जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से खान एवं भू-विज्ञान विभाग की समीक्षा की. उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य में खनिज क्षेत्र के विकास के लिए नई खनिज नीति जल्द तैयार की जाए ताकि इस क्षेत्र में निवेश और कार्य करने में अधिक सुगमता हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में करीब 82 खनिज उपलब्ध हैं. इनमे से सीसा, जिंक, काॅपर, लाइमस्टोन, राॅक फाॅस्फेट, मार्बल, ग्रेनाइट, सेंडस्टोन जैसे 11 खनिजों के उत्पादन में तो राजस्थान अग्रणी प्रदेश है.
उन्होंने कहा कि खनिजों का वैज्ञानिक तरीके से समुचित दोहन कर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति दी जा सकती है. विभाग ‘ईज ऑफ डूईंग बिजनेस‘ के सिद्धांत को अपनाते हुए नई वैज्ञानिक पद्धतियों से खनिजों का अन्वेषण और दोहन कर राज्य के खनन क्षेत्र को ऊंचाइयों पर पहुंचाए. गहलोत ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में गंगानगर-बीकानेर बेसिन में पोटाश के भंडारों के अन्वेषण के लिए एमईसीएल के साथ एमओयू किया गया था. पोटाश भंडारों के दोहन के लिए मिशन मोड पर काम किया जाए. यह ऐसा खनिज है जो दुनिया में कुछ ही स्थानों पर उपलब्ध है. इसका खनन होने पर न केवल प्रदेश का राजस्व बढे़गा, बल्कि इस खनिज के मामले में हम आत्मनिर्भर हो सकेंगे.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि खान संचालकों को खनन क्षेत्रों में काम कर रहे मजदूरों की सेहत और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सुरक्षा मानकों की पालना करना चाहिए. उन्होंने कई बार इसके अभाव में खनन श्रमिक सिलिकोसिस जैसी घातक बीमारी से पीड़ित होकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो जाते हैं. राज्य सरकार ने ऐसे श्रमिकों के कल्याण के लिए सिलिकोसिस नीति जारी की है. खान विभाग सिलिकोसिस की रोकथाम के लिए योजनाबद्ध रूप से काम करे और श्रमिकों को भी जागरूक करे. सभी संबंधित विभाग पहचान होने पर सिलिकोसिस रोगियों को तुरंत सहायता राशि तथा अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराएं.
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए नई नीति जारी की है. इसके तहत एम-सैंड उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को कई तरह के परिलाभ देय हैं. विभाग के अधिकारी उद्यमियों को इस नीति के तहत ज्यादा संख्या में एम-सैंड निर्माण इकाइयां लगाने के लिए प्रेरित करें. इससे निर्माण कार्यों में बजरी का सस्ता विकल्प उपलब्ध होने के साथ-साथ औद्योगिक अपशिष्ट की समस्या का निदान हो सकेगा. खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि विभाग प्रदेश में खनन क्षेत्र के विकास के लिए निरन्तर प्रयासरत है. कोरोना के बावजूद राजस्व प्राप्ति के लक्ष्यों की दिशा में अच्छी प्रगति अर्जित की गई है. एमनेस्टी योजना के माध्यम से बकाया 2 हजार से अधिक प्रकरणों का निस्तारण कर 44 करोड़ रुपए से अधिक की रिकाॅर्ड वसूली की गई है. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रमुख खनिज लाइम स्टोन के तीन ब्लाॅक्स की सफल नीलामी की गई है तथा 4 अन्य ब्लाॅक्स की नीलामी प्रक्रियाधीन है.
अतिरिक्त मुख्य सचिव, खान एवं पेट्रोलियम सुबोध अग्रवाल ने एमनेस्टी योजना, एम-सैंड नीति- 2020, राजस्थान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट के गठन, पोटाश की खोज के लिए किए गए एमओयू आदि से संबंधित विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया. उन्होंने बताया कि रोजगार, उद्योगों को कच्चा माल तथा राजस्व अर्जन की दृष्टि से खान विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है. राज्य में खनन गतिविधियों से करीब 8 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से तथा करीब 25 लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं. राज्य के राजस्व में प्रतिवर्ष 5 हजार करोड़ रुपए का योगदान खनन क्षेत्र से मिलता है. बैठक में प्रमुख वित्त सचिव अखिल अरोरा, प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण श्रेया गुहा, प्रमुख सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग राजेश यादव, प्रमुख सचिव नगरीय विकास कुंजीलाल मीणा, निदेशक खान केबी पांड्या, राजस्थान राज्य खान एवं खनिज निगम के प्रबंध निदेशक ओपी कसेरा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.