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Horse Trading In Rajasthan: महेश जोशी की शिकायत से खुला फोन टैपिंग का रास्ता, ACB को मिला यह अधिकार

राज्यसभा चुनाव में 4 सीटों पर 5 उम्मीदवार मैदान में हैं. 5वें उम्मीदवार के तौर पर भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी डॉ सुभाष चंद्रा के चुनावी रण में उतरने के बाद मुकाबला रोचक हो गया है. अपने विधायकों को बचाए रखने और 3 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस सारे जुगत लगा रही है. कांग्रेस ने विधायकों की बाड़ेबंदी कर दी है, लेकिन फिर भी पार्टी को हॉर्स ट्रेडिंग का डर सता रहा (Congress fears horse trading in Rajya Sabha elections) है. यही वजह है कि सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी एसीबी से लेकर निर्वाचन विभाग तक हॉर्स ट्रेडिंग की शिकायत दर्ज करवा चुके हैं.

Congress fears horse trading in Rajya Sabha elections
महेश जोशी
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Published : Jun 7, 2022, 7:34 PM IST

जयपुर. प्रदेश में राज्यसभा की चार सीटों पर हो रहे चुनाव के बीच हर एक दिन गुजरने के साथ ही मुकाबला रोचक होता जा रहा है. भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर डॉ सुभाष चंद्रा के मैदान में उतरने के साथ ही कांग्रेस को हॉर्स ट्रेडिंग का डर सताने लगा है. यही वजह है कि राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका को लेकर एसीबी से लेकर निर्वाचन विभाग तक शिकायत दर्ज करा दी (Congress fears horse trading in Rajya Sabha elections) है. इसके बाद अब राजस्थान एसीबी विधायक व अन्य संदिग्ध लोगों के फोन टैप करने जा रही है.

सरकार की ओर से दी गई शिकायत पर एक्शन लेते हुए अब राजस्थान एसीबी और इंटेलिजेंस ऐसे संदिग्ध लोगों के मोबाइल सर्विलांस पर ले सकती हैं, जो राज्यसभा चुनाव को धनबल से प्रभावित कर सकते हैं. साथ ही चुनाव की गरिमा को प्रभावित कर सकते हैं. इसके लिए एसीबी मुख्यालय और राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस शाखा की ओर से एसीएस होम व होम सेक्रेट्री को संदिग्ध व्यक्तियों के नंबर भेज कर फोन टैपिंग की अनुमति ली जा रही है.

महेश जोशी , मुख्य सचेतक , राजस्थान सरकार

पढ़े:Rajya Sabha Elections 2022 : गहलोत सरकार ने साधा बीटीपी विधायकों को...मांगे मानी...दोनों विधायक पहुंचे बाड़ेबंदी में

इस बार कर रहे नियमों की पालनाः एसीबी सूत्रों की मानें तो वर्ष 2020 में जब सरकार पर सियासी संकट आया था तो उस दौरान गलत तरीके से फोन टैपिंग के आरोप सरकार पर लगे थे. इसे देखते हुए सरकार अब दोबारा इस तरह की गलती ना हो इसका पूरा ध्यान रख रही है. नियमों की पालना करते हुए सरकार की ओर से जांच एजेंसी को लिखित में शिकायत दी गई है. जिससे संदिग्धों के फोन को विधिवत तरीके से सर्विलांस पर लेकर नजर रखी जा सके और फोन टैपिंग की जा सके. बता दें कि वर्ष 2020 में विधायक खरीद फरोख्त से जुड़े 3 ऑडियो वायरल हुए थे. जिसमें संजय जैन, गजेंद्र सिंह शेखावत और भवरलाल शर्मा के नाम सामने आए थे. इसके बाद राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. वहीं गलत तरीके से फोन टैप करने और प्रतिष्ठा को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी दिल्ली में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत अज्ञात पुलिस अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी.

