जयपुर. राजस्थान का सियासी संकट रोजाना नया मोड़ ले रहा है. जहां पहले राज्यपाल से मिलने से पहले सीएम अशोक गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि अगर जनता राजभवन का घेराव करेगी तो फिर सरकार की जिम्मेदारी नहीं होगी, इस बयान के बाद से ही भाजपा के नेता लगातार गहलोत पर हमला बोल रहे हैं.
दरअसल, मीडिया से सामने सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्यपाल कलराज मिश्र संविधान के अनुसार निर्णय लें और विधानसभा का सत्र बुलाएं. अगर वह ऐसा नहीं करेंगे और पूरे प्रदेश की जनता अगर राजभवन को घेरने आ गई तो इसमें सरकार की जिम्मेदारी नहीं होगी. जिसके बाद लगातार बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गई, प्रदेशाध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष ने गहलोत को आड़े हाथों लिया.
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इसके बाद फिर दोबारा गहलोत ने अपने बयान पर सफाई देते हुए साफतौर पर कहा कि राजभवन को लेकर एक राजनीतिक बयान था, इस तरह के बयान से किसी तरह से किसी को उत्तेजित करना या हिंसा भड़काने का मतलब नहीं था. बीजेपी के कुछ नेता हैं जो इस तरह के बयानों को गलत तरीके से प्रजेंट कर रहे हैं.
सीएम गहलोत को बयान को पूनिया ने बताया आपराधिक कृत्य
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ही गृहमंत्री के रूप में आपराधिक कृत्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा खुद मुख्यमंत्री राज्यपाल को आतंकित करने का काम कर रहे हैं. क्या किसी प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए या उन्हें इस तरह फोर्स किया जा सकता है. पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं, ऐसे में प्रदेश की कानून व्यवस्था संभालना उनकी जिम्मेदारी है. लेकिन वे खुद इस प्रकार के बयान देकर लोगों को और जनता को भड़का रहे हैं, जो अपने आप में उन्हें खुद अपराधी साबित कर रहा है.
राज्यपाल की सुरक्षा के लिए CRPF को लगाया जाना चाहिएः कटारिया
वहीं, पूर्व गृहमंत्री और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि प्रदेश पुलिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि राजभवन और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद और व्यक्ति की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ को लगाया जाना चाहिए. कटारिया ने कहा कि जब राज्य का मुखिया और गृहमंत्री की ओर से राज्यपाल जैसे गरिमामय संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को लेकर कहा जाए कि न्याय ना मिला तो जनता राजभवन को घेर लेगी. मुख्यमंत्री इस प्रकार के बयान दे तो इससे ज्यादा गलत काम कुछ हो ही नहीं सकता.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राजभवन का जनता की ओर से घेराव करने वाला बयान अराजकता से भरा हुआ है. जबकि वे खुद लोकतंत्र की दुहाई देते रहे हैं, ऐसे में यह बयान उनके पद के अनुरूप नहीं है.
ताश के पत्तों की तरह जोड़ कर रखे गए विधायक कहीं इधर-उधर न गिर जाएं : राठौड़
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि हाईकोर्ट का यथास्थिति रखने को लेकर आदेश आया, उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बौखला गए और इस तरह का कृत्य उन्होंने कर डाला. राठौड़ के अनुसार मुख्यमंत्री को डर है कि उनके ताश के पत्तों की तरह जोड़ कर रखे गए विधायक कहीं इधर-उधर गिर न जाएं.