जयपुर. देशभर में कोरोना के फैलते संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन लगाया गया था, जिसके चलते ट्रांसपोर्टर्स को काफी नुकसान हुआ है. इसे लेकर बुधवार को राजधानी में कॉमर्शियल वाहन महासंघ के पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई.
इस दौरान कॉमर्शियल वाहन महासंघ के अध्यक्ष दिलीप महरौली ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते पिछले चार-पांच महीनों में व्यापार पूरी तरीके से ठप हो गया है. इससे ट्रांसपोर्टर्स को भी काफी नुकसान हुआ है. साथ ही कहा कि जो व्यापार वह पिछले 20 सालों से करते आ रहे हैं, उसमें आज कई तरह की परेशानियां आ रही हैं. उपर से किसी भी तरह का कोई भी कॉमर्शियल वाहन सड़कों पर नहीं है और जो चल रहा है, वह केवल ट्रक है. बस भी सड़कों पर नहीं चल रही है.
पढ़ें- आज से शिक्षकों के लिए खुले स्कूल, छात्रों के लिए अभी तक नहीं मिले कोई दिशा-निर्देश
दिलीप महरौली ने कहा कि बस वाले प्रतिमाह 35 हजार से लेकर 1 लाख तक का टैक्स देते हैं. पिछले दिनों सरकार ने बस ऑपरेटर्स का टैक्स तो माफ किया. लेकिन जब बस ऑपरेटर्स की ओर से 2 दिन सड़कों पर बसें चलाई गई तो बसों में यात्री भार ना के बराबर रहा. आमजन में कोरोना का इतना डर है कि वह बसों में आने से भी कतरा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़ा रहा है, जिससे भी एक बड़ी परेशानी खड़ी हो रही है.
उन्होंने ने कहा कि ऐसे में आज हमारे सामने वाहनों की किस्त को लेकर भी एक बड़ी परेशानी हो रही है. क्योंकि, फाइनेंस कंपनियों ने किस्तों को आगे तो बढ़ा दिया है. लेकिन आने वाले समय में उन्हें देनी ही होगी, जिससे कॉमर्शियल वाहनों के लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि सरकार उनके लिए कोई ऐसा रास्ता निकालें, जिससे इस समस्या से उन्हें निजात मिल सके.
ट्रकों का टैक्स माफ करने की मांग...
कॉमर्शियल वाहन महासंघ के संयोजक अनिल आनंद ने बताया कि उनकी सरकार से मांग है कि जिस तरीके से प्राइवेट बसों का टैक्स माफ किया गया है. उसी तरीके से ट्रकों का भी टैक्स माफ किया जाए, जिससे कि ट्रक ऑपरेटर्स को भी राहत दी जा सके. इस संबंध में परिवहन आयुक्त एवं परिवहन मंत्री को भी पत्र लिखकर मांग की गई है.
पढ़ें- स्वायत्त शासन विभाग ने जयपुर, जोधपुर और कोटा के दोनों निगमों में किया कर्मचारियों का बंटवारा
अनिल आनंद ने कहा कि इस समय सड़कों पर परिवहन विभाग अपने उड़न दस्तों को भेजकर बस ऑपरेटर और कमर्शियल वाहनों के चालान कर रहे है, जो कि युक्ति संबंधित बिल्कुल भी नहीं है. क्योंकि, इस समय ट्रांसपोर्ट के पास भी आमदनी नहीं है. ऐसे में वह चालान भी नहीं भर सकेंगे. उन्होंने सरकार से मांग की हैं कि ट्रांसपोर्ट को राहत दिया जाए, जिससे कि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय दोबारा से पटरी पर आ सके.