शिकायत में नहीं किसी का नाम ऐसे में कइयों के होंगे फोन टैपः रविवार को राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी में हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर जो शिकायत दी है, उसमें किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं लिखा गया है. ऐसे में शिकायत मिलते ही एसीबी ने अपने स्तर पर जांच करना शुरू कर दिया है. पूरे प्रदेश में अपनी तमाम यूनिट को अलर्ट किया है. क्योंकि सरकार की ओर से दी गई शिकायत में किसी भी व्यक्ति के नाम का जिक्र नहीं है. ऐसे में एसीबी अपनी जांच और इंटेलिजेंस के आधार पर कई विधायकों व अन्य संदिग्ध लोगों के फोन टैप कर सकती है. बता दें कि वर्ष 2020 में विधायक खरीद-फरोख्त प्रकरण के सामने आने के बाद एसओजी ने कार्रवाई करते हुए सबसे पहले बीजेपी के नेता अशोक सिंह और भरत मालानी को फोन टैपिंग के आधार पर गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही तीन विधायक ओम प्रकाश हुडला, सुरेश टांक और खुशवीर सिंह के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई थी और इन तमाम शिकायतों को जांच के लिए एसीबी को ट्रांसफर कर दिया था.

राजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व पुलिस अधिकारी

पढ़े:Rajya Sabha elections: कांग्रेस की बाड़ेबंदी में 126 में से 105 विधायक पहुंचे, एक को छोड़ सभी निर्दलीय शामिल, 6 कांग्रेसी विधायक बीमार

फोन टैपिंग के गलत उपयोग पर होता है मुकदमा दर्जः पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि तमाम जांच एजेंसी शिकायत प्राप्त होने पर विधिवत तरीके से फोन टैपिंग कर सकती हैं. यदि फोन टैपिंग के डाटा का कोई गलत उपयोग करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है. गैर कानूनी तरीके से किसी व्यक्ति की फोन टैपिंग करना उसकी निजता के अधिकारों का उल्लंघन माना गया है. यदि यह पता चल जाए कि उक्त व्यक्ति का फोन गैरकानूनी तरीके से टैप हो रहा है या किया गया है, तो वह कानूनी कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज करवा सकता है. जिसके तहत उक्त व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से फोन टैपिंग करने वाले व्यक्ति के खिलाफ इंडियन टेलीग्राफिक एक्ट के सेक्शन 26-बी के तहत कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर सकता है. जिसके तहत गैर कानूनी तरीके से फोन टैप करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की सजा का प्रावधान है.

इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत की जाती है फोन टैपिंगः पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन 5 के दो सबक्लॉज के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार को आपातकाल या लोक सुरक्षा के हित में फोन टैपिंग का अधिकार हासिल है. वर्ष 2007 में भारत सरकार की ओर से इस एक्ट में संशोधन किए गए. इस एक्ट के सबक्लॉज 419 एवं 419-ए के तहत मोबाइल फोन टैपिंग की जा सकती है. इस एक्ट के नियम के अनुसार सुरक्षा के नाम पर, देश की एकता और अखंडता के नाम पर और पब्लिक सेफ्टी के नाम पर फोन टैपिंग की जा सकती है. ऐसे प्रकरण जिसमें सबूत बिना किसी व्यक्ति के फोन टैप किए बगैर नहीं हासिल किए जा सकते तो ऐसी परिस्थितियों में फोन टैपिंग की जाती है.

पढ़े:Rajya Sabha Election 2022: दो-तीन पहले तक स्थिति अलग थी...लेकिन अब जीत निश्चित हैः प्रमोद तिवारी

प्रदेश में पुलिस के पास फोन टैपिंग की पावर होती है. लेकिन होम सेक्रेटरी से परमिशन लेने के बाद ही वह किसी व्यक्ति का फोन टैप कर सकती है. इमरजेंसी में बिना परमिशन लिए फोन टैपिंग शुरू की जा सकती है लेकिन फोन टैपिंग के 3 दिन के अंतराल में होम सेक्रेटरी से परमिशन लेकर उस परमिशन को सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को देना आवश्यक होता है. होम सेक्रेट्री की ओर से 7 दिन की परमिशन फोन टैपिंग के लिए दी जाती है. उसके बाद यदि फोन टैपिंग को आगे जारी रखना होता है तो उसका रिव्यू किया जाता है और 7 दिन की परमिशन और प्रदान की जाती है. इसके बाद भी यदि फोन टैपिंग की अवधि को आगे बढ़ाने की जरूरत होती है तो चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक रिव्यू कमेटी उसका रिव्यू करती है. उसके बाद फोन टैपिंग की अवधि को साधारण परिस्थितियों में 90 दिन तक बढ़ाया जा सकता है और 180 दिन इसकी अंतिम सीमा होती है. 180 दिन से अधिक फोन टैपिंग नहीं किया जा सकता और फोन टैपिंग कि तमाम रिकॉर्ड को गोपनीय रखना होता है और कोई भी अन्य एजेंसी या व्यक्ति उसका गलत इस्तेमाल ना कर सके इसे पूरी तरह से सुनिश्चित करना होता है.

