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कांग्रेस चिंतन शिविर के बाद गहलोत हुए मजबूत, पायलट पर साफ नहीं रुख

कांग्रेस चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) में जिस अंदाज में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत की तारीफ की गई (CM Ashok Gehlot Stands Tall) उससे साफ संकेत गया कि सीएम की स्थिति मजबूत है. अब यहीं से दूसरा सवाल उठता है कि फिर संकल्प के मुताबिक युवा सचिन पायलट का क्या? अब भी उनके कद को स्पष्टता नहीं दिख रही है.

CM Ashok Gehlot Stands Tall
कांग्रेस चिंतन शिविर के बाद गहलोत हुए मजबूत
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Published : May 21, 2022, 1:03 PM IST

Updated : May 21, 2022, 2:14 PM IST

जयपुर. उदयपुर में चले कांग्रेस चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) के बाद जहां एक ओर पार्टी ने युवाओं की भागीदारी 50% तक कर करने का संकल्प दिखाया. इसे युवा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खुले मन से स्वीकारा भी. बावजूद इसके सवालों से कांग्रेस बच नहीं पा रही. कारण है कांग्रेस के तेजतर्रार और प्रभावशाली युवा नेताओं में से एक राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर चुप्पी. शिविर के मंच से पहले सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ़ की. इससे साफ हो गया कि राजस्थान में जो जैसा चल रहा है आलाकमान उससे प्रसन्न है और प्रदेश में फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन के आसार नहीं है.

राज्य में कांग्रेस के ये दो कद्दावर कई मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ मुंह खोल चुके हैं. यानी दोनों में अदावत है ये जानकार मानते और जानते हैं. ऐसे में एक का बढ़ा उत्साह दूसरे को हत्तोसाहित करने का सबब हो सकता है. सीएम की तारीफ का मतलब राजनीतिक विश्लेषक कुछ ऐसा ही निकाल रहे हैं. पद को लेकर रस्साकशी का फिलहाल दि एंड होता नहीं दिख रहा. अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर सचिन पायलट को राजस्थान में कोई पद सरकार में नहीं दिया जा रहा है तो फिर पायलट का उपयोग कांग्रेस पार्टी कहां (Sachin Pilot Future yet to be defined) करेगी? अगर कांग्रेस पार्टी ने ऐसी स्थितियों में भी सचिन पायलट को दिल्ली (एआईसीसी) में कोई पद देकर नहीं बुलाया तो राजस्थान में इसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ सकता है. कयास लगाया जा रहा है कि अब सचिन पायलट को संगठन चुनाव के बाद एआईसीसी में बड़ा पद देने की तैयारी की जा रही है.

कांग्रेस चिंतन शिविर के बाद गहलोत हुए मजबूत

पढ़ें-Gehlot VS Pilot: कांग्रेस के मेंबरशिप अभियान में कौन किस पर पड़ा भारी, जानिए पायलट और गहलोत कैंप की रैंकिंग

पायलट नहीं छोड़ना चाहते राजस्थान: चिंतन शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन करवा गहलोत ने ये बात बिल्कुल साफ कर दी है, कि वो कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार के सबसे ज्यादा नजदीकी नेताओं में से एक है. कहा जा रहा है कि सीएम उन चंद नेताओं में शामिल हैं जिनसे कांग्रेस पार्टी में होने वाले बड़े डिसीजन से पहले राय ली जाती है. अंदरखाने लोग बता रहे हैं कि खुद अशोक गहलोत भी यही चाहते हैं कि सचिन पायलट को दिल्ली की राजनीति में सक्रिय कर दिया जाए. लेकिन पार्टी के सामने मुश्किल यह है कि खुद सचिन पायलट भी दिल्ली कोई पद लेकर जाने में इच्छुक नहीं हैं. ऐसे में अगर सचिन पायलट ने एआईसीसी का पद लेने से इंकार कर दिया तो राजस्थान में अभी गहलोत और पायलट गुट के बीच की खाई और ज्यादा दिखाई देने लगेगी.

