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अशोक गहलोत ने राज्यों को 50% आरक्षण की सीमा से छूट देने की वकालत की - अशोक गहलोत का आरक्षण पर बयान

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को वित्त विधेयक पर सदन में अपना जवाब पेश किया. उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण के राइडर से राज्यों को छूट मिलनी चाहिए. साथ ही मीना और मीणा शब्द को लेकर कहा कि ये दोनों एक ही हैं केवल स्पेलिंग का फर्क है.

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अशोक गहलोत ने राज्यों को 50% आरक्षण की सीमा से छूट देने की वकालत की
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Published : Mar 18, 2021, 8:36 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को वित्त विधेयक पर सदन में अपना जवाब पेश किया. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण के राइडर से राज्यों को छूट मिलनी चाहिए. साथ ही मीना और मीणा शब्द को लेकर कहा कि ये दोनों एक ही हैं केवल स्पेलिंग का फर्क है. स्कूल फीस को लेकर उन्होंने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, ऐसे में स्कूल मैनेजमेंट को जल्द कोई फैसला लेना चाहिए ताकि अभिभावकों कों परेशानी ना हो.

अशोक गहलोत का आरक्षण पर बयान

राज्यों को 50% आरक्षण की सीमा से छूट मिले

अशोक गहलोत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कानून पास होने के बाद ऐसी स्थिति बन गई है और सुप्रीम कोर्ट भी पूछ रहा है कि राज्यों की मंशा आरक्षण को लेकर क्या है. राज्यों में 50% का जो राइडर लगा हुआ है उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि राज्य आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. अभी जो 2018 में 102वां संविधान संशोधन हुआ है, उसके अंतर्गत आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ों के लिए राज्य सरकार की शक्तियां कम हो जाएंगी या समाप्त हो जाएंगी. क्योंकि 102वें संविधान संशोधन की धारा 342ए को पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है कि अभी तक सभी राज्यों को अपने-अपने राज्यों में ओबीसी जातियों के चिन्हीकरण और नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार था.

पढे़ं: राजस्थान के विकास के लिए टैक्स फ्री नहीं, टैक्स वाला बजट लाओः कैलाश मेघवाल

लेकिन इस संविधान संशोधन के तहत 342 में धारा ए जोड़ी गई है. इसके तहत राज्यों के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की अभिशंषा पर ओबीसी जातियों का नोटिफिकेशन जारी होगा. इससे केंद्र सरकार की मंशा स्पष्ट दिखाई देती है कि वह चाहते क्या हैं. क्योंकि राज्यों की शक्तियां उससे कम होंगी और राज्यों में कई जातियां ऐसी होती हैं जिनको एतराज होगा. उन्होंने कहा कि मेरे पास विभिन्न समाज के सदस्य आए थे सब चाहते थे कि हमें केंद्र का भी आरक्षण मिले. ऐसे में राज्यों के पास शक्ति ही नहीं रहेगी तो वह क्या तो रिकमेंडेशन करेगा और क्या ओबीसी कमिशन काम करेगा.

गहलोत ने कहा कि यह हमारे लिए बड़ी समस्या पैदा हुई है. इसको लेकर हमने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है और सुप्रीम कोर्ट को भी. हमारे कैबिनेट के साथियों ने तय किया है कि हम यही मांग सुप्रीम कोर्ट से करेंगे कि राज्यों को आरक्षण का 50% का राइडर पार करने की इजाजत दी जाए. जिससे राज्यों का अधिकार भी सुरक्षित रखा जाए.

मीना, मीणा एक हैं

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में लंबे समय से चल रहे मीना और मीणा के विवाद को लेकर कहरा कि हमने हाईकोर्ट में जो एफिडेविट दिया है उस में कहा है कि मीना और मीणा एक हैं. यह केवल स्पेलिंग में मिस्टेक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सदन में कहना चाहूंगा कि मीणा और मीणा एक ही हैं उनको कोई तकलीफ नहीं आनी चाहिए. यह इश्यू हमेशा के लिए समाप्त होना चाहिए. सदन सर्वोपरि है अगर मैं यह सदन में कह रहा हूं तो सब इसे समझेंगे.

