ETV Bharat / city

पति के निवास प्रमाण पत्र के आधार पर किया OBC से बाहर, हाईकोर्ट ने दिलाई राहत

राजस्थान हाईकोर्ट ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी भर्ती-2018 में पति का निवास प्रमाण पत्र पेश करने के चलते ओबीसी वर्ग से बाहर की गई विवाहिता को राहत दी है.

Community Health Officer Recruitment-2018, Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
author img

By

Published : Feb 13, 2021, 9:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी भर्ती-2018 में पति का निवास प्रमाण पत्र पेश करने के चलते ओबीसी वर्ग से बाहर की गई विवाहिता को राहत दी है. अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह पिता के निवास प्रमाण पत्र के साथ ही जाति प्रमाण पत्र को स्वीकार करते हुए उसे भर्ती के ओबीसी वर्ग में शामिल करें. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश ममता यादव की याचिका पर दिए.

याचिकाकर्ता के वकील

पढ़ें- स्कूल व्याख्याता भर्ती रहेगी हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन

याचिका में अधिवक्ता मुनिश भारद्वाज ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का वर्ष-2016 में विवाह हुआ था. इस भर्ती में याचिकाकर्ता ने अपने जाति प्रमाण पत्र के साथ अपने पति के नाम जारी निवास प्रमाण पत्र लगाया था. याचिकाकर्ता विवाह पूर्व का अपने पिता के नाम जारी निवास प्रमाण पत्र भी रखती है.

दूसरी ओर विभाग ने काउंसलिंग में उसे यह कहते हुए सामान्य वर्ग में शामिल कर लिया कि उसकी ओर से पिता के बजाए पति का निवास प्रमाण पत्र पेश किया है. याचिका में कहा गया कि दोनों निवास प्रमाण पत्र एक ही जिले के हैं. ऐसे में उसे ओबीसी वर्ग के बाहर करना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए उसे पिता के प्रमाण पत्र के आधार पर ओबीसी वर्ग में शामिल करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी भर्ती-2018 में पति का निवास प्रमाण पत्र पेश करने के चलते ओबीसी वर्ग से बाहर की गई विवाहिता को राहत दी है. अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह पिता के निवास प्रमाण पत्र के साथ ही जाति प्रमाण पत्र को स्वीकार करते हुए उसे भर्ती के ओबीसी वर्ग में शामिल करें. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश ममता यादव की याचिका पर दिए.

याचिकाकर्ता के वकील

पढ़ें- स्कूल व्याख्याता भर्ती रहेगी हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन

याचिका में अधिवक्ता मुनिश भारद्वाज ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का वर्ष-2016 में विवाह हुआ था. इस भर्ती में याचिकाकर्ता ने अपने जाति प्रमाण पत्र के साथ अपने पति के नाम जारी निवास प्रमाण पत्र लगाया था. याचिकाकर्ता विवाह पूर्व का अपने पिता के नाम जारी निवास प्रमाण पत्र भी रखती है.

दूसरी ओर विभाग ने काउंसलिंग में उसे यह कहते हुए सामान्य वर्ग में शामिल कर लिया कि उसकी ओर से पिता के बजाए पति का निवास प्रमाण पत्र पेश किया है. याचिका में कहा गया कि दोनों निवास प्रमाण पत्र एक ही जिले के हैं. ऐसे में उसे ओबीसी वर्ग के बाहर करना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए उसे पिता के प्रमाण पत्र के आधार पर ओबीसी वर्ग में शामिल करने को कहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.