जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी भर्ती-2018 में पति का निवास प्रमाण पत्र पेश करने के चलते ओबीसी वर्ग से बाहर की गई विवाहिता को राहत दी है. अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह पिता के निवास प्रमाण पत्र के साथ ही जाति प्रमाण पत्र को स्वीकार करते हुए उसे भर्ती के ओबीसी वर्ग में शामिल करें. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश ममता यादव की याचिका पर दिए.
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याचिका में अधिवक्ता मुनिश भारद्वाज ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का वर्ष-2016 में विवाह हुआ था. इस भर्ती में याचिकाकर्ता ने अपने जाति प्रमाण पत्र के साथ अपने पति के नाम जारी निवास प्रमाण पत्र लगाया था. याचिकाकर्ता विवाह पूर्व का अपने पिता के नाम जारी निवास प्रमाण पत्र भी रखती है.
दूसरी ओर विभाग ने काउंसलिंग में उसे यह कहते हुए सामान्य वर्ग में शामिल कर लिया कि उसकी ओर से पिता के बजाए पति का निवास प्रमाण पत्र पेश किया है. याचिका में कहा गया कि दोनों निवास प्रमाण पत्र एक ही जिले के हैं. ऐसे में उसे ओबीसी वर्ग के बाहर करना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए उसे पिता के प्रमाण पत्र के आधार पर ओबीसी वर्ग में शामिल करने को कहा है.