधानसभा से चुनाव लड़ा तो अमीन कागजी की सीट में बदलाव कर उन्हें हवा महल भेजा जा सकता है.
हरीश मीणा - देवली उनियारा से विधायक हरीश मीणा अपने दोनों चुनाव अलग-अलग सीट से लड़े हैं. पहले वह दौसा के सांसद रहे और इस बार देवली उनियारा से विधायक हैं. अब इस बार भी हरीश मीणा अपनी विधानसभा सीट में बदलाव कर देवली उनियारा की जगह बामनवास जाना चाहते हैं.
राकेश पारीक - मसूदा से कांग्रेस विधायक राकेश पारीक केकड़ी से चुनाव लड़ना चाहते हैं. रघु शर्मा ने अपनी सीट में बदलाव किया तो राकेश पारीक को केकड़ी शिफ्ट किया जा सकता है. राकेश परीक का निवास भी केकड़ी विधानसभा में ही आता है.
राजेन्द्र विधूड़ी - कांग्रेस के दो बार के विधायक राजेंद्र बिधूड़ी भी इस बार बेंगू की जगह गुर्जर बाहुल्य नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
विश्वेन्द्र सिंह - मंत्री विश्वेंद्र सिंह वैसे तो अपनी परमानेंट सीट डीग कुम्हेर से ही चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि अगर उनकी बहन कृष्णेंद्र कौर दीपा नदबई से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो वह नदबई से चुनाव लड़ सकते हैं.
कृष्णा पूनिया - विधायक कृष्णा पूनिया भी इस बार अपनी सीट सादुलपुर की जगह चूरू की ही तारानगर विधानसभा से चुनाव लड़ सकती हैं.
मुरारी लाल मीणा - मंत्री मुरारी लाल मीणा भी इस बार दौसा की जगह महुआ विधानसभा से चुनाव लड़ने का मानस बना रहे हैं.
राम नारायण मीणा - विधायक रामनारायण मीणा इस बार वापस अपनी पुरानी सीट देवली उनियारा से चुनाव लड़ने का मानस बना रहे हैं.
दिव्या मदेरणा - वैसे तो दिव्या मदेरणा अपनी परंपरागत सीट ओसिया से ही चुनाव लड़ेगी, लेकिन राजनीति में सक्रिय अपनी मां लीला मदेरणा के लिए जगह बनाने के लिए वह लोहावट को अपनी नई सीट बना सकती हैं.
प्रशांत बैरवा - विधायक प्रशांत बैरवा अपनी परंपरागत सीट निवाई को छोड़ इस बार जातिगत आधार के चलते चाकसू भी आ सकते हैं.
दुर्रू मियां - कई बार विधायक और मंत्री रह चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दुर्रू मियां भी इस बार जयपुर की आदर्श नगर को अपनी कर्मभूमि बनाना चाहते हैं.