ये भी पढ़ें- Congress Chintan Shivir: मोदी सरकार की वजह से बढ़ी बेरोजगारी...युवाओं को साथ लेकर बढ़ने पर हुआ मंथन

अगर नहीं निकला समाधान!: राजस्थान में अगर सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच शांति स्थापित (CM Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot) नहीं होती है, तो राजनैतिक जानकारों का मानना है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को तीसरी सीट के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2 सीट के लिए तो कांग्रेस पार्टी के पास पूर्ण बहुमत है लेकिन तीसरी सीट पर निर्दलीय और सहयोगी पार्टियां ही हार जीत तय करेंगी. ऐसे में अगर गहलोत और पायलट के बीच तालमेल नहीं बैठा तो कांग्रेस पार्टी के लिए राज्यसभा की तीसरी सीट दूर की कौड़ी साबित होगी. इसका सीधा फायदा भाजपा को पहुंचेगा.

जयपुर. उदयपुर में चले कांग्रेस चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) के बाद जहां एक ओर पार्टी ने युवाओं की भागीदारी 50% तक कर करने का संकल्प दिखाया. इसे युवा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खुले मन से स्वीकारा भी. बावजूद इसके सवालों से कांग्रेस बच नहीं पा रही. कारण है कांग्रेस के तेजतर्रार और प्रभावशाली युवा नेताओं में से एक राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर चुप्पी. शिविर के मंच से पहले सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ़ की. इससे साफ हो गया कि राजस्थान में जो जैसा चल रहा है आलाकमान उससे प्रसन्न है और प्रदेश में फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन के आसार नहीं है.

राज्य में कांग्रेस के ये दो कद्दावर कई मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ मुंह खोल चुके हैं. यानी दोनों में अदावत है ये जानकार मानते और जानते हैं. ऐसे में एक का बढ़ा उत्साह दूसरे को हत्तोसाहित करने का सबब हो सकता है. सीएम की तारीफ का मतलब राजनीतिक विश्लेषक कुछ ऐसा ही निकाल रहे हैं. पद को लेकर रस्साकशी का फिलहाल दि एंड होता नहीं दिख रहा. अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर सचिन पायलट को राजस्थान में कोई पद सरकार में नहीं दिया जा रहा है तो फिर पायलट का उपयोग कांग्रेस पार्टी कहां (Sachin Pilot Future yet to be defined) करेगी? अगर कांग्रेस पार्टी ने ऐसी स्थितियों में भी सचिन पायलट को दिल्ली (एआईसीसी) में कोई पद देकर नहीं बुलाया तो राजस्थान में इसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ सकता है. कयास लगाया जा रहा है कि अब सचिन पायलट को संगठन चुनाव के बाद एआईसीसी में बड़ा पद देने की तैयारी की जा रही है.

कांग्रेस चिंतन शिविर के बाद गहलोत हुए मजबूत

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पायलट नहीं छोड़ना चाहते राजस्थान: चिंतन शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन करवा गहलोत ने ये बात बिल्कुल साफ कर दी है, कि वो कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार के सबसे ज्यादा नजदीकी नेताओं में से एक है. कहा जा रहा है कि सीएम उन चंद नेताओं में शामिल हैं जिनसे कांग्रेस पार्टी में होने वाले बड़े डिसीजन से पहले राय ली जाती है. अंदरखाने लोग बता रहे हैं कि खुद अशोक गहलोत भी यही चाहते हैं कि सचिन पायलट को दिल्ली की राजनीति में सक्रिय कर दिया जाए. लेकिन पार्टी के सामने मुश्किल यह है कि खुद सचिन पायलट भी दिल्ली कोई पद लेकर जाने में इच्छुक नहीं हैं. ऐसे में अगर सचिन पायलट ने एआईसीसी का पद लेने से इंकार कर दिया तो राजस्थान में अभी गहलोत और पायलट गुट के बीच की खाई और ज्यादा दिखाई देने लगेगी.

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Last Updated : May 21, 2022, 2:14 PM IST
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