फीस विवाद पर क्या कहा

इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निजी स्कूलों के फीस विवाद को लेकर भी सदन में कहा कि निजी स्कूलों का सुप्रीम कोर्ट में फीस के लिए मामला चल रहा है. उस पर अभी तो मैं यही कहना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग है. ऐसे में अभिभावकों के साथ जो स्कूलों के मैनेजमेंट है जल्द ही वो इस पर कोई फैसला ले ताकि अभिभावकों को भी कोई दिक्कत ना हो यह एक बर्निंग इश्यू है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को वित्त विधेयक पर सदन में अपना जवाब पेश किया. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण के राइडर से राज्यों को छूट मिलनी चाहिए. साथ ही मीना और मीणा शब्द को लेकर कहा कि ये दोनों एक ही हैं केवल स्पेलिंग का फर्क है. स्कूल फीस को लेकर उन्होंने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, ऐसे में स्कूल मैनेजमेंट को जल्द कोई फैसला लेना चाहिए ताकि अभिभावकों कों परेशानी ना हो.

अशोक गहलोत का आरक्षण पर बयान

राज्यों को 50% आरक्षण की सीमा से छूट मिले

अशोक गहलोत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कानून पास होने के बाद ऐसी स्थिति बन गई है और सुप्रीम कोर्ट भी पूछ रहा है कि राज्यों की मंशा आरक्षण को लेकर क्या है. राज्यों में 50% का जो राइडर लगा हुआ है उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि राज्य आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. अभी जो 2018 में 102वां संविधान संशोधन हुआ है, उसके अंतर्गत आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ों के लिए राज्य सरकार की शक्तियां कम हो जाएंगी या समाप्त हो जाएंगी. क्योंकि 102वें संविधान संशोधन की धारा 342ए को पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है कि अभी तक सभी राज्यों को अपने-अपने राज्यों में ओबीसी जातियों के चिन्हीकरण और नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार था.

पढे़ं: राजस्थान के विकास के लिए टैक्स फ्री नहीं, टैक्स वाला बजट लाओः कैलाश मेघवाल

लेकिन इस संविधान संशोधन के तहत 342 में धारा ए जोड़ी गई है. इसके तहत राज्यों के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की अभिशंषा पर ओबीसी जातियों का नोटिफिकेशन जारी होगा. इससे केंद्र सरकार की मंशा स्पष्ट दिखाई देती है कि वह चाहते क्या हैं. क्योंकि राज्यों की शक्तियां उससे कम होंगी और राज्यों में कई जातियां ऐसी होती हैं जिनको एतराज होगा. उन्होंने कहा कि मेरे पास विभिन्न समाज के सदस्य आए थे सब चाहते थे कि हमें केंद्र का भी आरक्षण मिले. ऐसे में राज्यों के पास शक्ति ही नहीं रहेगी तो वह क्या तो रिकमेंडेशन करेगा और क्या ओबीसी कमिशन काम करेगा.

गहलोत ने कहा कि यह हमारे लिए बड़ी समस्या पैदा हुई है. इसको लेकर हमने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है और सुप्रीम कोर्ट को भी. हमारे कैबिनेट के साथियों ने तय किया है कि हम यही मांग सुप्रीम कोर्ट से करेंगे कि राज्यों को आरक्षण का 50% का राइडर पार करने की इजाजत दी जाए. जिससे राज्यों का अधिकार भी सुरक्षित रखा जाए.

मीना, मीणा एक हैं

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में लंबे समय से चल रहे मीना और मीणा के विवाद को लेकर कहरा कि हमने हाईकोर्ट में जो एफिडेविट दिया है उस में कहा है कि मीना और मीणा एक हैं. यह केवल स्पेलिंग में मिस्टेक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं सदन में कहना चाहूंगा कि मीणा और मीणा एक ही हैं उनको कोई तकलीफ नहीं आनी चाहिए. यह इश्यू हमेशा के लिए समाप्त होना चाहिए. सदन सर्वोपरि है अगर मैं यह सदन में कह रहा हूं तो सब इसे समझेंगे.

फीस विवाद पर क्या कहा

इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निजी स्कूलों के फीस विवाद को लेकर भी सदन में कहा कि निजी स्कूलों का सुप्रीम कोर्ट में फीस के लिए मामला चल रहा है. उस पर अभी तो मैं यही कहना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग है. ऐसे में अभिभावकों के साथ जो स्कूलों के मैनेजमेंट है जल्द ही वो इस पर कोई फैसला ले ताकि अभिभावकों को भी कोई दिक्कत ना हो यह एक बर्निंग इश्यू है.

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