विधायकों की फोन टैपिंग लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघातः पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका को देखते हुए विधायकों की फोन टैपिंग का जो निर्णय लिया गया है वह लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात है. लोकतंत्र की प्रक्रिया है, उसके तहत विधायक किसी से भी अपना विचार व्यक्त कर सकते हैं और अपनी अंतरात्मा के आधार पर कुछ भी फैसला ले सकते हैं. लेकिन इस तरह से फोन टैपिंग के माध्यम से विधायकों पर जो प्रेशर बनाने का प्रयास किया जा रहा है वह गलत है.

कांग्रेस के समय जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी तो राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को वोट ना देकर पार्टी लाइन को क्रॉस करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी वीवी गिरी को समर्थन देने का आह्वान किया. उक्त चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी वीवी गिरि की जीत हुई थी. वहीं राजस्थान में वर्तमान में राज्यसभा चुनाव को लेकर विधायकों पर जिस तरह का प्रेशर सरकार की ओर से बनाया जा रहा है वह सरासर गलत है. राज्य सरकार का काम है जनता की सुरक्षा करना और उनकी निजता को बनाए रखना ना की राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित करना.

पढे़:Rajya Sabha Election: कांग्रेस की बाड़ेबंदी के बीच विधायक जोगिंदर अवाना की तबीयत खराब, अस्पताल वापस लौट कर BJP पर साधा निशाना

शिकायत पहुंची निर्वाचन आयोगः कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने मंगलवार को हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका को लेकर निर्वाचन विभाग के दफ्तर पहुंचे , जोशी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता को राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका की शिकायत दर्ज कराई . महेश जोशी ने कहा कि आशंका व्यक्त की जा रही है कि राज्यसभा के चुनावों में धनबल का भारी खेल हो सकता है . ऐसे में सचेतक होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे मामले आए तो लिखित परिवाद पेश करूं . उन्होंने कहा कि सोमवार को तो एसीबी में सामान्य परिवाद दर्ज कराया गया है और आज निर्वाचन विभाग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता को लिखित में शिकायत देकर आशंका से अवगत कराया है .

सीमाओं पर हो नाकाबंदीः महेश जोशी ने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जो शिकायत दी है, उसमें हमने उनसे आग्रह किया है कि जिस तरह से राज्यसभा में निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं और बीजेपी उन्हें बैक सपोर्ट कर रही है . उससे हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका ज्यादा है . ऐसे में राज्य की सीमाओं को सुरक्षित किया जाए . आने जाने वाले पर कड़ी नाकाबंदी के जरिए नजर रखी जाए , ताकि किसी भी अन्य गतिविधि नहीं हो सके . महेश जोशी ने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आश्वस्त किया है कि वह उनकी शिकायत को गंभीरता से ले कर उस पर अमल करेंगे.

हॉर्स ट्रेडिंग फार्मूला नही होगा कामयाबः जोशी ने कहा कि राजस्थान में भाजपा के हॉर्स ट्रेडिंग के फॉर्मूले को कामयाब नहीं होने देंगे . जोशी ने भाजपा पर आरोप लागते हुए कहा कि पर्दे के पीछ भाजपा हॉर्स ट्रेडिंग का खेल खेल रही है . जिससे लोकतंत्र का कमजोर होने का खतरा बना हुआ है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि भाजपा का कारनामा जनता के सामने लाएं . जोशी ने कहा कि पूर्व में भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लग चुके हैं और अब राजस्थान में राज्यसभा चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा हुआ है, जिसके पास विधायक हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए ही आ सकते हैं. .

