जयपुर. जालोर में दलित बच्चे की मौत केस का फास्ट ट्रैक ट्रायल के जरिए निपटारा होगा. यही नहीं पीड़ित परिजनों को मुआवजे के साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी. सीएम अशोक गहलोत की तरफ से ये बड़ा बयान आया है. गहलोत ने कहा है कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के संबंध में पूर्व के मामलों का परीक्षण करवाया जा रहा है. साथ ही इस मामले को केस ऑफिसर स्कीम में लिया गया है, जिससे फास्ट ट्रैक ट्रायल करवाया जा सके .
गहलोत ने ये किया ट्वीट: सीएम गहलोत ने ट्वीट में लिखा है- जालोर के मासूम बच्चे की मृत्यु से पूरा देश आहत है. अहमदाबाद में विधायक जिग्नेश मेवानी ने मिलकर घटना पर चर्चा की. इस दुख में सभी समाज परिवार के साथ है. घटना के बाद आरोपी की त्वरित गिरफ्तारी की गई. SC-ST एक्ट की मुआवजा राशि और मुख्यमंत्री सहायता कोष से सहायता राशि दी ग . इसके अतिरिक्त AICC के निर्देश पर पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद प्रदेश कांग्रेस कमेटी की और से दी जा रही है. परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के संबंध में पूर्व के मामलों का परीक्षण करवाया जा रहा है. इस मामले को केस ऑफिसर स्कीम में लिया गया है जिससे फास्ट ट्रैक ट्रायल करवाया जा सके.
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मैसेज: बता दें कि भीम सेना सहित दलित संगठन पीड़ित परिवार को 50 लाख का मुआवजा और परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे है. इस बीच बुधवार देर रात से सोशल मीडिया एक मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि जालोर बच्चे की मौत प्रकरण में गहलोत सरकार ने परिवार के एक शख्स को सरकारी नौकरी और 30 लाख का मुआवजा राशि देने की घोषणा की. वायरल हो रहे इस मैसेज का खंडन एक तरह से सीएम गहलोत ने ट्वीट करके किया. गहलोत ने ये साफ़ कर दिया कि सहायता राशि SC-ST एक्ट की मुआवजा राशि और मुख्यमंत्री सहायता कोष से दे दी गई है. इसके साथ 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद प्रदेश कांग्रेस कमेटी की और से दी जा रही है. गहलोत ने ये भी साफ़ कर दिया की अभी परिवार के सदस्य को नौकरी दी नहीं गई लेकिन सरकार इस दिशा में काम कर रही है. पूर्व के मामलों का परीक्षण करवाया जा रहा है जिसके बाद ये घोषणा संभव है.
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कन्हैया लाल के दो बेटों को दी थी नौकरी: बता दें कि पिछले दिनों उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के बाद पब्लिक ओपिनियन पर सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए कन्हैया लाल के दो बेटों को सरकारी नौकरी दी थी. उस वक्त भी मंत्रिमंडल की बैठक में इसको लेकर प्रस्ताव था. जालोर वाले मामले में भी यही माना जा रहा है सरकार नियमों में शिथिलता देते हुए मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे सकती है.