जयपुर. राजस्थान में इस बार कोटा, जोधपुर और जयपुर में दो-दो नगर निगम बना दिए गए. इन चुनावों में मुस्लिम पार्षदों की बड़ी संख्या में जीतकर आने और उसके बाद भी कांग्रेस के एक भी महापौर मुस्लिम नहीं बनाए जाने से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को कांग्रेस पार्टी ने नाराज कर दिया है. यही वजह है कि अब राजस्थान में यह चर्चा होने लगी है कि आगामी विधानसभा चुनाव में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी कांग्रेस में असंतुष्ट मुस्लिम नेताओं को अपनी पार्टी में एंट्री देकर राजस्थान में मुस्लिम वोट बैंक पर सेंध लगा सकते हैं.
हालांकि, ओवैसी की राजस्थान में संभावित एंट्री की संभावनाओं के बीच कांग्रेस पार्टी ने अपने परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक को साथ जोड़े रखने के लिए प्लान भी तैयार किया है, जिससे की न तो बहुसंख्यक नाराज हों और ना ही अल्पसंख्यक मुस्लिमों को भी कांग्रेस पार्टी का साथ देने का रीवार्ड मिल सके, इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने नगर निगम की तर्ज पर शहरों में दो-दो जिला अध्यक्ष बनाने का विचार बनाया है. फिलहाल, यह फार्मूला जयपुर शहर में ही लागू हो सकता है, जहां दो जिला अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं, जिनमें से एक जिला अध्यक्ष मुस्लिम होगा.
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इतना ही नहीं राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अतिरिक्त जिलों के साथ ही ब्लॉक भी 400 से ज्यादा करने की डिमांड प्रदेश प्रभारी अजय माकन से की है, ताकि अतिरिक्त बने ब्लॉक में भी अल्पसंख्यक मुस्लिमों को मौका दिया जा सके. वहीं, कांग्रेस पार्टी का मानना है कि जिस तरीके से जयपुर में पहले नगर निगम के 91 वार्ड थे, जो दो नगर निगम होने के बाद 250 वार्ड हो गए हैं और इसी तरीके से कोटा और जोधपुर में भी निगम के वार्डों की संख्या में इजाफा हुआ है.
ऐसे में चर्चा यह भी है कि दो नगर निगम वाले क्षेत्रों में संगठन चलाने के लिए एक शहर अध्यक्ष पर्याप्त नहीं हैं. अगर दो शहर अध्यक्ष बनाए जाते हैं, तो संगठन का कामकाज भी आसानी से होगा साथ ही कार्यकर्ताओं तक अध्यक्ष की सीधी पहुंच भी रहेगी. यही फार्मूला ब्लॉक अध्यक्ष को लेकर है. राजस्थान में अब तक 200 विधानसभा में 400 ब्लॉक हैं, लेकिन अब हर ब्लाक में वोटर की संख्या और क्षेत्र बड़ा है, ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने ब्लॉक की संख्या में भी बढ़ोतरी की जरूरत महसूस की है. बता दें, महापौर नहीं बनाए जाने पर मुस्लिम समाज ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के बाहर तो प्रदर्शन किया ही था, अपनी नाराजगी जताने के लिए वह राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन के पास भी शिकायत लेकर गए थे.
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ब्लॉक और जिलों की संख्या बढ़ाने में प्रदेश कांग्रेस नहीं है सक्षम
कांग्रेस पार्टी राजस्थान में नए जिले और नए ब्लॉक बनाना चाहती है, लेकिन इसके लिए उन्हें एआईसीसी की अनुमति की आवश्यकता होगी. क्योंकि प्रदेश कांग्रेस अपने स्तर पर जिलों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं कर सकती है और कांग्रेस के संविधान के अनुसार एआईसीसी ही जिलों की बढ़ोतरी कर सकती है. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस ने एक प्रस्ताव बनाकर प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन को सौंप दिया है, ताकि वह एआईसीसी से इस पर निर्णय करवाएं.
महिला कांग्रेस में हो चुकी है अतिरिक्त जिले बनाने की शुरुआत
राजस्थान कांग्रेस की सोच है कि कांग्रेस पार्टी के जिले और ब्लॉक ज्यादा बनें लेकिन इसके लिए उसे एआईसीसी की अनुमति की आवश्यकता होगी. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने अपने अग्रिम संगठनों में यह काम पहले ही शुरू कर दिया है. यही कारण है कि महिला कांग्रेस में जयपुर देहात और जयपुर शहर में दो-दो अध्यक्ष बनाए गए हैं. जयपुर शहर में जयपुर हेरिटेज और जयपुर ग्रेटर जिले बनाए गए हैं, जिनमें से जयपुर हेरिटेज की कमान रानी लुबना को दी गई है, तो वहीं जयपुर ग्रेटर के लिए अध्यक्ष की खोज चल रही है. लेकिन, एक शहर में दो जिला अध्यक्ष होने की शुरुआत महिला कांग्रेस ने कर दी है और अब कहा जा रहा है कि आगामी दिनों में आने वाली सेवादल की कार्यकारिणी में भी ऐसा ही दिखाई देगी.
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इन जिलों के मुस्लिम मतदाताओं को साधने की है तैयारी
कांग्रेस से असंतुष्ट मुस्लिम नेताओं ने AIMIM के लिए जिन जिलों का खाका तैयार किया है, उनमें जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, धौलपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनू, नागौर, अजमेर, चूरू, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और करौली जैसे जिले हैं, जहां पर कई विधानसभा में मुस्लिम आबादी कम से कम 40 से 50 हजार या ज्यादा है. वहीं, जयपुर शहर के आदर्शनगर किशनपोल, और हवामहल विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर मुस्लिम आबादी करीब एक लाख तक है. ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी अगर राजस्थान में सक्रिय होती है तो कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.
इन विधानसभाओं को माना जाता है मुस्लिम बाहुल्य
आदर्श नगर, किशनपोल, हवामहल, सवाई माधोपुर, टोंक, मसूदा, पुष्कर, धौलपुर, शिव ,सूरसागर, सरदार शहर, बीकानेर पूर्व, नगर, कामा, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़ ,तिजारा ,पोकरण, मकराना, दातारामगढ़, सीकर, झुंझुनू, नागौर, नवलगढ़, मंडावा, डीडवाना, मकराना, नागौर, धौलपुर, फतेहपुर और चूरू.