पढ़े:Rajya Sabha Elections 2022 : एसीबी मुख्यालय पहुंचे मुख्य सचेतक महेश जोशी, हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगाकर दर्ज करवाया परिवाद

निर्दलीय के प्रस्तावक क्यों नही ?: जोशी ने कहा कि सुभाष चंद्रा को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पेश किया गया है , लेकिन सभी को पता है कि वह भाजपा के इशारे पर चुनाव मैदान में उतरे हैं . अगर वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे होते तो उनका एक भी प्रस्तावक निर्दलीय प्रत्याशी क्यों नहीं बना? उनके सभी प्रस्तावक भाजपा के विधायक हैं . सुभाष चंद्रा के पास अगर निर्दलीय विधायकों का समर्थन है तो उन्हें भी उनको स्पष्ट करना चाहिए जोशी ने कहा कि यह सब पर्दे के पीछे की कहानी है राजस्थान में बीजेपी हॉर्स ट्रेडिंग का गंदा खेल खेल रही है.

जयपुर. प्रदेश में राज्यसभा की चार सीटों पर हो रहे चुनाव के बीच हर एक दिन गुजरने के साथ ही मुकाबला रोचक होता जा रहा है. भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर डॉ सुभाष चंद्रा के मैदान में उतरने के साथ ही कांग्रेस को हॉर्स ट्रेडिंग का डर सताने लगा है. यही वजह है कि राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका को लेकर एसीबी से लेकर निर्वाचन विभाग तक शिकायत दर्ज करा दी (Congress fears horse trading in Rajya Sabha elections) है. इसके बाद अब राजस्थान एसीबी विधायक व अन्य संदिग्ध लोगों के फोन टैप करने जा रही है.

सरकार की ओर से दी गई शिकायत पर एक्शन लेते हुए अब राजस्थान एसीबी और इंटेलिजेंस ऐसे संदिग्ध लोगों के मोबाइल सर्विलांस पर ले सकती हैं, जो राज्यसभा चुनाव को धनबल से प्रभावित कर सकते हैं. साथ ही चुनाव की गरिमा को प्रभावित कर सकते हैं. इसके लिए एसीबी मुख्यालय और राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस शाखा की ओर से एसीएस होम व होम सेक्रेट्री को संदिग्ध व्यक्तियों के नंबर भेज कर फोन टैपिंग की अनुमति ली जा रही है.

महेश जोशी , मुख्य सचेतक , राजस्थान सरकार

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इस बार कर रहे नियमों की पालनाः एसीबी सूत्रों की मानें तो वर्ष 2020 में जब सरकार पर सियासी संकट आया था तो उस दौरान गलत तरीके से फोन टैपिंग के आरोप सरकार पर लगे थे. इसे देखते हुए सरकार अब दोबारा इस तरह की गलती ना हो इसका पूरा ध्यान रख रही है. नियमों की पालना करते हुए सरकार की ओर से जांच एजेंसी को लिखित में शिकायत दी गई है. जिससे संदिग्धों के फोन को विधिवत तरीके से सर्विलांस पर लेकर नजर रखी जा सके और फोन टैपिंग की जा सके. बता दें कि वर्ष 2020 में विधायक खरीद फरोख्त से जुड़े 3 ऑडियो वायरल हुए थे. जिसमें संजय जैन, गजेंद्र सिंह शेखावत और भवरलाल शर्मा के नाम सामने आए थे. इसके बाद राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. वहीं गलत तरीके से फोन टैप करने और प्रतिष्ठा को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी दिल्ली में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत अज्ञात पुलिस अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी.

