जयपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट (Rajasthan Budget 2022) में कोकलियर इंप्लांट को मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल (Cochlear implants included in Chiranjeevi scheme) कर लिया है. ऐसे में लाखों बच्चों को इसका फायदा मिल सकेगा. दरअसल काफी बच्चे सुनने की समस्या से पीड़ित हैं तो ऐसे में कोकलियर इंप्लांट के माध्यम से इन बच्चों का अब निशुल्क इलाज हो सकेगा.
आंकड़ों की बात करें तो पैदा होने वाले हर 1000 बच्चों में से 4 बच्चों को सुनने की समस्या होती है और हाल ही में कोकलियर इंप्लांट्स के माध्यम से इन बच्चों के बहरापन की बीमारी को दूर किया गया है. यह इलाज काफी महंगा होता है तो ऐसे में अब कोकलियर इंप्लांट्स को सरकार ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल किया है. मामले को लेकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि निश्चित तौर पर कोकलियर इंप्लांट्स को चिरंजीवी में शामिल करने पर उन बच्चों को भी इलाज मिल पाएगा जो इलाज से जुड़ा खर्च वहन नहीं कर पाते थे.
आमतौर पर तकरीबन कोकलियर इंप्लांट्स का खर्चा 4 लाख से अधिक होता है. हालांकि, मुख्यमंत्री सहायता कोष के माध्यम से भी इससे पहले बच्चों का कोकलियर इंप्लांट किया जा रहा था. डॉक्टर ग्रोवर का कहना है कि इंटरनेशनल कोकलियर इंप्लांट डे 25 फरवरी को ही मनाया जाता है तो ऐसे में बजट में कोकलियर इंप्लांट्स से जुड़ी जो घोषणा सरकार की ओर से की गई है वह राहत भरी है.
पहचान जरूरी: डॉक्टर ग्रोवर का कहना है कि एक हजार बच्चों में से 4 बच्चों में बहरेपन की बीमारी पाई जाती है. ऐसे में नवजात बच्चों न्यूबॉर्न हियरिंग स्क्रीनिंग जरूरी है जिससे समय रहते यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चा सुन पा रहा है या नहीं. यदि समय पर इसका पता लगा लिया जाए तो बच्चे को कोकलियर इंप्लांट्स किया जा सकता है. डॉक्टर ग्रोवर का यह भी कहना है कि आमतौर पर तकरीबन 3 या 4 साल की उम्र में बच्चे का कोकलियर इंप्लांट्स किया जाता है.