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कोरोना के चलते डांडिया, रामलीला और दशहरा मेला जैसे कार्यक्रम डिजिटल माध्यम से हो : सीएम गहलोत

सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक ली. इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना के खिलाफ चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का असर है कि लोग स्वप्रेरणा से हेल्थ प्रोटोकॉल की पालना कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि नवरात्र के दिनों में होने वाले गरबा, डांडिया, रामलीला जैसे कार्यक्रम सार्वजनिक स्तर पर भीड़-भाड़ के साथ आयोजित न होकर डिजिटल माध्यम से किए जाए.

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सीएम गहलोत ने ली कोरोना समीक्षा बैठक
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Published : Oct 23, 2020, 7:27 AM IST

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक ली. इस दौरान उन्होंने कहा कि न्यायालयों ने भी अपने निर्णय में कहा है कि महामारी से बचाव के लिए जब 6 माह से स्कूल नहीं खुल रहे हों, अंतिम संस्कार और विवाह जैसे जरूरी आयोजनों में भी सीमित संख्या में लोगों को अनुमत किया गया है, तो ऐसी परिस्थिति में अन्य भीड़ भरे आयोजनों का होना उचित नहीं है. गहलोत ने कहा कि ऐसी स्थिति में रावण दहन, दशहरा मेला जैसे कार्यक्रम भी डिजिटल माध्यम से आयोजित किया जाना बेहतर है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों की राय एवं अनुभवों के अनुसार प्रदूषण के कारण कोविड-19 के रोगियों में सांस की तकलीफ बढ़ जाती है. साथ ही, इससे मृत्युदर बढ़ने की आशंका भी व्यक्त की गई है. ऐसे में हमें दिवाली एवं दशहरे के अवसर पर आतिशबाजी से बचना चाहिए. साथ ही, सर्दी के मौसम में संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ सकता है. इसे देखते हुए लोग वैवाहिक समारोहों एवं त्योहारों के दौरान विशेष सावधानी बरतें.

यह भी पढ़ें- 14 RAS अधिकारियों को मिला दिवाली का बड़ा तोहफा...IAS में पदोन्नत

गहलोत ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए रोगियों में हार्ट एवं लंग्स की जटिलताओं के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं. ऐसे में, कोरोना से ठीक हुए लोग नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श लें और आवश्यक जांच कराएं, ताकि कोरोना के दुष्प्रभावों से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि अनुभव बताते हैं कि कोरोना के लक्षण नजर आने के बावजूद लोगों ने अस्पताल पहुंचने में देरी की, जिसके कारण उनके फेफडों एवं श्वसन तंत्र के साथ ही अन्य अंगों में जटिलताएं बढ़ गई. ऐसे में, समय पर जांच एवं उपचार कराकर इससे बचा जा सकता है. मुख्यमंत्री ने जन आंदोलन के सकारात्मक असर को देखते हुए निर्देश दिए हैं कि स्थानीय निकायों में कार्यरत सफाईकर्मी भी घर-घर जाकर लोगों को मास्क पहनने और लोगों 'नो मास्क-नो एन्ट्री' के लिए प्रेरित करें.

साथ ही सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे सतत प्रयासों का असर है कि लोग स्वप्रेरणा से मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य हेल्थ प्रोटोकॉल की पालना कर रहे हैं. नवरात्रा के इन दिनों में होने वाले गरबा, डांडिया, रामलीला जैसे कार्यक्रम सार्वजनिक स्तर पर भीड़-भाड़ के साथ आयोजित न होकर डिजिटल माध्यम से ही हो रहे हैं. कोरोना से बचाव के लिए प्रदेशवासियों में बढ़ती चेतना सराहनीय है. इसे देखते हुए जन आंदोलन को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है.

यह भी पढ़ें- Corona Update : प्रदेश में 1822 नए मामले, 12 मौत...संक्रमितों का कुल आंकड़ा 1,80,755

निदेशक स्वायत्त शासन दीपक नन्दी ने जन आंदोलन की प्रगति से अवगत कराते हुए बताया कि मास्क वितरण कार्यक्रम की मोबाइल एप के माध्यम से मॉनिटरिंग की जा रही है. इसके लिए 2000 टीमों का भी गठन किया गया है. उन्होंने बताया कि मास्क वितरण एवं 'नो मास्क-नो एन्ट्री' को लेकर राज्यभर से जनप्रतिनिधियों का फीडबैक लिया गया, जिसमें जनप्रतिनिधियों ने इस अभियान को काफी उपयोगी बताया है. प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा ने बताया कि राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन के कारण प्रदेश में विगत दिनों के मुकाबले कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या में कमी आई है. मृत्युदर में भी लगातार गिरावट आने के साथ ही रिकवरी दर बेहतर हो रही है.