शिकायत में नहीं किसी का नाम ऐसे में कइयों के होंगे फोन टैपः रविवार को राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी में हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर जो शिकायत दी है, उसमें किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं लिखा गया है. ऐसे में शिकायत मिलते ही एसीबी ने अपने स्तर पर जांच करना शुरू कर दिया है. पूरे प्रदेश में अपनी तमाम यूनिट को अलर्ट किया है. क्योंकि सरकार की ओर से दी गई शिकायत में किसी भी व्यक्ति के नाम का जिक्र नहीं है. ऐसे में एसीबी अपनी जांच और इंटेलिजेंस के आधार पर कई विधायकों व अन्य संदिग्ध लोगों के फोन टैप कर सकती है. बता दें कि वर्ष 2020 में विधायक खरीद-फरोख्त प्रकरण के सामने आने के बाद एसओजी ने कार्रवाई करते हुए सबसे पहले बीजेपी के नेता अशोक सिंह और भरत मालानी को फोन टैपिंग के आधार पर गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही तीन विधायक ओम प्रकाश हुडला, सुरेश टांक और खुशवीर सिंह के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई थी और इन तमाम शिकायतों को जांच के लिए एसीबी को ट्रांसफर कर दिया था.

राजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व पुलिस अधिकारी

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फोन टैपिंग के गलत उपयोग पर होता है मुकदमा दर्जः पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि तमाम जांच एजेंसी शिकायत प्राप्त होने पर विधिवत तरीके से फोन टैपिंग कर सकती हैं. यदि फोन टैपिंग के डाटा का कोई गलत उपयोग करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है. गैर कानूनी तरीके से किसी व्यक्ति की फोन टैपिंग करना उसकी निजता के अधिकारों का उल्लंघन माना गया है. यदि यह पता चल जाए कि उक्त व्यक्ति का फोन गैरकानूनी तरीके से टैप हो रहा है या किया गया है, तो वह कानूनी कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज करवा सकता है. जिसके तहत उक्त व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से फोन टैपिंग करने वाले व्यक्ति के खिलाफ इंडियन टेलीग्राफिक एक्ट के सेक्शन 26-बी के तहत कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर सकता है. जिसके तहत गैर कानूनी तरीके से फोन टैप करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की सजा का प्रावधान है.

इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत की जाती है फोन टैपिंगः पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन 5 के दो सबक्लॉज के तहत केंद्र सरकार या राज्य सरकार को आपातकाल या लोक सुरक्षा के हित में फोन टैपिंग का अधिकार हासिल है. वर्ष 2007 में भारत सरकार की ओर से इस एक्ट में संशोधन किए गए. इस एक्ट के सबक्लॉज 419 एवं 419-ए के तहत मोबाइल फोन टैपिंग की जा सकती है. इस एक्ट के नियम के अनुसार सुरक्षा के नाम पर, देश की एकता और अखंडता के नाम पर और पब्लिक सेफ्टी के नाम पर फोन टैपिंग की जा सकती है. ऐसे प्रकरण जिसमें सबूत बिना किसी व्यक्ति के फोन टैप किए बगैर नहीं हासिल किए जा सकते तो ऐसी परिस्थितियों में फोन टैपिंग की जाती है.

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प्रदेश में पुलिस के पास फोन टैपिंग की पावर होती है. लेकिन होम सेक्रेटरी से परमिशन लेने के बाद ही वह किसी व्यक्ति का फोन टैप कर सकती है. इमरजेंसी में बिना परमिशन लिए फोन टैपिंग शुरू की जा सकती है लेकिन फोन टैपिंग के 3 दिन के अंतराल में होम सेक्रेटरी से परमिशन लेकर उस परमिशन को सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को देना आवश्यक होता है. होम सेक्रेट्री की ओर से 7 दिन की परमिशन फोन टैपिंग के लिए दी जाती है. उसके बाद यदि फोन टैपिंग को आगे जारी रखना होता है तो उसका रिव्यू किया जाता है और 7 दिन की परमिशन और प्रदान की जाती है. इसके बाद भी यदि फोन टैपिंग की अवधि को आगे बढ़ाने की जरूरत होती है तो चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक रिव्यू कमेटी उसका रिव्यू करती है. उसके बाद फोन टैपिंग की अवधि को साधारण परिस्थितियों में 90 दिन तक बढ़ाया जा सकता है और 180 दिन इसकी अंतिम सीमा होती है. 180 दिन से अधिक फोन टैपिंग नहीं किया जा सकता और फोन टैपिंग कि तमाम रिकॉर्ड को गोपनीय रखना होता है और कोई भी अन्य एजेंसी या व्यक्ति उसका गलत इस्तेमाल ना कर सके इसे पूरी तरह से सुनिश्चित करना होता है.

