जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले सचिन पायलट और इस बार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को निकम्मा कहा तो राजस्थान में एक बहस शुरू हो गई है कि क्या यह शब्द इस्तेमाल करना मुख्यमंत्री की गरिमा के अनुरुप है या नहीं. मुख्यमंत्री के नेताओं को निकम्मा कहने को जहां भाजपा उनकी खीझ बता रही है तो वहीं अब सीएम गहलोत ने जो कहा उसे लेकर कांग्रेस में भी दो फाड़ हो गए हैं. जहां मंत्री रामलाल जाट मुख्यमंत्री के कहे शब्दों को सही बताते हुए सोमवार को निकम्मा शब्द की परिभाषा बताते दिखाई दिए तो वहीं कांग्रेस के पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी ने साफ तौर पर मुख्यमंत्री के निकम्मा शब्द इस्तेमाल करने को गलत बताया है.
जनसुनवाई करने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि मुख्यमंत्री जब से राजनीति कर रहे हैं, उतनी तो मेरी उम्र है और वह जो बोलते हैं सोच-समझकर बोलते हैं. इसके आगे बोलते हुए रामलाल जाट ने सोमवार को निकम्मा शब्द की परिभाषा (CM Gehlot Used Nikamma Word) बताते हुए कहा कि निकम्मा शब्द कई प्रकार के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जैसे घर में किसी का बच्चा काम नहीं करता तो उसे निकम्मा कहते हैं, कोई किसी को कुछ मानता है और वह उसका काम नहीं कर पाता तो उसे भी निकम्मा कहते हैं.
उन्होंने कहा कि कई लोग जानबूझकर किसी को परेशान करते हैं तो उसको भी निकम्मा कहते हैं. राजस्थान राजस्व मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को अच्छी तरह मालूम है कि किस बात की क्या परिभाषा है और वह जो बोलते हैं मैं उसका समर्थन (Ramlal Jat Supporte CM Gehlot) करता हूं, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर बात सोच-समझकर बोलते हैं. वहीं, रामलाल जाट जब यह बयान दे रहे थे तो उस समय जनसुनवाई में रामलाल जाट का सहयोग करने पहुंचे विधायक वेद सोलंकी भी उनकी बात सुन रहे थे. जब वेद सोलंकी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने मंत्री रामलाल जाट के बयान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निकम्मा शब्द इस्तेमाल करने को नकार दिया. उन्होंने साफ कहा कि रामलाल जाट ने जो निकम्मा शब्द की परिभाषा दी है मैं उससे सहमत नहीं हूं.
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वेद सोलंकी ने कहा कि जिस किसी ने भी यह कहा (अशोक गहलोत ने सचिन पायलट और मंत्री गजेंद्र सिंह को निकम्मा) है, वह सही नहीं है. यह किसी के विचार हो सकते हैं, लेकिन उस विचार से मैं सहमत नहीं हूं. वेद सोलंकी ने राजनीति की गरिमा की बात करते हुए कहा कि यह सही है कि जितनी हमारी उम्र है उतने समय से तो मुख्यमंत्री राजनीति कर रहे हैं. उसमें किसी को संदेह नहीं है, लेकिन हर किसी को Congress Leaders on Gehlot Statement) गरिमा रखनी चाहिए. इसके साथ ही वेद सोलंकी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कुछ कहना सूरज को दीया दिखाने जैसा है, लेकिन राजस्थान की जनता देख रही है कि कौन से शब्द अच्छे हैं और कौन से शब्द बुरे हैं.
राजनीतिक विश्लेषक बोले- पहली बार पार्टी के अंदर और बाहर की चुनौतियों के चलते निकल रहीं ऐसी बातें : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निकम्मा शब्द इस्तेमाल करने पर हर किसी को अचरज हो रहा है, क्योंकि ऐसी बयानबाजी इससे पहले राजस्थान के किसी मुख्यमंत्री की ओर से नहीं सुनी गई है. चाहे वसुंधरा राजे जैसी एग्रेसिव नेता हो या फिर ठंडे दिमाग से राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. पहले दो कार्यकाल में ऐसे शब्द सुनने को नहीं मिले, लेकिन अपने इस तीसरे कार्यकाल में जिस तरह से मुख्यमंत्री शब्दों का चयन कर रहे हैं, उसे लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी अचरज में पड़ गए हैं.
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वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा ने इस बारे में कहा कि मुख्यमंत्री के मुंह से जैसी शब्दावली सुन रहे हैं, ऐसी पहले कभी नहीं सुनी. जब गहलोत विपक्ष में रहे, उस समय भी उनके मुंह से ऐसी बातें नहीं सुनी. अब जो हम सुन रहे हैं, वह अपेक्षित भी नहीं है और अप्रत्याशित भी है. कारण कुछ भी हो सकता है. इसमें भी कोई शक नहीं है कि जो अनुभव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस बार रहे हैं, वह अच्छे नहीं रहे. पहली बार उन्हें इतनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
साढ़े 3 साल तक पार्टी के अंदर भी और पार्टी के बाहर भी उनके जो अनुभव रहे, वह भी एक परेशानी की वजह है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इतने अनुभवी हैं, लंबे समय का अनुभव है, मुझे नहीं लगता कि यह सबकुछ उनसे जानबूझकर हो रहा है. यह फ्लो में हो गया होगा, क्योंकि हमने पहले कभी ऐसा सुना नहीं है. लेकिन जो मुख्यमंत्री बोल रहे हैं वह अपने आप में अजीब है. हम उम्मीद करते हैं कि आगे ऐसी चीजें नहीं सुनने को मिलेंगी.