जयपुर. राजस्थान कांग्रेस की ओर से शनिवार को जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में किसान सम्मेलन आयोजित किया गया. लंबे समय बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री आवास के बाहर किसी कार्यक्रम में नजर आए. इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरीके से कोरोना का संकट चल रहा है, उसके बावजूद भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ यह कार्यक्रम किया गया है.
गहलोत ने कहा कि यह कार्यक्रम सरकार के उस जन आंदोलन के अनुरूप है, जिसके तहत प्रदेश में अभियान चल रहा है. इस कार्यक्रम से पूरे प्रदेश में एक संदेश जाएगा. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे प्रोग्राम होते हैं, उसमें मास्क तो होते हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होती. उन्होंने स्वीकार किया कि राजनीतिक पार्टियों की ओर से भी यह गलती हो जाती है.
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सीएम गहलोत ने कहा कि आज सवाल यह है कि कोरोना के बीच ऐसी क्या आवश्यकता थी कि कृषि कानून बनाना पड़ा. लॉकडाउन और अनलॉक के बावजूद भी कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है. एक लाख से अधिक लोग की मौत हो चुकी है. इस महामारी में ऐसी स्थिति में क्या जरूरत पड़ी कि तीन काले कानून केंद्र सरकार लेकर आई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय सरकार अच्छी तरह जानती है कि जब तक दवा नहीं आएगी, तब तक कोरोना और चलेगा. ऐसे वक्त में ऐसा कानून लाना जिस पर कोई राष्ट्रीय बहस ना हो, इसमें राज्य सरकारें, किसान और कृषि मंडियों से पूछे बगैर ही कानून बना दिया जाएगा तो राज्य सरकारों का जो अधिकार है उसका हनन है.
कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है...
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था कोरोना के कारण ध्वस्त हो चुकी है. लोगों के पास पैसा नहीं है. गरीब, किसान और व्यापारी तकलीफ में हैं. जब केंद्र और राज्यों की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है, पीएम मोदी के पास तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है. उनके पास नोट छापने के भी अधिकार हैं, लेकिन राज्यों के पास नहीं है. राज्य सरकारों की आमदनी 40 फीसदी पर आ गई है. जो काम होना चाहिए, वह राज्यों में नहीं हो पा रहा है.
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गहलोत ने कहा कि जीएसटी का जो पैसा मिलता है और जो एग्रीमेंट है, भारत सरकार से वह बंद कर दिया है. केंद्र सरकार कह रही है कि राज्य सरकारें कर्ज लेकर अपना काम चलाएं. गहलोत ने तीनों कृषि कानून लेने के पीछे कारण बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात कर रही है. जैसे हम कोई विकसित राष्ट्रों में रह रहे हों, हमारे किसानों के पास 500 एकड़ और 1000 एकड़ का फार्म है.
सीएम ने कहा कि वहां के किसान तो व्यापारी की तरह है और वहां पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चल सकती है. लेकिन यहां पर 86 फीसदी किसान के पास 5 एकड़ खेत से कम है. 80 फीसदी किसान के पास तो 2 एकड़ की खेती है. मंडिया समाप्त होंगी तो इन किसानों का क्या होगा. एमएसपी के बारे में कोई चर्चा नहीं है क्योंकि दोगुनी इनकम करने का वादा किसान के साथ किया गया था. यह पूरा खेल इसलिए खेला गया है कि दोगुनी इनकम का जो वादा किसानों के साथ किया गया था वह वादा निभा नहीं पाएंगे. इसीलिए केंद्र सरकार की ओर से इस तरीके के विवादित कानून बनाए जा रहे हैं.
विधानसभा में जल्द इन कानूनों पर लाया जाएगा संशोधन
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसानों और कांग्रेस नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राहुल गांधी पंजाब और हरियाणा के किसानों से चर्चा कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि वह एक बार राजस्थान में भी किसानों के बीच में आए और किसानों से रू-ब-रू हों. यहां के किसान पूरी तरीके से आने वाले भविष्य को लेकर चिंतित और दुखी हैं.
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी चाहती हैं कि राज्य सरकारें सोचे कि जो कानून बनाने का अधिकार राज्यों का है, उसमें केंद्र ने जो हस्तक्षेप किया है उसको किस तरीके से हम ठीक कर सकें. ऐसे में हम चाहते हैं कि उनके सुझावों को किस तरीके से लागू किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इसे लेकर एक परीक्षण करवाया जा रहा है कि क्या-क्या संभावनाएं हो सकती है.
सीएम गहलोत ने कहा कि विधानसभा बुलाकर इसका विश्लेषण करेंगे और विधानसभा के अंदर खुलकर बातचीत होगी. जो कानून बनाए गए हैं, राष्ट्रपति की छाप उस पर लग चुकी है. उन्होंने कहा कि किसानों के हित में जो भी होगा उसमें कमी नहीं आने देंगे.