विधायकों की फोन टैपिंग लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघातः पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका को देखते हुए विधायकों की फोन टैपिंग का जो निर्णय लिया गया है वह लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात है. लोकतंत्र की प्रक्रिया है, उसके तहत विधायक किसी से भी अपना विचार व्यक्त कर सकते हैं और अपनी अंतरात्मा के आधार पर कुछ भी फैसला ले सकते हैं. लेकिन इस तरह से फोन टैपिंग के माध्यम से विधायकों पर जो प्रेशर बनाने का प्रयास किया जा रहा है वह गलत है.

कांग्रेस के समय जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी तो राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को वोट ना देकर पार्टी लाइन को क्रॉस करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी वीवी गिरी को समर्थन देने का आह्वान किया. उक्त चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी वीवी गिरि की जीत हुई थी. वहीं राजस्थान में वर्तमान में राज्यसभा चुनाव को लेकर विधायकों पर जिस तरह का प्रेशर सरकार की ओर से बनाया जा रहा है वह सरासर गलत है. राज्य सरकार का काम है जनता की सुरक्षा करना और उनकी निजता को बनाए रखना ना की राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित करना.

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शिकायत पहुंची निर्वाचन आयोगः कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने मंगलवार को हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका को लेकर निर्वाचन विभाग के दफ्तर पहुंचे , जोशी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता को राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका की शिकायत दर्ज कराई . महेश जोशी ने कहा कि आशंका व्यक्त की जा रही है कि राज्यसभा के चुनावों में धनबल का भारी खेल हो सकता है . ऐसे में सचेतक होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे मामले आए तो लिखित परिवाद पेश करूं . उन्होंने कहा कि सोमवार को तो एसीबी में सामान्य परिवाद दर्ज कराया गया है और आज निर्वाचन विभाग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता को लिखित में शिकायत देकर आशंका से अवगत कराया है .

सीमाओं पर हो नाकाबंदीः महेश जोशी ने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जो शिकायत दी है, उसमें हमने उनसे आग्रह किया है कि जिस तरह से राज्यसभा में निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं और बीजेपी उन्हें बैक सपोर्ट कर रही है . उससे हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका ज्यादा है . ऐसे में राज्य की सीमाओं को सुरक्षित किया जाए . आने जाने वाले पर कड़ी नाकाबंदी के जरिए नजर रखी जाए , ताकि किसी भी अन्य गतिविधि नहीं हो सके . महेश जोशी ने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आश्वस्त किया है कि वह उनकी शिकायत को गंभीरता से ले कर उस पर अमल करेंगे.

हॉर्स ट्रेडिंग फार्मूला नही होगा कामयाबः जोशी ने कहा कि राजस्थान में भाजपा के हॉर्स ट्रेडिंग के फॉर्मूले को कामयाब नहीं होने देंगे . जोशी ने भाजपा पर आरोप लागते हुए कहा कि पर्दे के पीछ भाजपा हॉर्स ट्रेडिंग का खेल खेल रही है . जिससे लोकतंत्र का कमजोर होने का खतरा बना हुआ है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि भाजपा का कारनामा जनता के सामने लाएं . जोशी ने कहा कि पूर्व में भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लग चुके हैं और अब राजस्थान में राज्यसभा चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा हुआ है, जिसके पास विधायक हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए ही आ सकते हैं. .

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निर्दलीय के प्रस्तावक क्यों नही ?: जोशी ने कहा कि सुभाष चंद्रा को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पेश किया गया है , लेकिन सभी को पता है कि वह भाजपा के इशारे पर चुनाव मैदान में उतरे हैं . अगर वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे होते तो उनका एक भी प्रस्तावक निर्दलीय प्रत्याशी क्यों नहीं बना? उनके सभी प्रस्तावक भाजपा के विधायक हैं . सुभाष चंद्रा के पास अगर निर्दलीय विधायकों का समर्थन है तो उन्हें भी उनको स्पष्ट करना चाहिए जोशी ने कहा कि यह सब पर्दे के पीछे की कहानी है राजस्थान में बीजेपी हॉर्स ट्रेडिंग का गंदा खेल खेल रही है.

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