जयपुर. सीएम अशोक गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पर्यटन विभाग की समीक्षा कर रहे थे. वीडियो काॅन्फ्रेंस में गहलोत ने पर्यटन विभाग के जिलास्तरीय अधिकारियों से भी संवाद किया. साथ ही पर्यटन को गति देने के लिए उनके सुझाव भी जाना.
गहलोत ने कहा कि मेले और उत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहर है. ज्यादा से ज्यादा देशी और विदेशी पर्यटक इनसे जुड़ सकें, इसके लिए इन्हें नया रूप दिया जाए. पुष्कर मेला, डेजर्ट फेस्टिवल, कुंभलगढ़ और बूंदी उत्सव सहित अन्य मेलों और उत्सवों की नए सिरे से ब्रांडिंग की जाए. इनमें नई सोच के साथ ऐसी गतिविधियों को शामिल करें, जिनसे पर्यटक आकर्षित हों. उन्होंने कहा कि राजस्थान में बड़ी संख्या में प्राचीन और पुरामहत्व के धार्मिक स्थल हैं. अधिकारी धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से इन धार्मिक स्थलों के विकास की रूपरेखा तैयार करें.
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सीएम गहलोत ने कहा कि भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में पानी की समस्या दूर करने के लिए स्थाई हल निकाला जाए. पर्यटन स्थलों पर लपकों की समस्या के कारण सैलानियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है और ठगी की शिकायतें भी सामने आती हैं. इस समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थलों पर साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाए.
पर्यटन राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कोरोना के इस समय में वर्चुअल सेमिनार, मंदिरों के ऑनलाइन दर्शन जैसे नवाचार अपनाए जा सकते हैं. नई पर्यटन नीति का प्रारूप तैयार है. इसी माह के अंत तक इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि कोविड- 19 के कारण पर्यटन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. अनलाॅक के तहत जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियों को अनुमत किया जा रहा है. वैसे-वैसे इस क्षेत्र को भी गति देने के प्रयास किए जा रहे हैं.
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पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि पर्यटन क्षेत्र से प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 40 लाख लोग जुड़े हुए हैं. इसका राज्य की जीडीपी में बड़ा योगदान है. विभाग प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निरन्तर प्रयास कर रहा है. बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य तथा सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित पर्यटन विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.