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CM गहलोत का महत्वपूर्ण निर्णय, कृषक कल्याण शुल्क में दी बड़ी राहत - CM Gehlot decision

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने व्यापारियों और उद्योगों को राहत देने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इससे पहले भी सरकार ने मंडी व्यापारियों के हित में कई निर्णय लिए हैं. सरकार का प्रयास रहा है कि प्रदेश में कारोबार को बढ़ावा मिले और ईमानदारी से व्यापार करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिले.

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कृषक कल्याण शुल्क में दी बड़ी राहत
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Published : May 22, 2020, 8:31 AM IST

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने कृषक कल्याण शुल्क को लेकर खाद्य पदार्थ से जुड़े प्रदेश भर के व्यापारियों और उद्योगों को राहत देने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि ज्वार, बाजरा, मक्का, जीरा और ईसबगोल सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क पचास पैसा प्रति सैकड़ा है, उस पर कृषक कल्याण शुल्क की वर्तमान दर 2 रुपए प्रति सैकड़ा के स्थान पर 50 पैसा प्रति सैकड़ा प्रभारित की जाए.

इसी प्रकार तिलहन-दलहन और गेहूं सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क की दर एक रुपए तथा एक 1 रुपए 60 पैसे प्रति सैकड़ा है. उन पर भी वर्तमान में प्रभारित दो रुपए प्रति सैकड़ा के स्थान पर एक रुपए प्रति सैकड़ा प्रभारित की जाए. ऊन को कृषक कल्याण शुल्क से मुक्त रखा जाएगा.

यह भी पढ़ेंः कोरोना से बचने के लिए CAB ड्राइवर का नायाब तरीका, प्रोटेक्टिव लेयर लगाकर कार को किया मॉडिफाई

गहलोत ने गुरुवार को खाद्य पदार्थ के कारोबार से जुड़े प्रदेश भर के व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया. इससे पहले इस संबंध में उन्होंने बीते दिनों हुई वीडियो कॉफ्रेंस के दौरान मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और उद्यमियों से भी उनकी राय जानी थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषक कल्याण शुल्क के कारण उद्योगों और व्यापारियों को हो रही तकलीफ का एहसास सरकार को है.

कारोबारियों को मिलेगी राहत...

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय से प्रदेश के खाद्य पदार्थ से जुड़े कारोबारियों और कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को राहत मिलेगी. साथ ही प्रतापगढ़, झालावाड़, बांसवाड़ा, जालौर, सिरोही, कोटा, बारां, भरतपुर, धौलपुर और अलवर सहित प्रदेश के अन्य सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी राज्यों के मुकाबले दरों का अंतर कम होगा. उन्हें प्रतिस्पर्द्धात्मक रूप से व्यापार करने में आसानी होगी. व्यापार बढ़ने से राज्य सरकार का राजस्व बढ़ेगा, साथ ही करापवंचन भी रूक सकेगा. किसानों को भी अपनी उपज उचित दरों पर बेचने के अधिक अवसर मिल सकेंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के इस दौर में प्रदेश के व्यापारी वर्ग ने हमारे 'कोई भूखा न सोए' के संकल्प को साकार करने में पूरी मदद की है. राज्य सरकार ने मंडी व्यापारियों के हित में पहले भी कई निर्णय लिए हैं. हमारा हमेशा यह प्रयास रहा है कि प्रदेश में कारोबार को बढ़ावा मिले और ईमानदारी से व्यापार करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिले.

चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि आढ़तियों की वाजिब मांगों के प्रति सरकार का नजरिया संवेदनशील है. मुख्यमंत्री कोरोना से निपटने के लिए लगातार सभी वर्गों के हित में निर्णय ले रहे हैं. यह उनके कुशल प्रबंधन का ही परिणाम है कि राजस्थान ऐसी चुनौती का मजबूती से सामना कर पा रहा है. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता और अन्य सभी प्रतिनिधियों ने संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार द्वारा जरूरतमंद वर्गों के हित में लिए गए निर्णयों पर आभार व्यक्त किया. इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य और कृषि विपणन विभाग के निदेशक ताराचंद मीणा भी उपस्थित रहे.

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने कृषक कल्याण शुल्क को लेकर खाद्य पदार्थ से जुड़े प्रदेश भर के व्यापारियों और उद्योगों को राहत देने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि ज्वार, बाजरा, मक्का, जीरा और ईसबगोल सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क पचास पैसा प्रति सैकड़ा है, उस पर कृषक कल्याण शुल्क की वर्तमान दर 2 रुपए प्रति सैकड़ा के स्थान पर 50 पैसा प्रति सैकड़ा प्रभारित की जाए.

इसी प्रकार तिलहन-दलहन और गेहूं सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क की दर एक रुपए तथा एक 1 रुपए 60 पैसे प्रति सैकड़ा है. उन पर भी वर्तमान में प्रभारित दो रुपए प्रति सैकड़ा के स्थान पर एक रुपए प्रति सैकड़ा प्रभारित की जाए. ऊन को कृषक कल्याण शुल्क से मुक्त रखा जाएगा.

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गहलोत ने गुरुवार को खाद्य पदार्थ के कारोबार से जुड़े प्रदेश भर के व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया. इससे पहले इस संबंध में उन्होंने बीते दिनों हुई वीडियो कॉफ्रेंस के दौरान मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और उद्यमियों से भी उनकी राय जानी थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषक कल्याण शुल्क के कारण उद्योगों और व्यापारियों को हो रही तकलीफ का एहसास सरकार को है.

कारोबारियों को मिलेगी राहत...

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय से प्रदेश के खाद्य पदार्थ से जुड़े कारोबारियों और कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को राहत मिलेगी. साथ ही प्रतापगढ़, झालावाड़, बांसवाड़ा, जालौर, सिरोही, कोटा, बारां, भरतपुर, धौलपुर और अलवर सहित प्रदेश के अन्य सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी राज्यों के मुकाबले दरों का अंतर कम होगा. उन्हें प्रतिस्पर्द्धात्मक रूप से व्यापार करने में आसानी होगी. व्यापार बढ़ने से राज्य सरकार का राजस्व बढ़ेगा, साथ ही करापवंचन भी रूक सकेगा. किसानों को भी अपनी उपज उचित दरों पर बेचने के अधिक अवसर मिल सकेंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के इस दौर में प्रदेश के व्यापारी वर्ग ने हमारे 'कोई भूखा न सोए' के संकल्प को साकार करने में पूरी मदद की है. राज्य सरकार ने मंडी व्यापारियों के हित में पहले भी कई निर्णय लिए हैं. हमारा हमेशा यह प्रयास रहा है कि प्रदेश में कारोबार को बढ़ावा मिले और ईमानदारी से व्यापार करने वाले लोगों को प्रोत्साहन मिले.

चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि आढ़तियों की वाजिब मांगों के प्रति सरकार का नजरिया संवेदनशील है. मुख्यमंत्री कोरोना से निपटने के लिए लगातार सभी वर्गों के हित में निर्णय ले रहे हैं. यह उनके कुशल प्रबंधन का ही परिणाम है कि राजस्थान ऐसी चुनौती का मजबूती से सामना कर पा रहा है. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता और अन्य सभी प्रतिनिधियों ने संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार द्वारा जरूरतमंद वर्गों के हित में लिए गए निर्णयों पर आभार व्यक्त किया. इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य और कृषि विपणन विभाग के निदेशक ताराचंद मीणा भी उपस्थित रहे.

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