बैठक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक अपराध एमएल लाठर, प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक ली. इस दौरान उन्होंने कहा कि न्यायालयों ने भी अपने निर्णय में कहा है कि महामारी से बचाव के लिए जब 6 माह से स्कूल नहीं खुल रहे हों, अंतिम संस्कार और विवाह जैसे जरूरी आयोजनों में भी सीमित संख्या में लोगों को अनुमत किया गया है, तो ऐसी परिस्थिति में अन्य भीड़ भरे आयोजनों का होना उचित नहीं है. गहलोत ने कहा कि ऐसी स्थिति में रावण दहन, दशहरा मेला जैसे कार्यक्रम भी डिजिटल माध्यम से आयोजित किया जाना बेहतर है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों की राय एवं अनुभवों के अनुसार प्रदूषण के कारण कोविड-19 के रोगियों में सांस की तकलीफ बढ़ जाती है. साथ ही, इससे मृत्युदर बढ़ने की आशंका भी व्यक्त की गई है. ऐसे में हमें दिवाली एवं दशहरे के अवसर पर आतिशबाजी से बचना चाहिए. साथ ही, सर्दी के मौसम में संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ सकता है. इसे देखते हुए लोग वैवाहिक समारोहों एवं त्योहारों के दौरान विशेष सावधानी बरतें.

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गहलोत ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए रोगियों में हार्ट एवं लंग्स की जटिलताओं के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं. ऐसे में, कोरोना से ठीक हुए लोग नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श लें और आवश्यक जांच कराएं, ताकि कोरोना के दुष्प्रभावों से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि अनुभव बताते हैं कि कोरोना के लक्षण नजर आने के बावजूद लोगों ने अस्पताल पहुंचने में देरी की, जिसके कारण उनके फेफडों एवं श्वसन तंत्र के साथ ही अन्य अंगों में जटिलताएं बढ़ गई. ऐसे में, समय पर जांच एवं उपचार कराकर इससे बचा जा सकता है. मुख्यमंत्री ने जन आंदोलन के सकारात्मक असर को देखते हुए निर्देश दिए हैं कि स्थानीय निकायों में कार्यरत सफाईकर्मी भी घर-घर जाकर लोगों को मास्क पहनने और लोगों 'नो मास्क-नो एन्ट्री' के लिए प्रेरित करें.

साथ ही सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे सतत प्रयासों का असर है कि लोग स्वप्रेरणा से मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य हेल्थ प्रोटोकॉल की पालना कर रहे हैं. नवरात्रा के इन दिनों में होने वाले गरबा, डांडिया, रामलीला जैसे कार्यक्रम सार्वजनिक स्तर पर भीड़-भाड़ के साथ आयोजित न होकर डिजिटल माध्यम से ही हो रहे हैं. कोरोना से बचाव के लिए प्रदेशवासियों में बढ़ती चेतना सराहनीय है. इसे देखते हुए जन आंदोलन को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है.

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निदेशक स्वायत्त शासन दीपक नन्दी ने जन आंदोलन की प्रगति से अवगत कराते हुए बताया कि मास्क वितरण कार्यक्रम की मोबाइल एप के माध्यम से मॉनिटरिंग की जा रही है. इसके लिए 2000 टीमों का भी गठन किया गया है. उन्होंने बताया कि मास्क वितरण एवं 'नो मास्क-नो एन्ट्री' को लेकर राज्यभर से जनप्रतिनिधियों का फीडबैक लिया गया, जिसमें जनप्रतिनिधियों ने इस अभियान को काफी उपयोगी बताया है. प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा ने बताया कि राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन के कारण प्रदेश में विगत दिनों के मुकाबले कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या में कमी आई है. मृत्युदर में भी लगातार गिरावट आने के साथ ही रिकवरी दर बेहतर हो रही है.

बैठक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक अपराध एमएल लाठर, प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.

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