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मुगल शासकों का आधारहीन इतिहास हटाने को लेकर दावा दायर, 22 मार्च को सुनवाई - मुगलों का इतिहास गलत

सीबीएसई की 12वीं कक्षा के इतिहास की पुस्तक में मुगल शासकों के आधारहीन इतिहास को हटाने को लेकर सांगानेर सिविल कोर्ट में दावा पेश किया गया है, जिस पर अदालत 22 मार्च को सुनवाई करेगी.

सांगानेर सिविल कोर्ट, Sanganer Civil Court
सांगानेर सिविल कोर्ट
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Published : Mar 20, 2021, 10:39 PM IST

जयपुर. सीबीएसई की 12वीं कक्षा के इतिहास की पुस्तक में मुगल शासकों के आधारहीन इतिहास को हटाने को लेकर सांगानेर सिविल कोर्ट में दावा पेश किया गया है, जिस पर अदालत 22 मार्च को सुनवाई करेगी.

पूनमचंद भंडारी, परिवादी

पूनमचंद भंडारी की ओर से पेश दावे में कहा गया है कि इतिहास की इस पुस्तक थीम्स इन इंडियन हिस्ट्री पार्ट-2 के पेज 234 में लिखा है कि युद्ध के दौरान मंदिरों को ढहा दिया गया था, इन मंदिरों की मरम्मत के लिए शाहजहां और औरंगजेब ने ग्रांट जारी की थी. दावे में कहा गया कि सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने पर एनसीईआरटी की ओर से जानकारी दी गई की उनके पास इस तथ्य को छापने का कोई आधार नहीं है.

यह भी पढ़ेंः दुल्हनिया लाने से पहले ही दलित दूल्हे के साथ मारपीट, कल जानी है बारात

दावे में शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी के निदेशक को पक्षकार बनाते हुए कहा गया कि बिना आधार इस तथ्य का प्रकाशन करना गलत है. इतिहास में उन बातों का ही उल्लेख किया जाता है, जिसके संबंध में रिकॉर्ड मौजूद हों. दावे में गुहार की गई है कि एनसीईआरटी को पाबंद किया जाए कि वह मुगल शासकों को महिमा मंडित करने वाले इन तथ्यों को हटाए और भविष्य में भी इनका प्रकाशन ना करें.

जयपुर. सीबीएसई की 12वीं कक्षा के इतिहास की पुस्तक में मुगल शासकों के आधारहीन इतिहास को हटाने को लेकर सांगानेर सिविल कोर्ट में दावा पेश किया गया है, जिस पर अदालत 22 मार्च को सुनवाई करेगी.

पूनमचंद भंडारी, परिवादी

पूनमचंद भंडारी की ओर से पेश दावे में कहा गया है कि इतिहास की इस पुस्तक थीम्स इन इंडियन हिस्ट्री पार्ट-2 के पेज 234 में लिखा है कि युद्ध के दौरान मंदिरों को ढहा दिया गया था, इन मंदिरों की मरम्मत के लिए शाहजहां और औरंगजेब ने ग्रांट जारी की थी. दावे में कहा गया कि सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने पर एनसीईआरटी की ओर से जानकारी दी गई की उनके पास इस तथ्य को छापने का कोई आधार नहीं है.

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दावे में शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी के निदेशक को पक्षकार बनाते हुए कहा गया कि बिना आधार इस तथ्य का प्रकाशन करना गलत है. इतिहास में उन बातों का ही उल्लेख किया जाता है, जिसके संबंध में रिकॉर्ड मौजूद हों. दावे में गुहार की गई है कि एनसीईआरटी को पाबंद किया जाए कि वह मुगल शासकों को महिमा मंडित करने वाले इन तथ्यों को हटाए और भविष्य में भी इनका प्रकाशन ना करें.

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