जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2013 में उत्तराखण्ड में आई बाढ़ त्रासदी में जान गंवाने वाले और स्थाई रूप से (Rajasthan people dead in Uttarakhand tragedy of 2013) लापता हुए राजस्थान के मूल निवासियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक नौकरी देने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री के इस निर्णय से मृतक श्रद्धालुओं के आश्रितों को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर पे-मेट्रिक्स लेवल-1 से लेवल-9 तक की राजस्थान अधीनस्थ सेवाओं, मंत्रालयिक एवं चतुर्थ श्रेणी सेवाओं के अंतर्गत आने वाले सीधी भर्ती के पदों पर नियुक्ति दी जा सकेगी. उक्त निर्णय से मृतक श्रद्धालुओं के आश्रितों को सम्बल तथा वित्तीय सुरक्षा मिल सकेगी.
492 से ज्यादा लापताः उत्तराखंड त्रासदी में राजस्थान के 492 तीर्थयात्री अब भी लापता हैं. इनमें अजमेर से 27 श्रद्धालु, अलवर से 9, बांसवाड़ा से 1, बारां से 3, बाड़मेर से 2, भरतपुर से 7, भीलवाड़ा से 8, चित्तौड़गढ़ से 7, चूरू से 4 श्रद्धालु शामिल हैं. वहीं दौसा से 16, धौलपुर से 7, डूंगरपुर से 2, जयपुर से 225, जालोर से 3, झालावाड़ से 9, झुंझुनू 8, जोधपुर-29, करौली से 21, कोटा से 53, पाली से 2, राजसमंद से 9, सवाई माधोपुर से 10, सीकर से 2, सिरोही से 1, टोंक से 4, उदयपुर से 19, प्रतापगढ़ से 4 लापता हैं.
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सरकार बदली प्रावधान बदलेः बता दें कि उत्तराखंड त्रासदी के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री गहलोत ने उत्तराखंड जाकर हालात का जायजा लिया था. वहां से लौटने पर पीड़ित परिवारों को संबल देने के लिए 29 जुलाई 2013 को राहत पैकेज जारी किया था. इस पैकेज में अनुग्रह सहायता राशि के अतिरिक्त एक आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान कर नियुक्तियां देना शुरू कर दिया था. दिसंबर 2013 में नई सरकार बनने के बाद आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देने के प्रावधान को खत्म कर दिया गया. साथ ही, अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई थीं. गहलोत ने इन परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए उत्तराखंड त्रासदी राहत पैकेज में अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधान को पुनः बहाल करते हुए पीड़ितों के आश्रितों को फिर से नियुक्ति देने का फैसला किया है.